Explainer: कच्चा तेल क्यों हुआ धड़ाम, किन सेक्टर को मिलेगा फायदा; जानें पूरी डिटेल

Crude Oil Price: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। इससे उन सभी सेक्टर के शेयरों में शानदार तेजी देखने को मिली, जिनमें क्रूड ऑयल का इस्तेमाल है। आइए जानते हैं कि कच्चे तेल के दाम में गिरावट की क्या वजह है, इससे किन सेक्टर की कंपनियों को फायदा होगा और आगे कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आएगी या फिर तेजी।

Crude Oil Price में गिरावट क्यों?

बाजार के जानकारों के मुताबिक, OPEC+ देशों ने अप्रैल से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। इसके बाद कच्चे तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गईं। Moneycontrol की रिपोर्ट के मुताबिक, यह 6 महीने बाद हुआ है, जब कच्चे तेल का दाम 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आया है।

एनालिस्टों का मानना है कि व्यापार युद्ध (टैरिफ वॉर) के तेज होने से कच्चे तेल की मांग को लेकर चिंता बढ़ गई है। इससे कीमतों पर और दबाव आया है। चीन और कनाडा ने भी अमेरिका के खिलाफ टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसने ग्लोबल ट्रेड में अनिश्चितता को काफी बढ़ा दिया है। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट राहुल कलंत्री ने कहा, “टैरिफ वॉर के चलते कच्चे तेल की कीमतें छह महीने के निचले स्तर पर आ गई हैं। इससे वैश्विक मांग को लेकर चिंता बढ़ गई है, जिससे तेल की कीमतों में और गिरावट देखी जा रही है।”

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को कैसे होगा फायदा?

आज कच्चे तेल की कीमतों के 6 महीने के निचले स्तर पर सबसे अधिक फायदा ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) को हुआ। इससे रिफाइनरी कंपनियों के मुनाफे और मार्जिन में सुधार होने की उम्मीद है। इसका असर बाजार में दिखा, जहां चेन्नई पेट्रो, इंडियन ऑयल (IOCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) और भारत पेट्रोलियम (BPCL) के शेयरों में 2% से 10% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

पेंट कंपनियों के शेयरों में क्यों आया उछाल?

तेल की कीमतों में गिरावट का सीधा फायदा पेंट उद्योग को भी मिलता है। पेंट मैन्युफैक्चरिंग में 300 से अधिक कच्चे माल का उपयोग होता है। इसमें से अधिकतर पेट्रोलियम-बेस्ड होते हैं। पेंट कंपनियों की कुल उत्पादन लागत का 55-60% हिस्सा कच्चे माल पर खर्च होता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से पेंट कंपनियों के लिए लागत में कटौती का रास्ता खुल जाता है। इस वजह से बर्जर पेंट्स, कंसाई नेरोलैक और एशियन पेंट्स जैसी कंपनियों के शेयरों में 2-4% की तेजी आई।

टायर कंपनियों को कैसे मिलेगा लाभ?

ब्रेंट क्रूड सिंथेटिक रबर और अलग-अलग पेट्रोकेमिकल उत्पादों का प्रमुख हिस्सा है। ये टायर मैन्युफैक्चरिंग के लिए जरूरी होते हैं। जैसे-जैसे कच्चे तेल की कीमतें नीचे गिर रही हैं, वैसे-वैसे इन कच्चे माल की लागत भी कम हो रही है। इससे टायर मैन्युफैक्चरर्स के लिए उत्पादन लागत में गिरावट आएगी और उनके मुनाफे में बढ़ोतरी होने की संभावना है। इससे अपोलो टायर्स, CEAT, बालकृष्ण इंडस्ट्रीज और MRF के शेयर में करीब 3 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली।

एविएशन सेक्टर के कैसे बनेगा बेनिफिशियरी

तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा एविएशन सेक्टर को भी फायदा मिला। विमानन कंपनियों की लागत का बड़ा हिस्सा एविएशन फ्यूल खरीदने में खर्च होता है। यही वजह है कि कच्चे तेल का भाव गिरने से स्पाइसजेट और इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) के शेयर में 4 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली।

कच्चे तेल का दाम घटने से किसे नुकसान?

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से तेल ड्रिलिंग कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। ओएनजीसी (ONGC) और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियों के लिए कच्चे तेल का सस्ता होना घाटे का सौदा हो सकती है क्योंकि कम कीमतों पर तेल बेचने से उनके मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा। इसके अलावा, इन रिफाइनरियों को इन्वेंट्री लॉस का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उन्होंने पहले जो स्टॉक ऊंची कीमतों पर खरीदा था, उसकी वैल्यू अब गिर जाएगी।

अब क्रूड की कीमतों में तेजी आएगी या गिरावट?

ब्रेंट क्रूड की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चली गईं हैं। इसमें बीते चार कारोबारी सत्रों के दौरान 6% से अधिक की गिरावट देखी गई। निवेशकों की नजर अब मॉर्गन स्टेनली के नए अनुमान पर है, जिसमें ब्रेंट क्रूड की कीमतें 2025 की दूसरी छमाही में 60 डॉलर के स्तर तक रहने की संभावना जताई गई है। अगर ऐसा होता है, तो भारत को काफी फायदा होगा, क्योंकि हम बड़े पैमाने पर कच्चे तेल का आयात करते हैं।

कुछ फैक्टर ऐसे भी हैं, जो कच्चे तेल की कीमतों को निचले स्तर पर सहारा दे सकते हैं। चीन का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई डेटा (Chinese Manufacturing PMI) उम्मीद से बेहतर आया है। इससे चीन में क्रूड ऑयल की डिमांड को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं। डॉलर इंडेक्स पांच महीने के निचले स्तर पर आ गया है। इससे भी कच्चे तेल की कीमतों को सपोर्ट मिल सकता है।

कुल मिलाकर, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारतीय रिफाइनर्स, एविएशन सेक्टर, पेंट और टायर इंडस्ट्री को फायदा हो रहा है। वहीं, वैश्विक बाजारों में तेल की मांग और टैरिफ वॉर को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। अगर यह जारी रहती है, तो कच्चे तेल की कीमतों में और भी गिरावट आ सकती है।

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Shikha Singh
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