Kangaroo Market Explained: बुल और बियर मार्केट सब जानते हैं, पर कंगारू मार्केट सुना है कभी?

Kangaroo Market Explained: शेयर बाजार कभी तेजी में दौड़ता है, कभी मंदी में गिरता है, लेकिन क्या हो जब मार्केट उछल-कूद करता रहे? इसे ही कहते हैं कंगारू मार्केट (Kangaroo Market)! आइए जानते हैं कि कंगारू मार्केट क्या होता है, यह किस कारण से आता है, इसका निवेशकों पर क्या प्रभाव होता है और इससे निपटने के लिए कौन-सी रणनीति अपनानी चाहिए।

Kangaroo Market क्या होता है?

स्टॉक मार्केट में कई तरह के ट्रेंड और पैटर्न देखने को मिलते हैं। इसमें Bull Market (तेजी का बाजार) और Bear Market (मंदी का बाजार) सबसे आम हैं। कंगारू मार्केट इन दोनों के बीच में आने वाला एक अनोखा पैटर्न है। यह न तो पूरी तरह बुलिश होता है और न ही पूरी तरह बियरिश, बल्कि इसमें बाजार ऊपर-नीचे झूलता रहता है, ठीक उसी तरह जैसे कंगारू कूदता है।

शेयर बाजार में कंगारू मार्केट आने के बाद लंबे समय तक कोई स्पष्ट ट्रेंड नहीं बनता। स्टॉक्स बार-बार ऊपर-नीचे होते रहते हैं, जैसे कि कंगारू उछलता है। यही वजह है कि इसे कंगारू मार्केट कहते हैं।

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कंगारू मार्केट को कैसे पहचानें?

Kangaroo Market के वक्त शेयर बाजार काफी अस्थिर (Volatile) हो जाता है। जैसे कि आज Nifty50 250 अंक बढ़ जाए, लेकिन अगले दिन 300 अंक गिर जाए। फिर अचानक से 200 अंक बढ़ जाए। आइए इसके कुछ लक्षण जान लेते हैं।

  • शेयर बाजार में कुछ समय के लिए तेजी (Rally) दिखती है, फिर अचानक गिरावट (Correction) आ जाती है।
  • हर रोज शेयर बाजार में लगातार छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं।
  • निवेशक ज्यादातर कन्फ्यूजन में रहते हैं कि आगे बाजार किस दिशा में जाएगा।
  • स्टॉक मार्केट तेजी से घटता-बढ़ता है, जिससे ट्रेंड पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
  • इस दौरान आर्थिक अनिश्चितता (Economic Uncertainty) या भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tension) जैसी चीजें अधिक हो जाती हैं।

कंगारू मार्केट क्यों बनता है?

बुल रन या बियर मार्केट की तरह कंगारू मार्केट वाला ट्रेंड बनने की भी कोई एक वजह नहीं होती। इसके पीछे अक्सर कई कारण होते हैं। जैसे कि अभी डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर (Tariff War) के चलते दुनियाभर के बाजारों में काफी अनिश्चितता (Uncertainty) देखने को मिल रही है।

कारण डिटेल
ब्याज दरों में बदलाव
जब सेंट्रल बैंक (जैसे RBI या US Fed) ब्याज दरों में बार-बार बदलाव करता है, तो बाजार अस्थिर हो जाता है।
अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता
GDP ग्रोथ, महंगाई, बेरोजगारी जैसी चीजें मार्केट को ऊपर-नीचे करती हैं।
ग्लोबल इवेंट्स
युद्ध, महामारी, ट्रेड वॉर जैसी घटनाएं निवेशकों के सेंटिमेंट पर असर डालती हैं।
कमोडिटी की कीमतें
तेल, सोना, क्रिप्टोकरेंसी जैसी चीजों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से शेयर बाजार प्रभावित होता है।
कंपनियों के तिमाही नतीजे
अगर बड़ी कंपनियों के नतीजे उम्मीद से कम या ज्यादा आते हैं, तो पूरे बाजार पर असर पड़ता है।

निवेशकों पर कंगारू मार्केट का क्या असर होता है?

