Dinosaur Rebirth: डायनासोर वाकई दोबारा जिंदा हो सकते हैं? क्या कहता है विज्ञान

हार्वर्ड और येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक प्रयोग कर रहे हैं, मुर्गियों के DNA में बदलाव कर उन्हें डायनासोर जैसे लक्षण देना। क्योंकि आज के पक्षी (birds) असल में डायनासोर की वंशज माने जाते हैं।

Dinosaur Rebirth: हॉलीवुड की मशहूर अदाकारा स्कार्लेट जोहानसन (Scarlett Johansson) की हालिया फिल्म Jurassic World Rebirth काफी चर्चा में है। डायनासोर को लेकर बनी यह फिल्म दुनियाभर में काफी अच्छा कलेक्शन कर रही है और एक सवाल भी उठा रहा है। साथ ही, एक सवाल भी उठा रही है- क्या डायनासोर को सच में जिंदा किया जा सकता है। क्या विज्ञान सच में इतना एडवांस हो गया है कि वह हम वाकई किसी विलुप्त (extinct) जानवर को दोबारा जिंदा कर सकते हैं, और वो भी 6.5 करोड़ साल पहले खत्म हो चुके डायनासोर को?

अब ये सिर्फ फिल्मों तक सीमित सवाल नहीं है। विज्ञान आज इस सवाल का जवाब खोजने में जुटा है, और इसमें एक नहीं, बल्कि कई देशों की रिसर्च टीमें शामिल हैं। और हां-न के साथ जवाब काफी जटिल है।

विलुप्त प्रजाति कैसे जिंदा होगी?

इस प्रक्रिया को कहते हैं, “De-extinction” यानी “विलुप्त प्रजातियों को दोबारा जिंदा करना”। इसके लिए तीन रास्ते हैं।

  1. Cloning: इस तरह से डॉली भेड़ को बनाया गया था। मतलब कि किसी पुराने जीव के DNA को लेकर उसकी हूबहू कॉपी बनाना। यह DNA किसी खाली अंडे (egg cell) में डाला जाता है। फिर उसे surrogate मां के शरीर में विकसित किया जाता है।
  2. Gene Editing (CRISPR): पुराने DNA को मॉडर्न जानवरों में डालकर नई प्रजाति बनाना भी एक रास्ता है। CRISPR तकनीक से जानवर के DNA को काट-छांट कर बदला जाता है। फिर विलुप्त प्रजातियों के जीन को जीवित जानवरों में जोड़ा जाता है। इससे एक नई, मिश्रित लेकिन पुराने जैसे गुणों वाली प्रजाति बनती है।
  3. Selective Breeding: मौजूदा जानवरों को धीरे-धीरे DNA से पुरानी प्रजाति के करीब लाना। इसमें वैज्ञानिक उन जानवरों को चुनते हैं जिनमें पुराने जीव जैसे लक्षण हों। ऐसे जानवरों को आपस में कई पीढ़ियों तक प्रजनन कराया जाता है। इससे धीरे-धीरे पुरानी प्रजाति से मिलते-जुलते जीव पैदा होने लगते हैं।

लेकिन डायनासोर के मामले में सबसे बड़ी दिक्कत है- DNA की उम्र। DNA समय के साथ टूटता है और अब तक कोई भी डायनासोर DNA पूरा नहीं मिला है।

डायनासोर को जिंदा किया जा रहै?

इसका जवाब है, हां। कम से कम कोशिश तो हो रही है। और सबसे दिलचस्प है एक प्रोजेक्ट जिसका नाम है, “Chickenosaurus”।

इसमें हार्वर्ड और येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक प्रयोग कर रहे हैं, मुर्गियों के DNA में बदलाव कर उन्हें डायनासोर जैसे लक्षण देना। क्योंकि आज के पक्षी (birds) असल में डायनासोर की वंशज माने जाते हैं। तो वैज्ञानिक मुर्गियों में पूंछ उगाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, मुर्गियों में दांत लाने के साथ पंजों और नाक की बनावट बदलने का भी प्रयास हो रहा है।

CRISPR जैसी तकनीक से मुर्गी को उल्टा evolve कराना, यही है Chickenosaurus आइडिया।

क्या Jurassic Park वाला तरीका मुमकिन है?

जुरासिक सीरीज की पहली फिल्म 1993 में आई थी, Jurassic Park। इसमें खून को मच्छर के पेट से निकाला गया था, जो एम्बर (सजिल पत्थर) में फंसा था। असल जीवन में भी वैज्ञानिकों ने एम्बर में फंसे कीड़े ढूंढे हैं, लेकिन अब तक कोई काम काम DNC (usable DNA) नहीं मिला।

6.5 करोड़ साल पुराना DNA इतना टूट चुका होता है कि उससे क्लोनिंग संभव नहीं है, कम से कम अभी तक तो नहीं।

तो फिर क्या डायनासोर लौटेंगे?

विज्ञान का मानना है कि सही मायनों में डायनासोर को 100% रूप में जिंदा करना शायद कभी मुमकिन न हो। लेकिन डायनासोर जैसे दिखने वाले, उनके कुछ गुणों वाले genetically modified जानवर जरूर बनाए जा सकते हैं।

CRISPR और Synthetic Biology मिलकर आने वाले 10–20 सालों में ऐसे जानवर बना सकते हैं जो असल में कभी पृथ्वी पर थे ही नहीं।

लेकिन डर और नैतिक सवाल भी

अगर हमने डायनासोर को जिंदा भी कर लिया, तो यह उपलब्धि से अधिक मानवता की बर्बादी बन सकती है।
अब मान लीजिए डायनासोर लौट आए, तो फिर क्या होगा?

  • क्या हम उन्हें कंट्रोल कर पाएंगे?
  • अगर वो aggressive हुए तो क्या?
  • क्या विलुप्त जानवरों को वापस लाना नैतिक है?
  • क्या यह प्रकृति के नियमों के खिलाफ नहीं होगा।

इसलिए दुनिया भर में इस पर बायोएथिक्स की बहस भी चल रही है। सवाल यह भी है कि डायनासोर को जिंदा करने का सपना, एक थ्रिल है या थ्रेट? विज्ञान इसका जवाब खोज रहा है। और अगर कोई दिन ऐसा आया, जब आपने किसी पार्क में दांतों से भरा, पंजों से गरजता डायनासोर देखा। तो समझ जाइएगा कि ये शुरुआत CRISPR और वैज्ञानिक जिद की है।

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Shubham Singh
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