Vodafone Idea: कर्ज के जाल में कैसे फंसी वोडाफोन आइडिया, क्या दोबारा बना पाएगी दबदबा?

Vodafone Idea Crisis History: फीनिक्स (Phoenix) एक अमरपंक्षी है, जिसका जिक्र यूनानी, भारतीय और रोमन समेत कई सभ्यताओं की पौराणिक और दंतकथाओं में मिलता है। इस पक्षी का जीवन चक्र 500 से 1000 साल होता है। इसके पूरा होने पर यह अपने इर्द-गिर्द टहनियों का घोसला बनाता है और उसमें जल जाता है। घोसला और पक्षी दोनों राख बन जाते हैं, और उस राख से फीनिक्स का पुर्नजन्म होता है।

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) भी जब डूबने की कगार से उबरी, तो लोगों को लगा कि इसका फीनिक्स की तरह पुर्नजन्म हुआ है। यह फिर से आसमान की बुलंदियों को छुएगी। लेकिन, असल कहानियों का अंजाम अमूमन दंतकथाओं जैसा नहीं होता। आइए समझते हैं कि वोडाफोन आइडिया कैसे वित्तीय संकट में फंसी और इसके दोबारा सफल होने की कितनी उम्मीदें हैं।

वोडाफोन की भारत में एंट्री कैसे हुई?

ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने फरवरी 2007 में हचिसन एस्सार में करीब 11 अरब डॉलर में 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली। हचिसन एस्सार उस वक्त हच नाम से भारत में टेलीकॉम सर्विस देता था। तब से भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में नाटकीय बदलाव हुए हैं। ग्राहकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई। इसका वोडाफोन को फायदा भी हुआ। वह की देश टॉप टेलीकॉम कंपनियों में शामिल हो गई।

लेकिन, फिर 3G आया और उसके साथ ही यूनिनॉर और टाटा डोकोमो जैसी नई टेलीकॉम कंपनियां आईं। इन्होंने प्रतिस्पर्धा बढ़ाई, जिससे वोडाफोन, एयरटेल और आइडिया (तब वोडाफोन और आइडिया अलग-अलग थे) जैसी पुरानी कंपनियों का एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) घटने लगा। जियो की तूफानी एंट्री ने कीमतों में भारी कटौती करके गलाकाट प्रतिस्पर्धा शुरू कर दी।

वोडाफोन आइडिया पर भारी कर्ज क्यों है?

देश की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी वोडाफोन आइडिया के कर्ज के जाल में फंसने की कुछ अहम वजहें हैं:

AGR बकाया विवाद

अगर AGR बकाये को वोडाफोन आइडिया की वित्तीय समस्याओं की जड़ कहा जाए, तो गलत नहीं होगा। इसे सरकार को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के तहत भारी बकाया भुगतान है। सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया और अन्य टेलीकॉम कंपनियों को AGR बकाया चुकाने का आदेश दिया है। इसमें वोडाफोन आइडिया पर करीब 70,320 करोड़ रुपये का बकाया है।

जियो के आने से बढ़ी मुश्किल

एक वक्त वोडाफोन आइडिया भारत के टेलीकॉम सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी थी। लेकिन, अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो (Mukesh Ambani Reliance Jio) ने टेलीकॉम मार्केट में सितंबर 2016 के दौरान एंट्री की। उसी के बाद से वोडाफोन का बुरा दौर शुरू हुआ। इससे ब्रिटिश कंपनी को साल 2018 में आदित्य बिड़ला ग्रुप की आइडिया के साथ मर्जर करना पड़ा।

Mukesh Ambani Jio

मर्जर से बढ़ी चुनौतियां

वोडाफोन और आइडिया को उम्मीद थी कि मर्जर से उनकी वित्तीय परेशानी दूर होगी और उन्हें बिजनेस चलाने में आसानी होगी। लेकिन, हुआ ठीक इसका उलटा। मर्जर की प्रक्रिया में काफी रकम खर्च हुई। इससे तालमेल बिठाने में काफी समय लगा। तब तक वोडाफोन आइडिया प्रतिस्पर्धा में जियो और एयरटेल से काफी पिछड़ गई। वह समय पर 4जी और 5जी जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी को नहीं अपना पाई। इससे उसके बहुत से ग्राहक जियो और एयरटेल के पाले में चले गए।

वोडाफोन आइडिया पर कर्ज

प्रतिष्ठित अखबार The Economic Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च, 2024 तक वोडाफोन आइडिया पर सरकार का 2,03,430 करोड़ रुपये बकाया था। इसमें से 1,33,110 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम पेमेंट और 70,320 करोड़ रुपये के AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) की देनदारी शामिल है।

सरकार को करनी पड़ी मदद

फरवरी 2023 में वोडाफोन आइडिया डूबने के कगार के पर पहुंच गई थी। ने नेटवर्क अपग्रेड, स्पेक्ट्रम फीस, और अन्य ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लिया था। लेकिन, प्रतिस्पर्धा बढ़ने से उसके सब्सक्राइबर्स और कमाई घटी और कर्ज का भुगतान करने में नाकाम रही। आखिर में सरकार को एजीआर बकाया पर अर्जित 16,133.18 करोड़ रुपये के ब्याज को 10 रुपये प्रति शेयर की इक्विटी में बदलना पड़ा। इससे उसे कंपनी में 33 फीसदी हिस्सेदारी मिल गई थी।

क्या वोडा आइडिया के अच्छे दिन आने वाले हैं?

