Indian Government vs Grok: मस्क के AI से सरकार की बढ़ी टेंशन, क्या लाएगी अपना सोशल मीडिया?

Indian Government vs Grok: सोशल मीडिया पर सरकारों का कंट्रोल कोई नई बात नहीं है, लेकिन एलन मस्क (Elon Musk) के Grok AI ने इस खेल को बदल दिया है। Grok की AI-जेनरेटेड जवाब देने की क्षमता और बिना सेंसर किए राजनीतिक टिप्पणी और रियल टाइम फैक्ट चेकिंग इसे बाकी प्लेटफॉर्म्स से अलग बनाती हैं।

भारत में सरकार पहले ही X (पहले ट्विटर), यूट्यूब और मेटा जैसी कंपनियों पर IT नियमों के तहत दबाव बना चुकी है। लेकिन Grok की AI-ड्रिवन ऑटोमेशन इसे सेंसरशिप से दूर ले जाने की कोशिश कर रही है। हाल ही में IT मंत्रालय ने इसके कुछ जवाबों पर आपत्ति जताई, जिससे यह साफ हो गया कि सरकार इस प्लेटफॉर्म को हल्के में नहीं ले रही। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार Grok जैसे AI मॉडल पर अंकुश लगाकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लाएगी, ताकि उसे सेंसरशिप में कोई दिक्कत न हो?

Indian Government vs Grok: सरकार का नया सिरदर्द?

जब भी कोई नया प्लेटफॉर्म आता है, सरकारें उसे अपने कानूनों के दायरे में लाने की कोशिश करती हैं। लेकिन Grok की समस्या यह है कि यह किसी भी रेगुलेशन में फिट नहीं बैठता। मस्क इसे एक फ्री-स्पीच हब बनाना चाहते हैं, जबकि सरकारें इसे अनियंत्रित खतरा मानती हैं।

Twitter और Facebook जैसे प्लेटफॉर्म पर सरकारों के पास मॉडरेशन और कंटेंट हटाने का विकल्प होता है, लेकिन AI-जेनरेटेड रिप्लाई पर लगाम लगाना आसान नहीं। यही वजह है कि भारत ही नहीं, कई देश Grok को लेकर सतर्क हो गए हैं।

Indian Government vs Grok AI: सरकार की चिंता क्यों बढ़ रही है?

  1. अनकंट्रोल्ड AI – यह बिना किसी मॉडरेशन के यूजर्स को रिप्लाई देता है।
  2. सरकारी सेंसरशिप को दरकिनार करना – X पर सरकारें कंटेंट हटवा सकती हैं, लेकिन Grok पर यह मुश्किल है।
  3. सरकार के खिलाफ बातें: Grok ने कई मुद्दों पर ऐसे फैक्ट रखें, जिन्होंने सरकार को असहज किया।
  4. फेक न्यूज और गलत जानकारी का खतरा – AI हेरफेर का शिकार हो सकता है।

अगर Grok भारत सरकार के लिए चुनौती बना रहा है, तो क्या इसका जवाब एक सरकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो सकता है?

क्या भारत सरकार अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लाएगी?

वैसे यह आइडिया नया नहीं है। आपको शायद जान कर हैरानी भी हो कि भारत सरकार के पास पहले से ही खुद का मैसेजिंग ऐप है, Sandes। इसे Google Play स्टोर पर 10 लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड भी किया है। लेकिन, ये आम लोगों के बीच कुछ खास पॉपुलर नहीं हो पाया।

प्राइवेट सेक्टर ने भी Koo और Tooter जैसे देसी सोशल मीडिट प्लेटफॉर्म लॉन्च किए, लेकिन वे भी ट्विटर का विकल्प नहीं बन सके।

सरकार के पास अपना प्लेटफॉर्म लाने के तीन बड़े कारण हो सकते हैं:

  1. सेंसरशिप में आसानी: अपना प्लेटफॉर्म होने पर सरकार विदेशी दखल के बिना कंट्रोल रख पाएगी।
  2. सोशल मीडिया पर अधिक नियंत्रण: विदेशी कंपनियों के नियमों से आजादी।
  3. राष्ट्रीय डेटा सुरक्षा: डेटा भारत में ही स्टोर हो, बाहर न जाए।
  4. सरकारी प्रचार का मजबूत जरिया: जनता तक सीधे पहुंचने का माध्यम।

लेकिन सवाल यह भी है कि क्या लोग इसे अपनाएंगे?

सरकार अपना सोशल मीडिया लाती है, तो क्या होगा?

सरकार के लिए खुद का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लाना और उसे बढ़ावा देना सिर्फ टेक्नोलॉजी का मामला नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा भी होगा। कई अहम सवाल भी खड़े होंगे, जैसे कि

  • क्या लोग सरकारी सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात रख पाएंगे?
  • क्या यह एक प्रोपेगेंडा टूल बनकर रह जाएगा?
  • क्या यूजर्स X और Meta को छोड़कर इस पर आएंगे?

इतिहास बताता है कि जब भी सरकारें इस तरह के प्लेटफॉर्म लॉन्च करती हैं, वे या तो विफल हो जाते हैं, या सिर्फ सरकारी एजेंसियों तक सीमित रह जाते हैं। उदाहरण के लिए, “Sandes” सरकारी मैसेजिंग ऐप आया, लेकिन WhatsApp के सामने टिक नहीं पाया। 

क्या सरकार के लिए अपना सोशल मीडिया मुमकिन है?

तकनीकी रूप से भारत सरकार बेशक अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बना सकती है, लेकिन इसे सफल बनाना दूसरी बात है। अगर जबरदस्ती लोगों को इस पर लाने की कोशिश हुई (जैसे TikTok बैन के बाद कुछ भारतीय ऐप्स को प्रमोट किया गया), तो यह उल्टा भी पड़ सकता है।

Grok या फिर एक्स भारत में रहेगा या बैन होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन अगर सरकार ने अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लॉन्च किया, तो सबसे बड़ा सवाल यही होगा- क्या लोग सरकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आना चाहेंगे?

इसका जवाब आसान नहीं है। Grok जैसे प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता यह दिखाती है कि लोग कम सेंसरशिप और फ्रीडम ऑफ स्पीच को ज्यादा पसंद करते हैं। अगर सरकार ने कोई नया प्लेटफॉर्म बनाया, तो यूजर्स उस पर शायद ही भरोसा करें।

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Piyush Kumar
Piyush Kumar

पीयूष कुमार एक अनुभवी बिजनेस जर्नलिस्ट हैं, जिन्होंने Banaras Hindu University (BHU)
से शिक्षा ली है। वे कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। वित्त, शेयर बाजार और निवेश रणनीतियों पर उनकी गहरी पकड़ है। उनकी रिसर्च-बेस्ड लेखनी जटिल फाइनेंशियल विषयों को सरल और प्रभावी रूप में प्रस्तुत करती है। पीयूष को फिल्में देखने और क्रिकेट खेलने का शौक है।

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