Anil Agarwal Net Worth: कबाड़ बेचने से मेटल किंग बनने का सफर, जानिए Dividend King Vedanta के फाउंडर की पूरी कहानी

Anil Agarwal Net Worth: सपनों की नगरी मुंबई। यहां हाथ में टिफिन बॉक्स और बिस्तरबंद लेकर लाखों लोग गए। उनकी आंखों में अनगिनत सपनों थे। ज्यादातर लोग तो रोजी-रोटी की धुन में मुंबई की गुमनाम गलियों में खो गए। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जो अपनी मेहनत और लगन से आसमान की बुलंदियों पर पहुंच गए। उन्हीं में से एक नाम है मेटल किंग अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) का। वहीं, अनिल अग्रवाल जिन्होंने डिविडेंड किंग के नाम से मशहूर वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) की नींव रखी है। आइए जानते हैं कि कबाड़ बेचने वाले अनिल अग्रवाल मेटल किंग कैसे बनें और उनकी नेटवर्थ कितनी है। साथ ही, उनसे और उनकी कंपनी से जुड़े बड़े विवाद कौन-से हैं।

अनिल अग्रवाल का बचपन

70 साल के अनिल अग्रवाल मूलरूप से बिहार के रहने वाले हैं। मारवाड़ी परिवार में जन्मे अनिल अग्रवाल का बचपन सीमित संसाधनों के साथ बीता। उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करके बताया था,

‘मैं बहुत छोटा था। मेरे बाबूजी (अनिल अग्रवाल के पिताजी) मेरी मां को महीने के सिर्फ 400 रुपये देते थे और वह उतनी रकम में घर का पूरा खर्च संभाल लेती थीं। इसमें मकान का किराया, घर का राशन और चार बच्चों की परवरिश शामिल थी। वह पड़ोसियों की भी मदद करती थीं। घर पर आने और रहने वाले मेहमानों की आवभगत भी उन्हें बहुत पसंद थी।’

अनिल अग्रवाल का कारोबारी जीवन

अनिल अग्रवाल का करोबारी सफर 1970 के दशक में शुरू होता है। उन्होंने पिता की मदद के लिए 15 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी और मुंबई चले आए। उनके पिता का एल्युमिनियम कंडक्टर का छोटा-सा बिजनेस था। अनिल पहले पिता के कारोबार में हाथ बंटाया। फिर पहले वह कबाड़ का धंधा करने लगे।

उन्होंने शुरुआत में कई बिजनेस करने की कोशिश की, पर किसी में कामयाबी नहीं मिली। लेकिन, वो कहते हैं न कि कोशिश करने वालों कभी हार नहीं। इस फलसफे को अनिल अग्रवाल ने सच कर दिखाया। उनकी 9-9 अलग प्रयासों में नाकामी के बाद दसवीं कोशिश में सफलता मिली और उसका नाम है, वेदांता लिमिटेड।

नाम अनिल अग्रवाल
जन्म 24 जनवरी 1954
जन्म स्थान पटना, बिहार
बिजनेस मेटल, माइनिंग
कंपनी
वेदांता, हिंदुस्तान जिंक
नेटवर्थ 1.7 अरब डॉलर

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मेटल किंग कैसे बने अनिल अग्रवाल?

अनिल अग्रवाल ने वेदांता की बुनियाद 1976 में रखी और वह केबल प्रोडक्शन की दुनिया के बड़े नाम बन गए। फिर उन्होंने 1986 में स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की शुरुआत की। यह कंपनी देश की पहली प्राइवेट कॉपर स्मेल्टर और रिफाइनरी बनी। अनिल अग्रवाल ने कई सरकारी मेटल कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी।

इनमें BALCO (भारत एल्युमिनियम कंपनी) और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) भी शामिल हैं। इन दोनों ने अनिल अग्रवाल का दबदबा एल्युमिनियम और जिंक सेक्टर में काफी बढ़ा दिया और वह मेटल किंग के नाम से मशहूर हो गए।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर गाड़े हैं झंडे

2003 में अनिल अग्रवाल ने लंदन में वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड (Vedanta Resources Limited) की नींव रखी। यह लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होने वाली भारत की सबसे बड़ी नॉन-फेरस मेटल और माइनिंग कंपनी बनी। इससे अनिल अग्रवाल का दबदबा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ गया।

