
Explainer: ट्रंप ने सभी देशों पर लगाया रेसिप्रोकल टैरिफ, शेयर बाजार सिर्फ भारत का क्यों गिर रहा?
मनसनी डेस्क, नई दिल्ली। पिछले 6 महीने का डेटा देखें, तो चीन के शेयर बाजार (Stock Market) ने 24 फीसदी और अमेरिका के 12 फीसदी रिटर्न दिया। लेकिन, इसी समान अवधि में भारतीय शेयर बाजार से निवेशकों को -9 फीसदी का रिटर्न मिला है। इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर को बताया जा रहा है। इससे डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariffs) सभी देशों पर लगाने का एलान किया है, तो सबसे अधिक गिरावट भारतीय शेयर बाजार में क्यों आ रही है? आइए इसकी वजह को समझते हैं।
कितना गिरा है भारत का बाजार?
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 27 सितंबर को बीएसई सेंसेक्स ने 85,978.25 अंक का अपना ऑल टाइम हाई बनाया था। यह 14 फरवरी को 75,939.21 अंक पर बंद हुआ था। इसका मतलब है कि यानी 27 सितंबर 2024 से 14 फरवरी 2025 तक सेंसेक्स 10,039.04 अंक यानी 11.67 फीसदी गिर चुका है। इसी तरह एनएसई का निफ्टी 27 सितंबर 2024 को 26,277.35 के उच्च स्तर तक पहुंचा था। 14 फरवरी 2025 को यह घटकर 22,929.25 अंक पर बंद हुआ। इस अवधि के दौरान निफ्टी भी 3,348.1 अंक यानी 12.76 प्रतिशत लुढ़क चुका है।
ट्रंप का टैरिफ वॉर: किन देशों पर असर पड़ा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों पर टैरिफ बढ़ाए हैं। इसमें चीन, यूरोपीय संघ (EU), भारत, कनाडा और मैक्सिको शामिल हैं। उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जैसे को तैसा टैरिफ लगाने का भी एलान किया है। आइए जानते है कि इसका बड़े देशों पर क्या असर होगा”
चीन: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध (Trade War) पहले से ही चल रहा था। अमेरिका ने चीनी स्टील और इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ बढ़ाया, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया।
यूरोप और कनाडा: अमेरिका ने यूरोप और कनाडा से आने वाले स्टील और एल्युमिनियम पर भारी टैक्स लगाया, लेकिन इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं मजबूत होने के कारण इनके बाजार में हलचल नहीं हुई।
भारत: अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ बढ़ाया और जनरल सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) से भी बाहर कर दिया। इसके अलावा, रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariffs) नीति अपनाई, जिससे भारतीय बाजार पर ज्यादा प्रभाव पड़ा।
भारतीय शेयर बाजार पर टैरिफ का असर ज्यादा क्यों?
ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ एलान के बाद दुनिया भर के ज्यादातर शेयर बाजार कुछ हद तक स्थिर हैं। लेकिन, भारतीय शेयर बाजार एकदम से क्रैश कर गया है। इसकी कुछ खास वजहें हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत पर अधिक असर
ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब है कि जो देश अमेरिकी उत्पादों पर जितना टैरिफ लगाएगा, उसे अमेरिकी बाजार में अपने उत्पाद बेचने के लिए उतना ही टैरिफ देना पड़ेगा। इसका मतलब है कि भारत अगर अमेरिका के कृषि उत्पादों पर 30 फीसदी टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी भारत के कृषि उत्पादों पर उतना ही टैक्स लगाएगा।
इससे अमेरिकी बाजार में भारत के कृषि उत्पाद महंगे हो जाएंगे। इसका फायदा दूसरे देशों को मिलेगा, जिनकी अमेरिका के कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम होगा। ऐसे में उनके प्रोडक्ट पर अमेरिकी भी रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत कम ही टैक्स लगाएगा।
भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ के ज्यादा असर की वजह
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारत का एवरेज टैरिफ रेट 11.66 फीसदी था। यह उदारीकरण यानी 1990-91 के पहले वाले दौर से काफी कम है, जब औसत टैरिफ 125 फीसदी तक था। लेकिन, अभी भी दूसरे देशों के मुकाबले काफी अधिक है। जैसे कि चीन का औसत टैरिफ 6.36 फीसदी और ब्रिटेन का 3.56 फीसदी है। वहीं, अमेरिका का औसत टैरिफ तो सिर्फ 2.77 फीसदी है।
इस डेटा से साफ जाहिर होता है कि रेसिप्रोकल टैरिफ का भारतीय शेयर बाजार पर सबसे अधिक असर क्यों पड़ रहा है। अगर ट्रंप भारत को रेसिप्रोकल टैरिफ में कोई राहत नहीं देते, तो अमेरिका भी भारतीय उत्पादों पर औसतन 12 फीसदी तक टैरिफ लगा देगा। यह अभी 2.77 फीसदी है। वहीं, चीन, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों पर इसका अधिक नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनका औसत टैरिफ अभी भी भारत के मुकाबले काफी कम है।
बड़े देशों का एवरेज टैरिफ
देश |
एवरेज टैरिफ रेट (%)
|
रूस | 7.10% |
चीन | 6.36% |
ब्रिटेन | 3.59% |
अमेरिका | 2.77% |
जापान | 1.99% |
सोर्स: World Bank (2022)
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के अन्य कारण
- अमेरिकी नीतियों के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।
- डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से डॉलर मजबूत हो रहा है और भारतीय रुपया कमजोर हो रहा है।
- भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर असर पड़ रहा है, खासकर स्टील, फार्मा और टेक्सटाइल जैसे सेक्टरों में।
- कमजोर रुपया भारतीय कंपनियों के लिए कच्चे माल का आयात महंगा बना रहा है।
- भारत की ज्यादातर छोटी-बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे भी काफी कमजोर आ रहे हैं।
- भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी पिछली कुछ तिमाहियों से लगातार सुस्त पड़ रही है।
अमेरिकी टैरिफ के असर से भारत कैसे बच सकता है?
- भारत को निर्यात के नए बाजार तलाशने होंगे, ताकि अमेरिकी टैरिफ का असर कम किया जा सके।
- सरकार को FDI को बढ़ावा देने और घरेलू उद्योगों को सब्सिडी देने की रणनीति अपनानी होगी।
- अगर अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ को सख्ती से लागू करता है, तो भारत को कूटनीतिक तरीके से समाधान निकालना होगा।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को रुपये की गिरावट को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाने होंगे।
- निवेशकों को लॉन्ग टर्म निवेश पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि गिरावट के बाद बाजार में स्थिरता आ सकती है।
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