Crude Oil Crash: कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट, क्या पेट्रोल-डीजल सस्ता होगा?

क्रूड ऑयल 2021 यानी 4 साल के बाद सबसे निचला स्तर है। चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर (Trade War) और OPEC के उत्पादन बढ़ाने के फैसले ने बाजार को हिला दिया। इससे सवाल उठता है कि क्या कच्चा तेल सस्ता होने के बाद सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम भी घटाएगी।

Crude Oil Price crash: कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Prices) में शुक्रवार (4 अप्रैल 2025) को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। Brent Crude 8.2% गिरकर $64.62 प्रति बैरल और WTI Crude 8.8% गिरकर $61.05 प्रति बैरल पर आ गया। यह 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है। चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर (Trade War) और OPEC के उत्पादन बढ़ाने के फैसले ने बाजार को हिला दिया। इससे सवाल उठता है कि क्या कच्चा तेल सस्ता होने के बाद सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम भी घटाएगी।

क्रूड सस्ता, लेकिन पेट्रोल-डीजल क्यों नहीं?

लॉजिक कहता है कि जब कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो पेट्रोल-डीजल भी सस्ता होना चाहिए। लेकिन भारत में ऐसा तुरंत नहीं होता। इसकी तीन बड़ी वजहें हैं:

टैक्स से कमाई का जरिया: केंद्र और राज्य सरकारें Excise Duty और VAT के जरिए भारी कमाई करती हैं। पेट्रोल-डीजल का दाम घटाने से उनकी कमाई पर असर पड़ेगा।

डॉलर-रुपया का असर: भारत तेल आयात करता है, और अगर रुपया कमजोर (Rupee Weak) होता है, तो कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद हमें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है।

कीमतों में अनिश्चितता: कच्चे तेल की की कीमतों में कमी अल्पकालिक हो सकती है। ऐसे में कच्चा तेल जल्द दोबारा महंगा होने पर सरकार के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ाना मुश्किल हो जाएगा।

क्या सरकार पेट्रोल-डीजल का दाम घटाएगी?

तेल के दाम कम करने के लिए सरकार को Excise Duty में कटौती करनी होगी। लेकिन Economic Slowdown और Recession Fears के कारण सरकार ऐसा करने से बच सकती है। टैक्स से मिलने वाला राजस्व सरकार के लिए बेहद जरूरी है, और इससे होने वाली कमाई को कम करने का जोखिम वह नहीं उठाना चाहती।

एक्सपर्ट्स की राय: आगे क्या होगा?

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने अपने Oil Price Forecast को घटाकर दिसंबर 2025 के लिए Brent का टारगेट $66 और WTI का $62 कर दिया है। अगर तेल की कीमतें और गिरती हैं, तो सरकार पर Fuel Price Cut का दबाव बढ़ेगा। लेकिन फिलहाल, भारतीय उपभोक्ताओं को फौरन राहत (Immediate Relief) मिलने के आसार कम हैं।

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Shubham Singh
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