Trump Tariff War: टैरिफ वॉर से क्या चाहते हैं ट्रंप, भारत पर क्या होगा इसका असर?

Trump Tariff War Explained: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ के मुद्दे पर लगातार आक्रामक रुख अपनाया है। पहले उन्होंने कनाडा, मेक्सिको और चीन जैसे देशों से होने वाले आयात पर टैरिफ बढ़ाने का एलान किया था। अब ट्रंप ने अमेरिका में आने वाले सभी स्टील और एल्युमिनियम पर 25 फीसदी आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का आदेश दिया है। ट्रंप ने कहा, ‘स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ बढ़ाना बड़ा कदम है, यह अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाने की शुरुआत है। नए टैरिफ 4 मार्च से लागू होंगे और इससे किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी।’ आइए समझते हैं कि ट्रंप टैरिफ वॉर से क्या चाहते हैं, वह लगातार इंपोर्ट पर टैरिफ क्यों बढ़ा रहे हैं और उनके फैसलों का भारत क्या असर होगा?

ट्रंप ने टैरिफ वॉर क्यों शुरू की है?

ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव का अभियान ‘अमेरिका फर्स्ट’ नारे के इर्द-गिर्द घूमा था। इस मतलब है कि वह किसी भी दूसरे मुल्क के बजाय अमेरिका के हित को प्राथमिकता देने वाली नीतियों पर काम कर रहे हैं। उनका टैरिफ वॉर भी ‘अमेरिका फर्स्ट’ मुहिम का हिस्सा है। दरअसल, ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका की आयात पर निर्भरता कम हो और वहां पर जरूरी चीजों को उत्पादन बढ़े। इससे अमेरिकी जीडीपी को फायदा होगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार भी बढ़ेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति अपने मकसद को पूरा करने के लिए टैरिफ वॉर का सहारा ले रहे हैं। इससे उन्हें कई देशों पर दबाव बनाकर बेहतर सौदेबाजी करने का मौका भी मिल रहा है। यहां तक कि भारत ने भी 2025 के बजट में हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार और स्मार्टफोन पार्ट्स पर लगने वाले आयात कर को कम करने की घोषणा की। इस फैसले से दो प्रमुख अमेरिकी व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स को फायदा होगा- Harley-Davidson (हार्ले-डेविडसन) और Tesla (टेस्ला)।

टैरिफ वॉर से क्या चाहते हैं ट्रंप ?

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का मकसद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:

अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा: ट्रंप का मानना है कि विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने से अमेरिका में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

व्यापार घाटा कम करना: अमेरिका का कई देशों के साथ व्यापार घाटा है, जिसे ट्रंप संतुलित करना चाहते हैं।

चीन पर दबाव बनाना: टैरिफ का मकसद चीन को दूसरे देशों के जरिए अमेरिका में सामान बेचने से रोकना और अमेरिकी कंपनियों के लिए अधिक नरम शर्तें बनाने के लिए मजबूर करना है।

व्यापार वार्ता में फायदा उठाना: ट्रंप टैरिफ को “बर्गेनिंग टूल” की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि अमेरिका अन्य देशों से व्यापार समझौतों में अधिक रियायतें पा कर सके।

घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना: ट्रंप प्रशासन अमेरिकी स्टील और एल्युमिनियम उद्योग को मजबूत करने के लिए टैरिफ वॉर का इस्तेमाल कर रहा है।

किन देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा?

डोनाल्ड ट्रंप के नए फैसले का सबसे अधिक प्रभाव कनाडा, ब्राजील और मैक्सिको जैसे देशों पर पड़ेगा, जो अमेरिका को सबसे ज्यादा स्टील और एल्युमिनियम एक्सपोर्ट करते हैं। कनाडा अकेले अमेरिका को 50 फीसदी से ज्यादा एल्युमिनियम एक्सपोर्ट करता है। अगर यह टैरिफ लागू होता है, तो कनाडा पर इसका सबसे बड़ा असर पड़ेगा। यही वजह है कि कनाडा ने टैरिफ बढ़ाने के फैसले पर फौरन प्रतिक्रिया भी दी है।

कनाडा का कहना है कि ट्रंप का टैरिफ बढ़ाने का कदम हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा है। वहीं, कनाडा के वरिष्ठ सांसद कोडी ब्लोइस ने कहा कि उनका देश अब अमेरिका पर अपनी व्यापार निर्भरता को कम करने के तरीके तलाश रहा है। अमेरिका के भीतर कई व्यापारिक संगठनों ने इस फैसले पर चिंता जताई है, लेकिन ट्रंप का कहना है कि इससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या इससे उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ेंगी, तो उन्होंने जवाब दिया, “आखिर में यह सस्ता हो जाएगा।”

टैरिफ बढ़ाने से क्या होगा?

