
AI vs Fake News: क्या मशीन हमें झूठ से बचा सकती है?
AI vs Fake news: “जो आप पढ़ या देख रहे हैं, क्या वो सच है?” अमेरिकी अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) का AI मॉडल Grok AI इन दिनों X (पहले ट्विटर) पर बड़ी हलचल मचा रहा है। यह सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की धुलाई कर रहा है, वो भी फैक्ट और डेटा के साथ।
- ‘आलू से सोना’ वाला बयान राहुल गांधी का नहीं था। Grok ने इसे फैक्ट-चेक कर क्लियर किया।
- RJD के तेज प्रताप यादव जब विक्टिम कार्ड खेल रहे थे, तो Grok ने तुरंत एक्सपोज कर दिया।
- कई फेक नैरेटिव्स जो अब तक सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से चल रहे थे, उन्हें AI अब चुनौती दे रहा है।
लेकिन सवाल बड़ा है- क्या AI हमें सच से जोड़ रहा है, लोकतंत्र को या यह भी एक नया पॉलिटिकल टूल बन रहा है?
भारत में Deepfake और फेक न्यूज के बड़े मामले
AI के आने से फेक न्यूज और Deepfake का खतरा और बढ़ गया है। हाल के कुछ केस देखिए:
- पीएम मोदी का फर्जी भाषण (2024 लोकसभा चुनाव)
- AI जनरेटेड वीडियो में मोदी एक विवादित बयान देते दिखे।
- बाद में जांच में पाया गया कि वीडियो पूरी तरह एडिटेड था।
- राहुल गांधी का मॉर्फ्ड वीडियो (2023)
- एक वायरल क्लिप में उन्हें ऐसा बयान देते दिखाया गया, जो उन्होंने कभी दिया ही नहीं।
- AI की मदद से इसे मॉडिफाई किया गया था।
- अरविंद केजरीवाल का झूठा बयान (2022)
- उनके नाम से एक एडिटेड वीडियो चला, जिसमें वे पाकिस्तान का समर्थन करते दिखे।
- यह भी AI जनरेटेड निकला।
- विद्या बालन और रश्मिका मंदाना के Deepfake
- बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन भी हाल ही में Deepfake का शिकार बनीं। सचिन तेंदुलकर, आमिर खान जैसे सितारे भी शिकार बन चुके हैं
- रश्मिका मंदाना का भी ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ, जिसमें AI-Generated Nudity थी।
अब बात सिर्फ नेताओं की नहीं, बल्कि आम जनता की निजता पर भी खतरा मंडरा रहा है।
क्या Grok AI निष्पक्ष हो सकता है?
Grok AI के मालिक एलन मस्क हैं, और उनकी राजनीति पर मजबूत राय है। सवाल उठता है—क्या AI सच में निष्पक्ष हो सकता है?
अगर AI सही डेटा पर काम करे:
- सत्ता और विपक्ष, दोनों के झूठ उजागर होंगे।
- सोशल मीडिया पर फैल रहे गलत नैरेटिव्स जल्दी पकड़ में आएंगे।
- चुनावों में जनता को सही जानकारी मिलेगी।
अगर AI किसी के कंट्रोल में चला जाए:
- यह एक प्रोपेगैंडा मशीन बन सकता है।
- फैक्ट-चेकिंग भी बायस्ड हो सकती है।
- यह सिर्फ सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में नैरेटिव सेट कर सकता है।
अभी तक Grok AI दोनों पक्षों को एक्सपोज कर रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इसे हमेशा निष्पक्ष रखा जाएगा?
