Aurangzeb Jizya Tax: हिंदुओं पर जजिया क्यों लगाया था औरंगजेब ने?

Aurangzeb Jizya Tax: भारतीय इतिहास में औरंगजेब की छवि सबसे भयानक खलनायक की हो गई है। उसे सियासत में भी बुराई का प्रतीक माना जाने लगा है। इसकी कई मिसालें भी हैं।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था, तो उन्हें विपक्ष ने औरंगजेब का खिताब दे दिया था। जब महाराष्ट्र का कोई नेता अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ विद्रोह करता है तो वह औरंगजेब रूपी मुख्यमंत्री के लिए छत्रपति शिवाजी होता है। जब बिहार के मुख्यमंत्री एक मुस्लिम मंत्री को मंदिर ले जाते हैं तो उन्हें औरंगजेब से भी बदतर बताया जाता है। अब महाराष्ट्र की सियासत में एक बार औरंगजेब का जिन्न उसकी कब्र (aurangzeb controversy) से बाहर निकाला जा रहा है।

इसका लब्बोलुआब यह है कि औरंगजेब सबसे क्रूर बादशाह समझा जाता है। क्रूर राजाओं के शासन में लोगों की जिंदगी अमूमन नरक की तरह होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी महत्वपूर्ण मुगल बादशाह औरंगजेब के दौर में आम लोग किस तरह की जिंदगी बसर कर रहे थे। अर्थव्यवस्था का क्या हाल था। जिंदगी औरंगजेब से पहले या बाद वाले बादशाहों के मुकाबले बेहतर थी या फिर बदतर।

इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें औरंगजेब के शासन के सभी पहलुओं पर गौर करना होगा।

Aurangzeb के समय टैक्स और अर्थव्यवस्था कैसी थी?

औरंगजेब शुरुआत में ऐसे राजा के रूप में उभरता है जिसे कुछ हद तक प्रजा की चिंता थी। उसके परदादा अकबर ने रिपोर्टर्स का एक सिस्टम शुरू किया था जो शाही विभागों से रिपोर्ट तैयार करते थे। ऐसी ही एक रिपोर्ट औरंगजेब ने भी लिखी। इसमें कहा गया व्यापारियों और यात्रियों पर कर से हर साल 15 से 16 हजार रुपये तक की आमदनी होती है। लेकिन जिला कोषाध्यक्ष और पुलिस अधिकारी शाही खजाने को एक या फिर दो हजार रुपये से ज्यादा नहीं भेजते।

औरंगजेब ने इस पर सख्त नाराजगी भी जताई। उसका कहना था कि यह रहदारी यानी टोल टैक्स नहीं बल्कि रहजनी यानी डकैती है। उसने इस सड़क शुल्क के साथ करीब 80 अन्य करों को भी खत्म कर दिया। इनमें अधिकतर कर खाने पीने की चीजों पर थे। हालांकि अब माना जाता है कि औरंगजेब ने ये कर या तो कुछ वक्त के लिए हटाए होंगे या फिर उन्हें मुगल साम्राज्य के हर हिस्से में लागू नहीं किया होगा।

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Aurangzeb ने दोबारा जजिया कर क्यों लगाया?

औरंगजेब की बदनामी की सबसे बड़ी वजह जजिया कर है जो गैर मुस्लिम लोगों से वसूली जाती। इसे ही उसकी महजबी कट्टरता और खराब प्रशासन की सबसे बड़ी मिसाल बताया जाता है। दरअसल जजिया लगभग एक सदी से लागू नहीं था। ऐसे में औरंगजेब ने साल 1679 में जजिया फिर से लागू किया तो गैर मुस्लिमों के लिए यह बड़ी सिरदर्दी बन गया क्योंकि वे लोग पहले ही कई तरह के टैक्स के बोझ तले दबे थे।

लेकिन एक अहम सवाल यह है कि आखिर औरंगजेब को गद्दी संभालने के 22 साल बाद जजिया लगाने की जरूरत क्या थी। मध्यकालीन इतिहासकार सतीश चंद्र लिखते हैं कि उस वक्त के यूरोपीय यात्रियों ने इसकी दो वजहें बताईं। पहली वजह थी कि लगातार युद्ध के चलते मुगल शाही खजाना घट गया था। वहीं दूसरा कारण था गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कराके मुसलमान बनाना।

औरंगजेब हिंदू मुस्लिम पर अलग-अलग कर क्यों लगाता था?

