Manmohan Singh vs Narendra Modi: कौन बेहतर प्रधानमंत्री रहा; किसने इकोनॉमी और देश का ज्यादा भला किया?

Manmohan Singh vs Modi who is better in hindi: अगर आज की तारीख में दो प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल की तुलना करनी हो, तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी से बेहतर उम्मीदवार शायद ही कोई होगा। पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह के बाद देश की सत्ता संभाली। दोनों ने 10-10 साल का कार्यकाल पूरा किया। दोनों के ही कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था को झकझोरने वाली भीषण आपदा आई। मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान 2008 में वैश्विक मंदी आई। वहीं, मोदी का दूसरा कार्यकाल कोरोना और लॉकडाउन के साये में रहा, जिसने दुनियाभर की इकोनॉमी को ठप कर दिया था। आइए दोनों की पांच-पांच बड़ी सामाजिक और आर्थिक योजनाओं पर नजर डालते हैं।

मनमोहन सिंह की पांच बड़ी सामाजिक और आर्थिक योजनाएं

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कई सामाजिक और आर्थिक चलाई गईं, जिन्होंने देश की दिशा और दशा बदलकर रख दी।

‘शिक्षा का अधिकार’ से बच्चों को पढ़ाई का हक मिला।

मनमोहन सिंह की सरकार 6 से 14 को शिक्षा का मौलिक अधिकार यानी Right to Education (RTE) दिया। इस योजना के तहत सरकार 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराती है।

मनरेगा ने बदली ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तकदीर

Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act, 2005 यानी मनरेगा ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तकदीर बदल दी। इससे लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिला, उनकी मजदूरी में भी इजाफा हुआ। वर्ल्ड बैंक भी मनरेगा को दुनिया का सबसे बड़ा लोक निर्माण कार्यक्रम बता चुका है। इसमें एक साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिलती है।

सूचना का अधिकार से भ्रष्टाचार पर प्रहार

मनमोहन सिंह सरकार ने जनता को राइट टु इन्फॉर्मेशन (RTI) यानी सूचना का अधिकार का अधिक दिया है। यह एक्ट जनता को सरकारी संस्थानों से सूचना मांगने का हक देता है। इससे सरकार के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने में मिली। इसने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में भी मदद की।

आधार कार्ड से जनता को अपनी पहचान मिली

आज आधार कार्ड की मदद से सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचाना काफी आसान हो गया है। यह भी मनमोहन सिंह सरकार की देन है। संयुक्त राष्ट्र ने भी आधार योजना की तारीफ की है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से करोड़ों लोगों को फायदा

मनमोहन सिंह ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत गरीब जनता को सब्सिडी वाली राशन देने का इंतजाम किया। इसका मकसद है कि देश का कोई नागरिक भूखा न रहे। सभी को सस्‍ती दर बेहतर खाद्यान्‍न मिले और वे सम्‍मान के साथ अपनी जिंदगी बसर कर सकें।

नरेंद्र मोदी की पांच बड़ी सामाजिक और आर्थिक योजनाएं

नरेंद्र मोदी सरकार ने भी कई महत्वपूर्ण योजनाएं और नीतियां पेश की हैं, जिनका लोगों के सामाजिक और आर्थिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

UPI ने बदल दिया पेमेंट का तरीका

नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2016 में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) लॉन्च किया। इसने ऑनलाइन पेमेंट की दुनिया में क्रांति ला दी। इसका इस्तेमाल सब्जी के ठेले से लेकर बड़े-बड़े मॉल्स में किया जा रहा है। दुनियाभर के कई देशों ने यूपीआई की तारीफ की है और इस पेमेंट सिस्टम को अपनाया भी है।

GST से टैक्सेशन को सरल किया

मोदी सरकार ने साल Goods and Services Tax (GST) को साल 2016 में पास किया। इसका मकसद ‘वन नेशन, वन टैक्स’ लागू करना था। इससे टैक्स की प्रक्रिया आसान तो हुई, लेकिन कुछ जटिलताएं अभी बनी हुई हैं।

आयुष्मान भारत योजना से इलाज की सुविधा

आयुष्मान भारत की शुरुआत साल 2018 में हुई। यह देश के गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक के इलाज का कवर देती है। इससे देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को फायदा हुआ, जिसेइलाज का खर्च उठाने में मुश्किल हो रही थी।

जन-धन योजना से बैंकिंग सिस्टम तक पहुंची जनता

आजादी के कई दशक बाद आबादी का एक बड़ा हिस्सा ऐसा था, जिसके पास बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच नहीं थी। मोदी सरकार ने जन-धन योजना के तहत उनका जीरो बैलेंस पर बैंक अकाउंट खुलवाया और उन्हें बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा। इससे उन तक सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचने में भी आसानी हुई।

पीएम-किसान योजना से किसानों की आर्थिक मदद

मोदी सरकार ने साल 2019 में पीएम-किसान योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत भूमिधारक पात्र किसानों को सालाना 6 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। ये मदद तीन किस्तों में जारी की जाती है। इसका मकसद छोटे और सीमांत किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करना है?