मस्क, ट्रंप और AI का पॉलिटिक्स से कनेक्शन
एलन मस्क के राजनीतिक विचार हमेशा से चर्चा में रहे हैं। हालांकि वे खुद को स्वतंत्र सोच वाला व्यक्ति बताते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में उनके झुकाव को लेकर कई सवाल उठे हैं।
- 2022 में, उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर अकाउंट को रीस्टोर कर दिया, जिसे कैपिटल हिल हिंसा के बाद बैन कर दिया गया था।
- वे अक्सर डेमोक्रेट्स की नीतियों की आलोचना करते हैं और अमेरिकी दक्षिणपंथी राजनीति के प्रति नरम रुख रखते हैं।
- Grok AI की प्रतिक्रिया पैटर्न को देखें, तो यह कई बार उदारवादी विचारधारा की आलोचना ज्यादा करता है, जबकि दक्षिणपंथी एजेंडा को कम चुनौती देता है।
अगर AI ऐसे ही राजनीतिक झुकाव के साथ आगे बढ़ता रहा, तो यह निष्पक्षता के बजाय एक नए तरह के मीडिया प्रोपेगैंडा का हथियार बन सकता है।
AI लोकतंत्र के लिए वरदान या खतरा?
क्या हैं AI के फायदे:
- चुनावी पारदर्शिता – AI धांधली रोक सकता है।
- फैक्ट-चेकिंग और डेटा एनालिसिस – गलत सूचना का पर्दाफाश हो सकता है।
- सरकार की जवाबदेही बढ़ा सकता है – भ्रष्टाचार और गलत नीतियों को उजागर कर सकता है।
क्या हैं AI के नुकसान:
- Deepfake और फेक न्यूज का खतरा – झूठ फैलाने के नए हथियार बन रहे हैं।
- गोपनीयता का हनन – सरकारें AI के जरिए नागरिकों की निगरानी कर सकती हैं।
- चुनावी धांधली – AI बॉट्स पब्लिक ओपिनियन मैनिपुलेट कर सकते हैं। (जैसे 2016 अमेरिकी चुनाव में Facebook-Cambridge Analytica केस)
AI लोकतंत्र को बचा भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है- यह इस पर निर्भर करेगा कि इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता है।
AI कैसे पकड़ सकता है फेक न्यूज?
फैक्ट-चेकिंग AI टूल्स
- Google Fact Check Explorer, Logically AI, और Full Fact जैसे प्लेटफॉर्म न्यूज की सटीकता की जांच कर सकते हैं।
- AI Natural Language Processing (NLP) से खबरों का विश्लेषण कर सकता है।
Deepfake पकड़ने वाले AI टूल्स
- Microsoft, Truepic और Sensity AI वीडियो और फोटो को स्कैन कर सकते हैं।
- Reverse Image Search से फेक तस्वीरें ट्रेस की जा सकती हैं।
सोशल मीडिया मॉडरेशन
- फेसबुक और X (ट्विटर) AI फ्लैगिंग सिस्टम इस्तेमाल कर रहे हैं।
- “Potentially Misleading” टैग से गलत खबरों को रोका जा सकता है।
लेकिन क्या ये टूल्स हमेशा निष्पक्ष होंगे? या इनका इस्तेमाल भी राजनीतिक हथियार की तरह होगा? ये सबसे बड़ा सवाल रहने वाला है।
क्या AI खुद भी बायस्ड है?
- अमेरिका में एक AI जजिंग सिस्टम ब्लैक लोगों को ज्यादा अपराधी बताने लगा।
- गूगल का AI महिलाओं को CEO की बजाय असिस्टेंट की इमेज ज्यादा दिखाने लगा।
इसका मतलब साफ है—AI खुद भी बायस्ड हो सकता है। अगर इसे गलत डेटा दिया जाए, तो यह वही दिखाएगा, जो इसे सिखाया गया है।
इसलिए, AI को निष्पक्ष रखने के लिए जरूरी है कि इसे डाइवर्स और न्यूट्रल डेटा पर ट्रेंड किया जाए।
AI लोकतंत्र का भविष्य तय करेगा!
AI पूरी तरह फेक न्यूज नहीं रोक सकता, लेकिन यह एक बड़ा हथियार बन सकता है। ब्लॉकचेन जैसी टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर, यह न्यूज को ज्यादा पारदर्शी बना सकता है। अगर इसे सही तरीके से बढ़ावा दिया जाए तो यह लोकतंत्र की खामियों को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकता है।
लेकिन असली सवाल यही रहेगा- AI हमें सच से जोड़ रहा है, या यह भी एक नया पॉलिटिकल टूल बन रहा है? आपको क्या लगता है?
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