दरअसल कभी कभी चीजें सिर्फ सियासत के बारे में होती हैं आस्था के बारे में नहीं। औरंगजेब ने अपने शासन की शुरुआत में ही जजिया लगाने पर विचार किया था। लेकिन इस पर अमल नहीं किया क्योंकि उसे हिंदू राजाओं से गठजोड़ करने की जरूरत थी। लेकिन 1679 तक शिवाजी के साथ उसकी बातचीत नाकाम हो गई। छोटे हिंदू राजाओं के साथ समझौते में कोई फायदा नहीं था। लिहाजा औरंगजेब की सियासी मजबूरियां दूर हो गईं और उसने जजिया वापस लागू कर दिया।

अब सवाल उठता है कि क्या औरंगजेब इस दलील से बेहतर बादशाह साबित होता है। जवाब है बेशक नहीं। लेकिन यह सबूत है कि शासकों के फैसले हमेशा सियासत के नफा नुकसान को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं। वे एक वर्ग को खुश करके दूसरे को नाराज करने का जोखिम तभी उठाते हैं जब यह सियासी तौर पर उनके लिए नुकसानदायक ना हो।

एक दूसरी मिसाल व्यापारियों पर लगने वाले कर की है। औरंगजेब ने मुस्लिम व्यापारियों के लिए टैक्स खत्म कर दिया। लेकिन इससे पहले भी मुस्लिम कारोबारियों को हिंदुओं के मुकाबले कम कर देना पड़ता था। हिंदू व्यापारियों के लिए यह टैक्स पांच फीसदी था और मुस्लिम व्यापारियों के लिए ढाई फीसदी।

लेकिन औरंगजेब निहायत कंजूस था और पैसों के मामलों में धोखा खाना उसके लिए ऐसा जुर्म था जिसे वह बर्दाश्त नहीं कर पाता था। इसलिए उसने कुछ साल बाद मुस्लिम व्यापारियों पर वापस ढाई फीसदी का कर लगा दिया। क्योंकि वे लोग अपनी छूट का इस्तेमाल करके टैक्स चोरी में हिंदू व्यापारियों की मदद कर रहे थे। इसी तरह जब डच और ब्रिटिशों ने जजिया देने से इनकार किया तो उसने आयात शुल्क दो से बढ़ाकर साढ़े तीन फीसदी कर दिया।

Aurangzeb के साम्राज्य का पतन कब और कैसे हुआ?

औरंगजेब की जिंदगी के आखिरी 27 साल और साम्राज्य के सारे संसाधन मराठों से जंग के चलते बर्बाद हो गए। औरंगजेब ने अपना पूरा दरबार ही दक्कन में लगा लिया। 1689 तक उसने बीजापुर गोलकोंडा और मराठा राज्यों पर कब्जा कर लिया। लेकिन जिंजी किले को जीतने में आठ साल निकल गए।

इन अभियानों से मुगलों के दक्कन क्षेत्र में 21 फीसदी की वृद्धि हुई। लेकिन राजस्व के मामले में इनसे कुछ खास लाभ ना हुआ क्योंकि मराठे छापामार आक्रमण करने लगे। मुगल सेना उन पर जवाबी हमला करती। किसान इस लगातार चलने वाली जंग में फंसना नहीं चाहते थे और वे वहां से भाग गए। मुगलिया सल्तनत के लिए राजस्व जुटाना मुश्किल हो गया। मुगल सिपहसालार अक्सर उन बची हुई जमीनों के लिए लड़ने लगे जहां से कुछ राजस्व निकाला जा सकता था।

