Budget 2025: कैसे बनता है बजट, बनाने वाली टीम पर पहरा क्यों लगाती है सरकार?

Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी 2025 को Modi 3.0 का दूसरा आम बजट (Union Budget) पेश करेंगी। यह उनका लगातार आठवां पूर्ण बजट होगा। अब उनसे आगे सिर्फ मोरारजी देसाई रहेंगे, जिन्होंने कुल 10 बार बजट पेश किए थे। इस लेख में हम जानेंगे कि बजट क्या होता है और इसे कैसे तैयार (Budget Preparation) किया जाता है। इसे तैयार करते वक्त किन बातों का ध्यान रखा जाता है। और बजट बनाने वाली टीम पर पहरा क्यों लगाया जाता है।

आम बजट (Union Budget) क्या है?

बजट को अब देश का वित्तीय दस्तावेज समझ सकते हैं। जैसे कि आप घर में बजट बनाते हैं कि राशन पर कितना खर्च करना है, परिवार के किसी बीमार सदस्य के इलाज में कितने पैसे लगेंगे और बच्चों की पढ़ाई पर कितना पैसा खर्च होगा। इसी तरह वित्त मंत्री पर देश का बजट बनाने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन बड़े पैमाने पर। इसमें पिछले वित्त वर्ष की आय और खर्च का ब्योरा होता है। साथ ही, अगले वित्त वर्ष के लिए राजस्व जुटाने और खर्च करने की योजना भी होती है।

बजट कैसे तैयार किया जाता है?

सरकार बजट पेश करने की तैयारी करीब 6 महीने पहले शुरू कर देती है। Nominal GDP के आधार पर देश का बजट तैयार होता है, जो देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा बाजार कीमतों का हिसाब होता है। सरकार विभिन्न administrative bodies से आंकड़े जुटाती है। इससे अनुमान लग जाता है कि किस विभाग को कितने फंड की जरूरत है। इसके बाद अलग-अलग मंत्रालयों को तय राशि का आवंटन किया जाता है।

बजट बनाने में कौन लोग शामिल रहते हैं?

वित्त मंत्री (Finance Minister) की देखरेख में  बजट तैयार होता है। लेकिन, इसमें Finance Secretary, Revenue Secretary, और Expenditure Secretary की भी अहम भूमिका होता है। इन्हें प्रधानमंत्री (Prime Minister) और सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग (Niti Aayog) की मदद भी मिलती है। वित्त मंत्री बजट पेश करने से पहले उद्योग प्रतिनिधियों और अलग-अलग संगठनों से सलाह-मशविरा करती हैं, ताकि उनकी उम्मीदों को बजट में पूरा किया जा सके।

बजट में किस तरह की जानकारियां दी जाती हैं?

बजट में सरकार की आय और खर्च (Government’s Revenue and Expenditure) का पूरा लेखाजोखा होता है। सरकार के revenue sources जैसे कि टैक्स (direct and indirect taxes) और नॉन-टैक्स रेवेन्यू का ब्योरा दिया जाता है। इसके अलावा, सरकार यह भी बताती है कि किस योजना पर कितना खर्च किया जाएगा। उदाहरण के लिए, आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) और स्वच्छ भारत (Swachh Bharat) जैसी योजनाओं पर खर्च की प्लानिंग।

साथ ही, सरकार यह भी बताती है कि उसने जो कर्ज (Borrowings) लिया है, उसके ब्याज पर कितना खर्च हो रहा है। सरकार का मुख्य लक्ष्य राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) को नियंत्रित करना होता है। अगर सरकार का खर्च उसके राजस्व से अधिक हो, तो इसे बजट घाटा कहा जाता है।

हलवा समारोह और लॉक-इन पीरियड

बजट पेश होने से एक हफ्ते पहले हलवा समारोह (Halwa Ceremony) आयोजित किया जाता है। इस दौरान बजट टीम के सदस्य हलवा खाते हैं और यह एक पारंपरिक तरीका है, जो बजट की गोपनीयता (budget secrecy) बनाए रखने के लिए किया जाता है। इसका मकसद होता है कि बजट से जुड़ी कोई भी जानकारी लीक न हो, क्योंकि उसका शेयर मार्केट और दूसरी चीजों पर गंभीर असर पड़ सकता है।

हलवा सेरेमनी के बाद बजट टीम सख्त पहरे में रहती है और सार्वजनिक जीवन से कट जाती है। उन्हें किसी से मिलने-जुलने की इजाजत नहीं होती। यहां तक कि वे परिवार से भी बात नहीं कर सकते। इसे लॉक-इन पीरियड (Lock-in Period) कहते हैं। बजट तैयार करने वाले लोग वापस पब्लिक तभी होते हैं, जब वित्त मंत्री अपना बजट भाषण खत्म कर लेती हैं।

बजट से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारत का पहला बजट Shanmugam Chetty ने 26 नवम्बर 1947 को पेश किया था।
  • मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के रूप में सबसे ज्यादा 10 बजट पेश किए।
  • 1955 तक बजट केवल अंग्रेजी में छपता था, फिर यह हिंदी में भी छपने लगा।
  • 2017 से पहले Rail Budget अलग था, लेकिन अब यह आम बजट में मर्ज हो गया है।
  • इंदिरा गांधी 1970 में बजट पेश करने वाली पहली महिला वित्त मंत्री थीं।

यह भी पढ़ें: Manmohan Singh न होते तो क्या 1991 में दिवालिया हो जाता भारत?

Shubham Singh
Shubham Singh
Articles: 135