मुगलों ने नेपाल पर कभी आक्रमण क्यों नहीं किया, क्या गोरखाओं से डरते थे अकबर और औरंगजेब जैसे बादशाह?

मनीसनी डेस्क, नई दिल्ली। मुगल साम्राज्य (Mughal Empire) भारतीय उपमहाद्वीप (Indian Subcontinent) में करीब 300 साल तक सबसे बड़ी ताकत रहा। मुगलों ने भारत के बड़े हिस्से पर अधिकार किया। उन्होंने अपनी धाक को दक्षिण भारत तक बढ़ाने की भी कोशिश की। इसमें कुछ हद तक सफल भी रहे। लेकिन, मुगलों ने कभी नेपाल (Nepal) को आक्रमण करने का प्रयास नहीं किया। अब सवाल उठता है कि मुगलों ने नेपाल पर आक्रमण क्यों नहीं किया। क्या नेपाल की सैन्य शक्ति (Military Strength) इतनी मजबूत थी, या इसके पीछे कोई अन्य कारण थे? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

नेपाल पर मुस्लिम शासकों के आक्रमण (Muslim Invasions on Nepal):

मुगलों की बात करने से पहले यह समझ लेते हैं कि नेपाल पर किन मुस्लिम शासकों ने हमला किया। और उसका अंजाम क्या रहा। इतिहास में भारत के दो प्रमुख मुस्लिम शासकों के नेपाल पर हमले का जिक्र मिलता है:

शम्सुद्दीन इलियास शाह (Shamsuddin Ilyas Shah, Bengal Sultanate) – 1349 ई. – बंगाल के इस सुल्तान ने नेपाल की राजधानी काठमांडू (Kathmandu) पर आक्रमण किया। उसने नेपाल को बहुत ज्यादा लूटा। लेकिन, नेपाल की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों (Geographical and Climatic Challenges) की वजह से ज्यादा समय तक टिक नहीं सका।

मीर कासिम (Mir Qasim, Nawab of Bengal) – 18वीं सदी – इस नवाब ने भी नेपाल पर हमला किया। लेकिन नेपाली गोरखा योद्धाओं (Gorkha Warriors) ने उसे आसानी से हरा दिया और पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

अब जानते हैं कि मुगलों (Mughals) ने कभी नेपाल पर आक्रमण क्यों नहीं किया। इसके पीछे कई रणनीतिक (Strategic), आर्थिक (Economic) और भौगोलिक (Geographical) कारण थे।

मुगलों के नेपाल पर आक्रमण न करने के मुख्य कारण (Reasons Why Mughals Did Not Invade Nepal):

चुनौती कारण
ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके
घोड़े, हाथी और ऊंट बेकार साबित होते
संकरी और ऊंची-नीची घाटियां
भारी सैन्य दलों को ले जाना कठिन
लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन
हथियार और खाद्य सामग्री की आपूर्ति कठिन
कठोर जलवायु
कड़ाके की ठंड और ऑक्सीजन की कमी

नेपाल की दुर्गम भौगोलिक स्थिति (Difficult Geography of Nepal):

नेपाल की प्राकृतिक संरचना इसे एक कुदरती किला (Natural Fortress) बना देती है। यह हिमालय (Himalayas) पर्वत की चोटियों से घिरा है। यहां जंग लड़ने का मतलब है कि दुश्मन की शक्ति पहले ही आधी हो जाती है। खासकर, उस जमाने में जब हेलिकॉप्टर और दूसरे आधुनिक साधन और हथियार नहीं थे।

मुगलों के पास भारी फौज थी। शाहजहां के शासनकाल के दौरान 1647 में मुगल सेना में लगभग 911,400 पैदल सेना और घुड़सवार सेना शामिल थी। मुगलों की सेना (Mughal Army) में घुड़सवार (Cavalry), हाथी (War Elephants) और ऊंट (Camels) थे। लेकिन नेपाल के पहाड़ी इलाकों में ये बेकार साबित होते। संकरे और ऊंचाई वाले रास्तों (Narrow Mountain Passes) से भारी सैन्य दलों को ले जाना मुश्किल होता। मुगलों के लिए दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों (Rugged Terrain) में हथियार और खाने-पीने की सप्लाई (Supply Chain) को बनाए रखना भी काफी मुश्किल होता है।

कठोर जलवायु और कुदरती चुनौतियां (Harsh Climate and Natural Barriers):

नेपाल का मौसम खासकर सर्दियों में काफी ठंडा (Extreme Cold Climate) होता है। मुगल सैनिकों को इस तरह के मौसम से लड़ने का तजुर्बा नहीं था। बंगाल के शम्सुद्दीन इलियास शाह की सेना (Bengal Sultanate Army) ने भीषण ठंड (Severe Cold) और मलेरिया जैसी बीमारियों (Diseases like Malaria) के तौबा बोल दी। उसे आखिर में वापस लौटना पड़ा था। ऊंचाई और ऑक्सीजन की कमी (High Altitude & Low Oxygen) भी मुगल फौज के लिए घातक साबित हो सकती थी।