इन सबके चलते शाही खजाने में लगातार कमी होने लगी। दक्कन के युद्धों में औरंगजेब को प्रति वर्ष एक लाख सैनिक और तीन लाख जानवर जैसे कि घोड़े बैल ऊंट और हाथी खर्च करने पड़े। और एक स्थायी सेना को हर समय तैयार रखने का मतलब था उत्तर की ओर से अधिक से अधिक सेनाएं लाना। सेनाओं की भी हौसला जवाब देने लगता कि कब तक वहां रहेंगे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई कभी ना खत्म होने वाला युद्ध लड़ा जा रहा हो।

औरंगजेब को अंतिम दिनों में किस बात का पछतावा था?

अपने आखिरी समय में औरंगजेब को भी अहसास हो गया कि दक्कन पर ज्यादा ध्यान देना उसकी गलती थी। 88 साल के औरंगजेब ने अपने आखिरी पत्र में लिखा मेरा बुढ़ापा आ गया है। कमजोरी ने मुझे पूरी तरह जकड़ लिया है। अब मैं साम्राज्य का संरक्षक नहीं रह गया हूं। मेरी जिंदगी का बेशकीमती वक्त फिजूल की जंग में बीत गया।

1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गई। उसके तीन बेटे उत्तराधिकार के लिए एक दूसरे से लड़े और दूसरा बेटा जीत गया। पांच साल बाद उसकी मृत्यु हो गई। और दक्कन के जिन प्रांतों पर कब्जे के लिए औरंगजेब ने अपने शासन का आधे से अधिक समय लगाया वे अगले कुछ ही साल में स्वतंत्र हो गए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ Section)

Q1. औरंगजेब ने जजिया कर क्यों लगाया था?

औरंगजेब ने 1679 में जजिया कर फिर से लागू किया, क्योंकि लगातार युद्धों के कारण शाही खजाना खाली हो रहा था। यह कर गैर-मुस्लिमों से वसूला जाता था।

Q2. क्या औरंगजेब के शासन में हिंदुओं पर ज्यादा कर लगाया जाता था?

हां, हिंदू व्यापारियों पर मुस्लिम व्यापारियों के मुकाबले दोगुना टैक्स (5% बनाम 2.5%) लगता था। हालांकि बाद में मुस्लिम व्यापारियों पर भी टैक्स बढ़ा दिया गया।

Q3. क्या औरंगजेब ने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करवाया था?

इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब के शासनकाल में व्यापक धर्मांतरण के कोई ठोस सबूत नहीं मिलते।

Q4. औरंगजेब की मृत्यु के बाद क्या हुआ?

1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ गया और 50 सालों के भीतर मराठों और ब्रिटिशों ने सत्ता हासिल कर ली।

संदर्भ स्रोत:

  1. सतीश चंद्रमध्यकालीन भारत (Medieval India) (PDF लिंक)
  2. आब्दुल्लाह (Aurangzeb’s Court Historian)Maasir-i-Alamgiri (Translation by Jadunath Sarkar) (Amazon लिंक)
  3. जे.एन. सरकार (Jadunath Sarkar)History of Aurangzib: Based on Original Sources (Archive लिंक)
  4. ऑड्रे ट्रुशके (Audrey Truschke)Aurangzeb: The Man and the Myth (Goodreads लिंक)

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Piyush Kumar
Piyush Kumar

पीयूष कुमार एक अनुभवी बिजनेस जर्नलिस्ट हैं, जिन्होंने Banaras Hindu University (BHU)
से शिक्षा ली है। वे कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। वित्त, शेयर बाजार और निवेश रणनीतियों पर उनकी गहरी पकड़ है। उनकी रिसर्च-बेस्ड लेखनी जटिल फाइनेंशियल विषयों को सरल और प्रभावी रूप में प्रस्तुत करती है। पीयूष को फिल्में देखने और क्रिकेट खेलने का शौक है।

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