Used Car Buying Guide: सेकेंड हैंड कार खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान, क्या हैं इसके फायदे और नुकसान?

मनीसनी डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में कार खरीदना हर किसी का सपना होता है, लेकिन बजट की कमी के कारण नई कार खरीदना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं होता। ऐसे में Second-Hand Car या Used Car खरीदना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसमें आपको कम कीमत में अच्छी कंडीशन वाली कार खरीदने का मौका मिल सकता है। हालांकि, सेकेंड हैंड खरीदते समय (How to Buy a Second-Hand Car in India) कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि सेकेंड हैंड कार खरीदते समय (Best Tips for Used Car Purchase) किन चीजों को जांचना चाहिए, इसके फायदे और नुकसान क्या हैं, और कौन-कौन से दस्तावेज (Documents) जरूरी होते हैं।

सेकेंड हैंड कार खरीदते समय किन बातों रखें ध्यान?

अगर आप सेकेंड हैंड कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो आपके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना काफी जरूरी है।

कार की कंडीशन की जांच करें (Check the Condition of the Car)

जब भी आप कोई पुरानी कार खरीदने जाएं, तो सबसे पहले उसकी कंडीशन की अच्छे से जांच करें। कार का Engine Condition, Tyres, Brakes, Suspension, Clutch, और Battery अच्छी स्थिति में होनी चाहिए।

Test Drive: कार खरीदने से पहले उसे टेस्ट ड्राइव जरूर लें ताकि इंजन और गियर बॉक्स की स्थिति का सही अंदाजा हो सके।

Service History: अगर संभव हो, तो कार की सर्विस हिस्ट्री जरूर देखें, जिससे पता चलेगा कि कार की देखभाल ठीक से हुई है या नहीं।

कार का माइलेज और मॉडल चेक करें (Check Mileage & Model Year)

कार का माइलेज जितना ज्यादा होगा, उतनी ज्यादा कार की कंडीशन पर असर पड़ेगा। कोशिश करें कि ऐसी कार खरीदें, जिसका माइलेज कम हो और वह लेटेस्ट मॉडल हो।

Ideal Mileage: 40,000 से 70,000 किलोमीटर तक चली हुई गाड़ी खरीदना अच्छा विकल्प माना जाता है।

Newer Model: 3-5 साल पुरानी कार खरीदने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उससे ज्यादा पुरानी कारें मेंटेनेंस के मामले में महंगी हो सकती हैं।

गाड़ी का ओनरशिप और डॉक्युमेंट्स जांचें (Verify Ownership & Documents)

सेकेंड हैंड कार खरीदते समय सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स को चेक करना न भूलें। आइए जानते हैं कि किन डॉक्युमेंट को चेक करना जरूरी है।

RC (Registration Certificate): गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट ओरिजिनल होना चाहिए।

Insurance Papers: वाहन का बीमा (Insurance) सही से अपडेटेड होना चाहिए।

Pollution Certificate: यह भी जांचें कि कार के पास वैध PUC Certificate हो।

Form 35 & NOC: अगर कार फाइनेंस पर ली गई थी, तो बैंक से No Objection Certificate (NOC) जरूर लें।

कार की असली कीमत का अंदाजा लगाएं (Know the Real Price of the Car)

कई बार डीलर या प्राइवेट सेलर कार की कीमत ज्यादा बता देते हैं। इसके लिए Car Valuation Tools का इस्तेमाल करें जैसे कि:

  • CarDekho
  • Cars24
  • OLX Autos
  • Droom

इन वेबसाइट्स पर आप किसी भी कार का सही बाजार मूल्य जान सकते हैं।

सेकेंड हैंड कार खरीदने का सही सोर्स चुनें (Choose the Right Platform to Buy a Used Car)

सेकेंड हैंड कार खरीदने के लिए कई प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं, जैसे कि –