नेपाल की आर्थिक अहमियत (Limited Economic Importance of Nepal):

युद्ध हमेशा सामरिक (Strategic) और आर्थिक लाभ (Economic Gain) के आधार पर लड़े जाते थे। नेपाल बेश व्यापार मार्ग (Trade Routes) के लिए अहम था। लेकिन, उसके संसाधन (Natural Resources) इतने समृद्ध नहीं थे कि मुगल साम्राज्य (Mughal Empire) के लिए उस पर आक्रमण करना फायदेमंद साबित होता। युद्ध में आने वाले खर्च (War Expenses) की तुलना में नेपाल से मिलने वाली लूट तकरीबन न के बराबर होती। नेपाल पर हमले से तिब्बत (Tibet) के साथ होने वाले मुगल व्यापार (Mughal-Tibet Trade Relations) को भी खतरा हो सकता था।

नेपाल से कोई मुगलों को कोई खतरा नहीं था (No Direct Military Threat from Nepal):

मुगल सेना आमतौर पर उन्हीं क्षेत्रों पर आक्रमण करती थी, जहां से कोई राजनीतिक (Political) या सैन्य चुनौती (Military Threat) होती थी। नेपाल का साम्राज्य (Nepalese Kingdom) कोई आक्रामणकारी ताकत नहीं था, जिससे मुगल साम्राज्य (Mughal Rule) को कोई खतरा होता। इसके बजाय, नेपाल और मुगलों के बीच तिब्बत और अन्य हिमालयी क्षेत्रों (Tibet & Himalayan Trade) में व्यापारिक संबंध थे।

नेपाल पर शासन करना मुश्किल होता (Difficult to Rule Over Nepal):

अगर मुगल किसी तरह नेपाल पर कब्जा (Mughal Conquest of Nepal) कर भी लेते, तो वहां शासन (Governance) करना मुश्किल होता। नेपाल के पहाड़ी लोग (Nepali Tribes), जो हिंदू (Hinduism) और बौद्ध (Buddhism) परंपराओं से जुड़े थे, वे इस्लामी शासन (Islamic Rule) को स्वीकार नहीं करते। उनकी ओर से लगातार विद्रोह (Revolts) होता रहता। विद्रोह को कुचलने के लिए बार-बार सैन्य दखल (Military Interventions) की जरूरत पड़ती। मुगलों के लिए बगावत को दबाना भी मुश्किल होता, क्योंकि उन्हें फिर से उतना ही खर्च करना पड़ता। यही चीज औरंगजेब के समय हुई थी। उसके साम्राज्य का बड़ा हिस्सा मराठों और दक्षिण भारत के विद्रोह को दबाने में ही निकल गया।

क्या मुगल गोरखाओं से डरते थे? (Did the Mughals Fear the Gorkhas?)

कई लोग मानते हैं कि मुगलों ने नेपाल पर कभी हमला इसलिए किया, क्योंकि गोरखा योद्धा बहुत ताकतवर थे। लेकिन, यह बात पूरी तरह से सही नहीं है।

  • गोरखा साम्राज्य का वास्तविक उभार 18वीं सदी में हुआ, जबकि मुगल साम्राज्य 17वीं सदी के आखिर तब काफी कमजोर पड़ चुका था।
  • मुगल काल में नेपाल पर मल्ला वंश (Malla Dynasty) का शासन था। गोरखाओं ने 1769 में पृथ्वी नारायण शाह के नेतृत्व में सत्ता संभाली थी।
  • नेपाली योद्धा बेशक काफी बहादुर थे, लेकिन उनके पास मुगलों जैसी विशाल सेना नहीं थी।
  • नेपाल का मुख्य बचाव उसकी भौगोलिक स्थिति थी, न कि उसकी सैन्य शक्ति।

अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के बारे में मुगलों की क्या रणनीति थी?