Manmohan vs Modi Economy: किसने ज्यादा बेहतर काम किया?

मनमोहन सिंह की बात करें, तो उनकी योजनाएं जमीन से ज्यादा जुड़ी हुई थीं और उनका फोकस बुनियाद को मजबूत करने पर था। मनरेगा जैसी योजना ने सीधे गरीब और वंचित वर्ग के जीवन स्तर (Standard of Living) को बेहतर करने में मदद की। इसी तरह शिक्षा के अधिकार से गरीब बच्चों को भी पढ़ाई का हक मिला। इससे पीढ़ी बदलने की शुरुआत हुई। वहीं, सूचना का अधिकार भी एक क्रांतिकारी पहल थी, जिसका सबसे अधिक नुकसान उन्हीं की सरकार को हुआ।

वहीं, मोदी सरकार पर की योजनाओं पर नजर डालें, तो पता चलता है कि उनमें नीतिगत सुधार की ललक अधिक है। जैसे कि जीएसटी ने टैक्स से जुड़े सुधार किए। वहीं, जन-धन योजना से लोगों की बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच बढ़ी। आयुष्मान भारत ने गरीब जनता के ऊपर से इलाज का बोझ कम कर रही है। हालांकि, अच्छी बात यह रही कि मोदी सरकार ने राजनीतिक पूर्वाग्रह के चलते अपनी पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों को खारिज नहीं किया, बल्कि उनका बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया।

मोदी ने मनमोहन सिंह की योजनाओं का इस्तेमाल कैसे किया?

मनमोहन सिंह सरकार की आधार योजना का इस्तेमाल मोदी सरकार ने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) के लिए किया। आधार ने ही यूपीआई और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं को भी सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। इसी तरह पीएम मोदी ने 10 साल से अधिक समय सत्ता में बिताने के बावजूद मनमोहन सिंह सरकार की मनरेगा योजना से किनारा नहीं किया। उन्होंने बल्कि मनरेगा का आवंटन बढ़ाया और कोरोना महामारी के दौरान इसका बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया।

इतना ही नहीं, मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान मनमोहन सिंह सरकार की एक अन्य योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का काफी कारगर तरीके से उपयोग किया। पीएम मोदी ने इस योजना को और भी आकर्षक बना दिया। उनकी सरकार इस योजना के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को पूरी तरह मुफ्त राशन दे रही है। यह योजना साल 2029 तक के लिए बढ़ा भी दी गई है।

निष्कर्ष (Conclusion)

अब आखिर में निष्कर्ष की बात करते हैं कि मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी (manmohan singh vs narendra modi) में से बेहतर प्रधानमंत्री कौन है। मनमोहन सिंह ने बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘मुझे नहीं लगता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं। मैं मानता हूं कि समकालीन मीडिया या विपक्ष की तुलना में इतिहास का रुख मेरे प्रति अधिक उदार होगा।’ हमें भी बेहतर प्रधानमंत्री वाले सवाल पर आंसर शीट ब्लैंक छोड़ देते हैं। इस पर इतिहास को ही लिखने देते हैं कि कौन ज्यादा बेहतर प्रधानमंत्री था… मनमोहन सिंह या फिर नरेंद्र मोदी।

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Piyush Kumar
Piyush Kumar

पीयूष कुमार एक अनुभवी बिजनेस जर्नलिस्ट हैं, जिन्होंने Banaras Hindu University (BHU)
से शिक्षा ली है। वे कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। वित्त, शेयर बाजार और निवेश रणनीतियों पर उनकी गहरी पकड़ है। उनकी रिसर्च-बेस्ड लेखनी जटिल फाइनेंशियल विषयों को सरल और प्रभावी रूप में प्रस्तुत करती है। पीयूष को फिल्में देखने और क्रिकेट खेलने का शौक है।

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