ट्रंप के मुताबिक, टैरिफ बढ़ाने से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। अमेरिकी कंपनियों को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का मौका मिलेगा। यही वजह है कि अमेरिकी स्टील कंपनियों के शेयरों में जोरदार तेजी आई है। हालांकि, उद्योगों को अधिक लागत चुकानी पड़ेगी, जिससे कई उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसका असर उपभोक्ताओं पर भी उन्हें भी ज्यादा दाम चुकाना पड़ेगा। अमेरिका में खासतौर पर निर्माण, पैकेजिंग और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों पर सीधा असर होगा।

डार्टमाउथ कॉलेज के प्रोफेसर डगलस इरविन ने बीबीसी से कहा कि “सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सौदेबाजी की रणनीति है या फिर वह अन्य देशों के साथ बातचीत नहीं करना चाहते हैं और वास्तव में इस तरह से इस्पात उद्योग की मदद करना चाहते हैं।” वहीं, हेरिटेज फाउंडेशन के वरिष्ठ सदस्य स्टीफन मूर का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने वाली नीति रोजगार पैदा करने में अधिक मददगार नहीं होगी। कई अमेरिकी व्यापार समूह भी टैरिफ से असहमत हैं क्योंकि इससे उत्पादन लागत बढ़ेगी।

यह टैरिफ नीति ट्रंप की 2018 की पहली टर्म की याद दिलाती है। उन्होंने उस वक्त स्टील पर 25 फीसदी और एल्युमिनियम पर 15 फीसदी टैरिफ लगाए थे। लेकिन, बाद में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और मैक्सिको जैसे कई देशों को छूट दी थी। इसीलिए अधिकतर एक्सपर्ट मान रहे हैं कि ट्रंप टैरिफ को सौदेबाजी के लिए हथियार (Bargaining Tool) के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। जो भी देश उनकी शर्तों के सामने झुक जाएंगे, उन्हें टैरिफ से छूट मिल जाएगी। बाकी सभी को ज्यादा टैरिफ चुकाना होगा।

क्या टैरिफ बढ़ाना सिर्फ व्यापार रणनीति है?

  • 2018 की तरह ट्रंप टैरिफ को “बर्गेनिंग टूल” की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • यह अमेरिका को व्यापार वार्ता में अधिक दबदबा देने की रणनीति हो सकती है।
  • चीन और रूस जैसे देश दूसरे रास्तों से सस्ता स्टील अमेरिका में भेजने की कोशिश कर रहे हैं।
  • टैरिफ बढ़ाने के फैसले से चीन और रूस के लिए ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा।

ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने का भारत पर क्या असर होगा?

स्टील और एल्युमिनियम पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के ट्रंप के फैसले का भारत पर भी प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, यह अन्य बड़े सप्लायर देशों (जैसे कनाडा, ब्राजील और मैक्सिको) जितना नहीं होगा।

भारतीय स्टील और एल्युमिनियम निर्यात पर असर

अमेरिका भारत से भी स्टील और एल्युमिनियम आयात करता है, लेकिन भारत का अमेरिकी बाजार में हिस्सा बहुत बड़ा नहीं है। भारत से अमेरिका को स्टील निर्यात करीब 6 फीसदी और एल्युमिनियम निर्यात 2 फीसदी के आसपास है। अगर अमेरिका टैरिफ लागू करता है, तो भारत से इन उत्पादों का निर्यात महंगा हो सकता है। इससे भारत की कंपनियों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा घट सकती है।

भारतीय कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा होंगे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे (Modi US Visit) पर जा रहे हैं। अगर वह ट्रंप को राजी कर लेते हैं कि मौजूदा टैरिफ वॉर में भारत को रियायत दी जाए, तो भारतीय कंपनियों को काफी फायदा हो सकता है। इस बात की संभावना इसलिए भी अधिक है, क्योंकि 2018 में जब ट्रंप ने पहली बार स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ लगाया था, तो भारत को छूट मिली थी। अगर ऐसा होता है, तो कनाडा और मैक्सिको से आयात महंगा होने के बाद अमेरिकी कंपनियां भारत जैसे अन्य बाजारों से स्टील और एल्युमिनियम खरीदने के लिए मजबूर हो सकती हैं।

भारत के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

भारत के ऑटोमोबाइल, इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्माण क्षेत्र को महंगे स्टील और एल्युमिनियम की वजह से लागत बढ़ने का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, भारत के घरेलू स्टील उत्पादकों को फायदा हो सकता है, क्योंकि अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण अन्य देशों को भारत में निर्यात बढ़ाने का अवसर मिल सकता है।

अब आगे क्या होगा?

  • क्या ट्रंप इस बार छूट देंगे? पिछले अनुभवों को देखते हुए, संभावना है कि कुछ देशों को बाद में छूट दी जा सकती है।
  • कैनेडियन सरकार प्रतिक्रिया दे सकती है, जिससे अमेरिका-कनाडा के संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
  • वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव आ सकता है, खासकर स्टील और एल्युमिनियम की कीमतों में।

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Shubham Singh
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