
8th Pay Commission: किस वेतन आयोग ने कितनी बढ़ाई सैलरी, इस बार क्या होगा?
8th Pay Commission Salary Hike: भारत में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर में आजादी के लगातार लगातार बदलाव हुआ है। 1946 में जब एक कर्मचारी की न्यूनतम तनख्वाह ₹55 प्रति महीना हुआ करती थी। उस वक्त शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन यह ₹18,000 प्रति माह तक पहुंच जाएगी। लेकिन यह बदलाव अचानक नहीं आया। हर वेतन आयोग ने मुद्रास्फीति, सरकारी संसाधन, कर्मचारी संतुष्टि और आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सिफारिशें दीं। इससे सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ता गया और उनकी वित्तीय सुरक्षा मजबूत हुई।
अब 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) घोषित हो चुका है। इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होनी हैं। कहा जा रहा है कि इस बार न्यूनतम वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 तक हो सकता है। आइए देखते हैं कि अब तक के वेतन आयोगों ने कर्मचारियों के लिए क्या बदलाव किए हैं और 8वें वेतन आयोग से क्या उम्मीदें हैं।
पहला वेतन आयोग (1947)
भारत के पहले वेतन आयोग ने स्वतंत्रता के तुरंत बाद कर्मचारियों के रहने के स्तर को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया।
- न्यूनतम वेतन ₹55 प्रति माह तय किया गया।
- वेतन में समानता लाने की सिफारिश की गई।
- उच्चतम और न्यूनतम वेतन का अनुपात 1:41 रखा गया।
- मतलब कि अगर न्यूनतम वेतन 1 रुपया था, तो उच्चतम वेतन 41 रुपये।
इस आयोग ने तब के आर्थिक हालातों को देखते हुए सीमित लेकिन जरूरी बदलाव किए, हालांकि निचले तबके के कर्मचारियों को ज्यादा राहत नहीं मिल सकी।
दूसरा वेतन आयोग (1959)
- न्यूनतम वेतन ₹80 प्रति माह कर दिया गया।
- पारिवारिक भत्तों और रिटायरमेंट योजनाओं की सिफारिश की गई।
इस वेतन आयोग ने कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत किया और 1950 के दशक की आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए वेतन असमानता को कम करने का प्रयास किया।
किस वेतन आयोग में कितनी बढ़ी सैलरी?
वेतन आयोग | न्यूनतम वेतन (₹/माह) | वृद्धि (%) |
वित्तीय प्रभाव (₹ में)
|
पहला | 55 | 14 | 39.6 करोड़ |
दूसरा | 80 | 21 | 1.44 अरब |
तीसरा | 196 | 20.6 | 12.8 अरब |
चौथा | 750 | 28 | 12.8 अरब |
पाँचवां | 2,550 | 31 | 185 अरब |
छठा | 7,000 | 54 | 220 अरब |
सातवां | 18,000 | 14.3 | 1,000 अरब |
तीसरा वेतन आयोग (1973)
- न्यूनतम वेतन ₹185 प्रति माह कर दिया गया।
- महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA) की शुरुआत की गई।
- कर्मचारियों के बीच वेतन संतुलन लाने पर जोर दिया गया।
डीए की शुरुआत सरकारी कर्मचारियों के लिए गेम चेंजर साबित हुई। इससे वेतन में महंगाई के हिसाब से वृद्धि सुनिश्चित हुई।
चौथा वेतन आयोग (1986)
- न्यूनतम वेतन ₹750 प्रति माह कर दिया गया।
- आवास और यात्रा भत्ते बढ़ाने की सिफारिश की गई।
- सैलरी स्ट्रक्चर में व्यापक सुधार किए गए।
इस वेतन आयोग ने वेतन में काफी सुधार किए, लेकिन इसके लागू होने में देरी होने के कारण कर्मचारियों को असंतोष भी हुआ।
पांचवां वेतन आयोग (1997)
- न्यूनतम वेतन ₹2,550 प्रति माह कर दिया गया।
- 50% डीए को मूल वेतन में शामिल करने की सिफारिश की गई।
- कर्मचारी कल्याण योजनाओं पर जोर दिया गया।
इस आयोग की सिफारिशों ने कर्मचारियों की खरीदने की क्षमता को बढ़ाया, लेकिन इससे सरकार पर वित्तीय दबाव भी बढ़ गया।
छठा वेतन आयोग (2008)
- न्यूनतम वेतन ₹7,000 प्रति माह कर दिया गया।
- पे बैंड और ग्रेड पे प्रणाली लागू की गई।
- प्रदर्शन आधारित वेतन वृद्धि की सिफारिश की गई।
इस आयोग ने सैलरी स्ट्रक्चर को सरल और पारदर्शी बनाया। इससे कर्मचारियों को प्रमोशन की स्पष्टता मिली। हालांकि इसे लागू करने में सरकार की ओर से देरी हुई।
सातवां वेतन आयोग (2016)
- न्यूनतम वेतन ₹18,000 प्रति माह कर दिया गया।
- पे बैंड और ग्रेड पे प्रणाली हटाकर पे मैट्रिक्स लागू किया गया।
- डीए को छह महीने में एक बार संशोधित करने की सिफारिश की गई।
- पेंशन लाभों में सुधार की सिफारिश की गई।
यह आयोग कर्मचारियों के लिए सबसे बड़े वेतन सुधारों में से एक था। इससे सरकारी वेतन प्राइवेट सेक्टर के करीब पहुंचने लगा।
आठवां वेतन आयोग (2026): कितना बढ़ेगा वेतन?