वोडाफोन आइडिया के लिए पिछले कुछ महीनों में कई अच्छी खबरें आई हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं:

  • ब्रिटेन के वोडाफोन ग्रुप ने हाल ही में वोडाफोन आइडिया (VIL) के शेयरों के बदले लिया गया 11,650 करोड़ रुपये (10.9 करोड़ पाउंड) का बकाया चुका दिया है।
  • वोडाफोन आइडिया अपनी सेवाओं का तेजी से विस्तार कर रही है। इसने तीन साल के लिए 6.6 अरब डॉलर के कैपेक्स यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर का प्लान बनाया है।
  • कंपनी ने नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग के साथ 3.6 अरब डॉलर (करीब 30,000 करोड़ रुपये) की डील की है। इसके तहत तीनों कंपनियां तीन साल में वोडा आइडिया नेटवर्क इक्विपमेंट सप्लाई करेंगी।
  • भारत सरकार ने नवंबर 2024 के आखिर में स्थगित स्पेक्ट्रम भुगतान के लिए बैंक गारंटी की जरूरत को खत्म करने का फैसला भी किया। इससे दूसरी टेलीकॉम कंपनियों के साथ वोडाफोन आइडिया को भी बड़ी राहत मिली है।

4जी और 5जी कवरेज बढ़ा रही है वोडाफोन

वोडाफोन आइडिया अपनी 4जी कवरेज (Vodafone Idea 4G coverage) को लगातार बढ़ा रही है। कंपनी ने अपनी 5जी सर्विस (Vodafone Idea 5G coverage) की शुरुआत भी दिसंबर 2024 में की। यह फिलहाल देश के 17 सर्किल्स में उपलब्ध है। इसका मतलब है कि अपनी सर्विसेज को बेहतर करने की कोशिश कर रही है। इससे वोडाफोन आइडिया के सब्सक्राइबर्स का टूटना कम हो सकता है।

यह फिलहाल देश की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है। रिलायंस जियो 46.37 करोड़ सब्सक्राइबर्स के साथ पहले नंबर पर है। एयरटेल के पास 38.34 करोड़ और वोडाफोन आइडिया के पास 21.24 करोड़ ग्राहक हैं। सरकार भी कई मौकों पर साफ कर चुकी है कि वह बीएसएनएल के अलावा टेलीकॉम मार्केट में 3 प्राइवेट कंपनियां चाहती है। यह भी कंपनी के लिए अच्छी बात है।

वोडाफोन आइडिया पर ब्रोकरेज फर्मों की राय

वोडाफोन आइडिया पर ब्रोकरेज फर्मों का रुख काफी सकारात्मक है। यूबीएस सिक्योरिटीज (UBS Securities) का कहना है कि सरकार वोडाफोन आइडिया को मजबूत करने के लिए कुछ ठोस कदम उठा सकती है। क्योंकि वह टेलीकॉम मार्केट में रिलायंस जियो और एयरटेल की डुओपॉली (Reliance Jio and Airtel Duopoly) नहीं चाहती है। साथ ही, वोडाफोन आइडिया के पास 21 करोड़ से अधिक ग्राहक भी हैं। अगर कंपनी बंद होती है, तो इसका असर करोड़ों सब्सक्राइबर्स पर भी पड़ेगा। सरकार इस तरह की नौबत भी नहीं आने देना चाहिए।

ऑस्ट्रेलिया की ब्रोकरेज फर्म मैक्वेरी (Macquarie) का भी मानना है कि वोडाफोन आइडिया के लिए आने वाले दिन अच्छे होंगे। उसने वोडाफोन आइडिया की रेटिंग को अपग्रेड करके न्यूट्रल कर दिया है। अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन (JP Morgan) का भी मानना है कि वोडाफोन आइडिया के अच्छे दिन आ सकते हैं। वहीं, एक अन्य विदेशी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा (Nomura) ने वोडाफोन आइडिया को शेयरों को Buy रेटिंग दी है। उसने वोडा आइडिया के लिए 14 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है।

Image Source: Reliance Industries, Vodafone Idea 

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Shubham Singh
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