ऑनलाइन वेबसाइट्स: OLX, CarDekho, Cars24, Droom आदि।
डीलरशिप: अधिकृत सेकेंड हैंड कार डीलर्स से खरीद सकते हैं।
डायरेक्ट ओनर से: आप बिना किसी बिचौलिए के सीधा ओनर से कार खरीद सकते हैं, जिससे कार की सही जानकारी मिल सकती है।

सेकेंड हैंड कार खरीदने के फायदे (Advantages of Buying a Used Car)

बजट फ्रेंडली (Budget-Friendly)
नई कार के मुकाबले सेकेंड हैंड कार काफी किफायती होती है। अगर आपका बजट कम है, तो आप अपने बजट में अच्छी कार खरीद सकते हैं।

लो-इंश्योरेंस कॉस्ट (Low Insurance Cost)
सेकेंड हैंड कारों का Insurance Premium नई कार की तुलना में कम होता है, जिससे पैसे बचते हैं।

स्लो डेप्रिसिएशन (Slower Depreciation)
नई कार पहले 3 साल में अपनी 40- 50 फीसदी तक वैल्यू खो देती है। वहीं सेकेंड हैंड कार का डेप्रिसिएशन स्लो होता है। इसे यूं समझिए कि मान लीजिए आपने 10 लाख की नई कार खरीदी। 3 साल बाद बेचने पर उसकी वैल्यू गिरकर 5 लाख रुपये तक आ सकती है। वहीं, अगर आप 3 लाख की सेकेंड हैंड कार खरीदते हैं, तो तीन बाद आपको 2.5 लाख तक रुपये आराम से मिल सकते हैं।

रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन की कम लागत (Low Road Tax & Registration Cost)

सेकेंड हैंड कार पर आपको कम Road Tax और RTO Fees देनी पड़ती है।

सेकेंड हैंड कार खरीदने के नुकसान (Disadvantages of Buying a Used Car)

अब फायदों के बाद सेकेंड हैंड कार खरीदने के नुकसान के बारे में भी जान लेते हैं।

हाई मेंटेनेंस कॉस्ट (High Maintenance Cost)
पुरानी कारों में नई कारों के मुकाबले ज्यादा मेंटेनेंस की जरूरत होती है। पुराने पार्ट्स की रिप्लेसमेंट महंगी पड़ सकती है।

कोई वारंटी नहीं (No Warranty)
कई पुरानी कारें बिना किसी वारंटी के आती हैं, जिससे भविष्य में खर्च बढ़ सकता है।

लिमिटेड फाइनेंसिंग ऑप्शन (Limited Financing Options)
सेकेंड हैंड कार के लिए लोन लेना नई कार की तुलना में कठिन होता है, और ब्याज दरें भी ज्यादा होती हैं।

फर्जीवाड़े का खतरा (Risk of Fraud)
कई बार डीलर कार की गलत जानकारी देकर ज्यादा कीमत वसूलने की कोशिश करते हैं।

सेकेंड हैंड कार खरीदना चाहिए या नहीं?

अगर आप सेकेंड हैंड कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो उसके फायदे और नुकसान के बारे में अच्छे से विचार कर लें। कार की कंडीशन, माइलेज, डॉक्युमेंट्स और ओनरशिप को अच्छे से वेरिफाई करें। सेकेंड हैंड कार खरीदने से पहले पूरी रिसर्च करें और किसी भरोसेमंद सोर्स से ही खरीदें।

अगर आप कम बजट में अच्छी कार खरीदना चाहते हैं और थोड़ी मेंटेनेंस एक्सपेंस झेल सकते हैं, तो Used Car एक शानदार विकल्प हो सकता है। लेकिन, अगर आप बिना झंझट के एक नई और कम मेंटेनेंस वाली कार चाहते हैं, तो सेकेंड हैंड कार से बचना बेहतर होगा। फिर आपको नई कार खरीदने का ही इंतजाम करना चाहिए।

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Shikha Singh
Shikha Singh
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