अब सवाल यह है कि 8वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी कितनी बढ़ेगी? 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिससे न्यूनतम वेतन ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 हो गया था। कई एक्सपर्ट 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर अधिकतम 2.86 रहने की ससंभावना जता रहे हैं। इससे न्यूनतम वेतन ₹51,480 तक बढ़ सकता है।
हालांकि, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग जैसे कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक वेतन वृद्धि इससे कम हो सकती है, क्योंकि सरकार विभिन्न कटौतियों और वित्तीय स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय लेगी। उनके हिसाब से वेतन में 10 से लेकर अधिकतम 30 फीसदी की ही बढ़ोतरी हो सकती है।
8वें वेतन आयोग में संभावित वेतन वृद्धि
पे लेवल | मौजूदा मूल वेतन (7वें वेतन आयोग) | संभावित वेतन (8वें वेतन आयोग) | वृद्धि (लगभग) |
लेवल 1 | ₹18,000 | ₹51,480 | ₹33,480 |
लेवल 2 | ₹19,900 | ₹56,914 | ₹37,014 |
लेवल 3 | ₹21,700 | ₹62,062 | ₹40,362 |
लेवल 4 | ₹25,500 | ₹72,930 | ₹47,430 |
लेवल 5 | ₹29,200 | ₹83,512 | ₹54,312 |
लेवल 6 | ₹35,400 | ₹1,01,244 | ₹65,844 |
लेवल 7 | ₹44,900 | ₹1,28,414 | ₹83,514 |
लेवल 8 | ₹47,600 | ₹1,36,136 | ₹88,536 |
लेवल 9 | ₹53,100 | ₹1,51,866 | ₹98,766 |
लेवल 10 | ₹56,100 | ₹1,60,446 | ₹1,04,346 |
कब मिलेगा बढ़ा हुआ वेतन?
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होनी हैं। हालांकि, केंद्रीय बजट 2025-26 में वेतन आयोग के लिए कोई विशेष आवंटन नहीं किया गया। इससे आशंका जताई जा रही है कि 8वें वेतन आयोग के लागू होने में कुछ देरी हो सकती है। जैसा कि पहले कुछ वेतन आयोग के साथ हो चुका है। हालांकि, सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद है कि सरकार 1 जनवरी 2026 से उन्हें 8वें वेतन आयोग का लाभ देने लगेगी।
8th Pay Commission से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
- 8वां वेतन आयोग कब लागू होगा?
उत्तर: सरकार ने 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू करने की योजना बनाई है। हालांकि, केंद्रीय बजट 2025-26 में इसके लिए कोई विशेष आवंटन नहीं किया गया, जिससे इसके लागू होने में संभावित देरी की आशंका जताई जा रही है। - 8वें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन कितना होगा?
उत्तर: 7वें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन ₹18,000 था। विशेषज्ञों के अनुसार, 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक जा सकता है, जिससे न्यूनतम वेतन ₹51,480 तक बढ़ सकता है। - फिटमेंट फैक्टर क्या होता है और इसका वेतन वृद्धि पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तर: फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक होता है, जिससे पुराने वेतन को गुणा करके नया वेतन तय किया जाता है। 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 था, जबकि 8वें वेतन आयोग में 2.86 रहने की संभावना है। इससे सभी कर्मचारियों के वेतन में 30-40% तक की वृद्धि हो सकती है। - क्या 8वें वेतन आयोग से पेंशनभोगियों को भी फायदा होगा?
उत्तर: हां, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद पेंशनधारकों की पेंशन में भी संशोधन किया जाएगा। पेंशन में वृद्धि की दर सरकार के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगी। - क्या 8वें वेतन आयोग से केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी दोनों को फायदा होगा?
उत्तर: केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें पहले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती हैं। राज्य सरकारें अपने वित्तीय संसाधनों के अनुसार इन सिफारिशों को अपनाने का फैसला करती हैं। - क्या सरकार 8वें वेतन आयोग को रद्द कर सकती है?
उत्तर: अभी तक सरकार की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार वेतन आयोग की जगह एक नया वेतन संशोधन तंत्र ला सकती है, जिसमें हर साल महंगाई और अन्य आर्थिक कारकों के अनुसार वेतन संशोधन होगा। - 8वें वेतन आयोग में DA (महंगाई भत्ता) पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तर: 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों में DA की गणना के तरीके में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। मौजूदा व्यवस्था के अनुसार, DA हर 6 महीने में एक बार संशोधित किया जाता है और यह वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद नए बेसिक वेतन पर लागू होगा। - 8वें वेतन आयोग के तहत अधिकतम वेतन कितना होगा?
उत्तर: 7वें वेतन आयोग के तहत लेवल-18 (कैबिनेट सचिव) का अधिकतम वेतन ₹2,50,000 प्रति माह था। 8वें वेतन आयोग में यह बढ़कर ₹6,00,000 प्रति माह तक जा सकता है। - क्या 8वें वेतन आयोग के तहत ग्रेड पे और पे मैट्रिक्स में बदलाव होगा?
उत्तर: 7वें वेतन आयोग में ग्रेड पे सिस्टम को हटाकर पे मैट्रिक्स लागू किया गया था। 8वें वेतन आयोग में संभावना है कि पे मैट्रिक्स को और सरल और पारदर्शी बनाया जाएगा। - क्या 8वें वेतन आयोग के तहत सरकारी कर्मचारियों की भत्तों (Allowances) में भी बदलाव होगा?
उत्तर: हां, हर वेतन आयोग के साथ सरकार विभिन्न भत्तों में भी संशोधन करती है। महंगाई भत्ता (DA), यात्रा भत्ता (TA), चिकित्सा भत्ता और आवास भत्ता (HRA) में वृद्धि की संभावना है।
सोर्स:
- Ministry of Finance, Government of India
- DoPT – Department of Personnel & Training
- 7th Pay Commission Report
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