  • नए निवेशकों (New Investors) के लिए ट्रेंड समझना मुश्किल होता है, जिससे गलत फैसले लेने की आशंका बढ़ जाती है।
  • इंट्राडे (Intraday) और स्विंग ट्रेडर्स (Swing Traders) को फायदा होता है, जो तेजी और मंदी दोनों से पैसे कमाना जानते हैं।
  • लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स (Long-term Investors) के लिए कंगारू मार्केट के वक्त संयम रखना चाहिए और घबराकर निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए।
  • निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित न हों। भावनात्मक फैसले लेने के बजाय फैक्ट और डेटा पर ध्यान दें।
  • कंगारू मार्केट के वक्त मार्केट सेंटीमेंट (Market Sentiment) पर काम करता है, इसलिए निवेशकों को बड़ा रिस्क (Risk) लेने से बचना चाहिए।
  • कुछ नकदी (Cash Reserve) बचाकर रखें, ताकि बाजार के गिरने पर आपको सस्ते में अच्छे शेयर (Stocks) खरीदने का मौका मिल जाए।

कंगारू मार्केट से कैसे निपटें?

अगर आप कंगारू मार्केट में फंस गए हैं या उससे बचने की तैयारी करना चाहते हैं, तो कुछ खास रणनीति (Strategies) अपना सकते हैं। इससे आपको कंगारू मार्केट की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।

स्टॉप लॉस (Stop Loss) सेट करें: कंगारू मार्केट में ट्रेडर्स के लिए स्टॉप लॉस सेट करना निहायत ही जरूरी है, ताकि अचानक गिरावट से बड़ा नुकसान न हो।

डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाएं: सिर्फ इक्विटी (Equity) पर निर्भर न रहें, बल्कि गोल्ड (Gold), बॉन्ड्स (Bonds), म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) और रियल एस्टेट (Real Estate) में भी निवेश करें।

SIP जारी रखें: शेयर बाजार कितना भी अस्थिर (Volatile) क्यों न हो, आप हमेशा SIP चालू रखें। इसका फायदा आपको लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न (Returns) के रूप में मिलेगा।

Fundamentally Strong Stocks चुनें: मजबूत ब्लूचिप कंपनियों (Bluechip Companies) में निवेश करें, जो अस्थिरता झेल सकें। इनमें भी गिरावट आएगी, लेकिन ये कमजोर कंपनियों के मुकाबले जल्दी रिकवर (Recover) हो जाएंगी।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग (Short-term Trading) सीखें: कंगारू मार्केट में स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और ऑप्शन ट्रेडिंग (Options Trading) फायदेमंद हो सकती है। इसलिए इन्हें सीखने पर ध्यान दे सकते हैं।

अगर कम शब्दों में कहें, तो कंगारू मार्केट का मतलब है अस्थिरता (Volatility) और अनिश्चितता (Uncertainty) से भरा माहौल। इसमें तेजी और मंदी दोनों का असर दिखता है। यह स्थिति खासतौर पर तब आती है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) या शेयर बाजार में बड़े बदलाव हो रहे होते हैं। जैसे कि डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वॉर (Tariff War) की वजह से हो रहा है। ऐसे समय में घबराने की बजाय स्मार्ट रणनीति अपनाना जरूरी होता है, ताकि अगर आपको फायदा न हो, तो नुकसान भी न उठाना पड़े।

कुल मिलाकर, कंगारू मार्केट उन निवेशकों के लिए चुनौती है जो सिर्फ बुल या बियर ट्रेंड को ही समझते हैं। सही रणनीति अपनाकर, इस अस्थिर बाजार में भी मुनाफा कमाया जा सकता है।

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Shubham Singh
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