मुगल शासकों ने अन्य पहाड़ी क्षेत्रों जैसे कि कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी काफी कम दिलचस्पी दिखाई। अकबर ने 1586 में कश्मीर को जीता, लेकिन इसकी भौगोलिक परिस्थितियां नेपाल जैसी विकट नहीं थीं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी मुगलों की सीमित घुसपैठ थी। उन्होंने वहां भी पूरी तरह कब्जा करने का प्रयास नहीं किया। इससे जाहिर होता है कि मुगल शासन मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों पर केंद्रित था।

अगर अंग्रेजों और नेपाल के बीच युद्ध की तुलना करें, तो मुगलों के नेपाल पर हमला न करने की वजह और भी साफ हो जाती है। 1814-1816 में एंग्लो-नेपाली युद्ध (Anglo-Nepalese War) हुआ, जिसमें अंग्रेजों ने नेपाल पर आक्रमण किया। अंग्रेजों ने पूरे नेपाल को जीतने की बजाय सिर्फ उसके लाभदायक हिस्सों पर ही कब्जा किया। वहीं, नेपाल ने अपनी स्वतंत्रता बरकरार रखी। यह मुगलों की नीति से मेल खाता है, जो केवल आर्थिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों पर कब्जा करना पसंद करते थे।

क्षेत्र मुगलों की नीति
सिक्किम (Sikkim)
मुगलों ने सैन्य अभियान नहीं चलाया क्योंकि यह छोटा लेकिन कठिन पहाड़ी राज्य था।
भूटान (Bhutan)
भूटान में बौद्ध परंपराएं थीं और यह व्यापारिक मार्गों में अहम था, लेकिन मुगलों ने इसे प्रत्यक्ष नियंत्रण में लेने की कोशिश नहीं की।
तिब्बत (Tibet)
मुगलों ने तिब्बत के साथ व्यापार संबंध बनाए रखे और वहां के बौद्ध मठों को समर्थन भी दिया।

अगर मुगल नेपाल पर आक्रमण करते तो क्या होता?

अगर मुगलों ने नेपाल पर आक्रमण किया होता, तो चीजें उनके लिए काफी खराब हो सकती थीं। उन्हें बेहद मुश्किल जंग लड़नी पड़ती, जो शायद काफी लंबे वक्त तक चलती। इससे मुगलों की सैन्य ताकत कमजोर होती और उनके लिए भारत के मैदानी इलाकों पर भी कब्जा बरकरार रखना मुश्किल हो जाता। अगर नेपाल पर मुगल कब्जा भी कर लेते, तो वहां का प्रशासनिक नियंत्रण बेहद कठिन होता, और निरंतर विद्रोह होते रहते। तिब्बत और हिमालयी व्यापार मार्ग प्रभावित होते, जिससे मुगलों की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ता। यह भी मुमकिन था कि नेपाल के राजा पहाड़ों में गुरिल्ला युद्ध छेड़ देते, जिससे मुगलों को सैन्य और आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ता।

मुगल इतिहासकारों की राय (Perspectives of Mughal Historians):

अबुल फजल (Abul Fazl): मुगल इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी किताब अकबरनामा (Akbarnama) में नेपाल का जिक्र किया है। फजल ने लिखा है कि अकबर ने उत्तर भारत में स्थिरता बनाए रखने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों से मित्रवत संबंध रखना उचित समझा। मुगल साम्राज्य से नेपाल से कोई सीधा खतरा नहीं था, इसलिए उस पर आक्रमण की जरूरत नहीं थी। (स्रोत: अकबरनामा, भाग II)

बदायूनी (Badauni): अकबर के दरबार के एक अन्य इतिहासकार बदायूनी का भी यही मानना था। बदायूनी के मुताबिक, मुगलों के लिए नेपाल जैसी पहाड़ी भूमि में प्रशासन चलाना बेहद कठिन होता। वह लिखते हैं, “पर्वतीय मार्गों की कठिनाइयां और भीषण ठंड ने नेपाल पर हमले के अभियानों को तकरीबन नामुमकिन बना दिया।” (स्रोत: मुंतख़ब-उत-तवारीख)

फिरिश्ता (Firishta): राजा मुर्तजा निजाम शाह के दरबार में रहे मशहूर मुस्लिम लेखक फिरिश्ता ने मुगलों की रणनीति के बारे में विस्तार से लिखा है। उनका कहना था कि मुगल अधिक उपजाऊ और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देते थे। उनकी नजर हमेशा मैदानी इलाकों पर ज्यादा रही, जबकि नेपाल इस श्रेणी में नहीं आता था। (स्रोत: तारीख-ए-फिरिश्ता)

इससे जाहिर होता है कि मुगल अपनी सैन्य ताकत के बावजूद आक्रमण करने के बारे में रणनीतिक थे। नेपाल अपनी अभेद्य भौगोलिक स्थिति और सीमित आर्थिक महत्व के कारण मुगलों की विस्तारवादी योजनाओं से बाहर रहा। कई किंवदंतियां गोरखाओं के डर की बात करती हैं, ऐतिहासिक प्रमाण दिखाते हैं कि यह सैन्य डर नहीं, बल्कि मुगलों की रणनीतिक उदासीनता थी।

स्रोत (Sources):

  • अकबरनामा – अबुल फजल
  • मुंतख़ब-उत-तवारीख – बदायूनी
  • तारीख-ए-फिरिश्ता – फिरिश्ता

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Shubham Singh
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