वेदांता रिसोर्सेज के मुख्य उत्पाद जिंक, लेड, सिल्वर, ऑयल एंड गैस, आयरन ओर, स्टील, एल्युमिनियम और पावर हैं। अनिल अग्रवाल ने 2018 में वेदांता रिर्सोसेज को डीलिस्ट कराके प्राइवेट कर लिया। उन्होंने 1 अरब डॉलर में करीब एक-तिहाई शेयर खरीदे, जिनका मालिकाना हक बाकी लोगों के पास था।

1992 में वेदांता फाउंडेशन की शुरुआत

1992 में अनिल अग्रवाल ने वेदांता फाउंडेशन की नींव रखी। इसके जरिए वेदांता ग्रुप की कंपनियां दान-पुण्य (charity) का काम करती हैं। अनिल अग्रवाल का कहना है कि उन्हें खुद परोपकार (philanthropy) में काफी दिलचस्पी है। वेदांता फाउंडेशन ने लगातार हॉस्पिटल्स, स्कूल और पर्यावरण संरक्षण के लिए दान देता है।

उन्होंने साल 2014 में अपनी 75 फीसदी संपत्ति दान करने का फैसला किया था। उनका कहना था कि पैसा ही सबकुछ नहीं है, जो कमाया है उसे समाज को लौटाना भी चाहता हूं। अनिल अग्रवाल वित्त वर्ष 2024 में भी 181 करोड़ का दान दिया है।

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अनिल अग्रवाल का विवादों से भी नाता

अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता का विवादों से भी गहरा नाता है। आइए वेदांता ग्रुप से जुड़े प्रमुख विवादों के बारे में जानते हैं।

वेदांता पर जहरीला केमिकल डंप करने का आरोप

2004 में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने चार्ज लगाया कि वेदांता ने तमिलनाडु में अपनी फैक्ट्री के निकट हजारों टन जहरीला केमिकल डंप किया। इससे आसपास रहने वाले लोगों के पर्यावरण जहरीला हो गया।

वेदांता ने 100 से ज्यादा परिवारों को घर छोड़ने पर मजबूर किया?

2005 में वेदांता पर आरोप लगा कि उसने ओडिशा में 100 से ज्यादा परिवारों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर किया। वहां कंपनी बॉक्साइट की माइनिंग करना चाहती थी। रिपोर्ट के मुताबिक, वेदांता ने गुंडों की मदद से डर का माहौल बनाया। उसके कर्मचारियों ने स्थानीय लोगों से मारपीट भी की।

हानिकारक वेस्ट डंप से लोगों को बीमार करने का आरोप

वेदांता ग्रुप जांबिया में भी विवादों में फंसा। वेदांता पर आरोप लगा था कि उसने अपनी कॉपर माइन से काफू नदी में हानिकारक वेस्ट डंप किया है। इससे काफी लोग बीमार पड़े और मछलियों की मृत्यु हुई। कंपनी पर वहां मुकदमा भी हुआ था।

तूतुकुड़ी हिंसा में 13 लोगों की हुई थी मौत

वेदांता की कहानी में तूतुकुड़ी हिंसा सबसे ज्यादा चर्चित है। मार्च व अप्रैल 2018 में तूतुकुड़ी (Thoothukudi) में वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के तांबा पिघलाने वाले प्लांट को बंद करने की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ। स्टरलाइट पर पर्यावरण से जुड़े नियमों के उल्लंघन का आरोप था। यह विरोध इतना गहरा गया कि पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। हालांकि, जांच में स्टरलाइट के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला।

Anil Agarwal Net Worth

अमेरिका की प्रतिष्ठित बिजनेस मैगजीन Forbes के मुताबिक, वेदांता ग्रुप के मालिक अनिल अग्रवाल की कुल संपत्ति (Anil Agarwal Net Worth) 1.7 अरब डॉलर है। वह दुनिया के 2000 सबसे रईस लोगों की लिस्ट में शामिल हैं। उनकी संपत्ति माइनिंग और मेटल बिजनेस से आती है, जिसे उन्होंने खुद खड़ा किया है। अनिल अग्रवाल के दो बच्चे हैं, अग्निवेश और प्रिया। अग्निवेश हिंदुस्तान जिंक के चेयरमैन हैं, वहीं प्रिया पीआर प्रोफेशनल हैं।

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Shubham Singh
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