India Pakistan War: क्या परमाणु मिसाइल को रोक सकता है भारत? क्या है हमारी ताकत?

क्या भारत परमाणु मिसाइल को रोक सकता है? जानिए देश के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम की ताकत और सीमाएं, S-400 से लेकर PAD-AAD तक की तैयारी।

India Missile Defense System:भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव हद से ज्यादा बढ़ गया है। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक की। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के कई हिस्सों पर हमले का प्रयास किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने न्यूक्लियर बॉडी यानी परमाणु हथियारों की देखरेख करने वाली संस्था के साथ मीटिंग की है। इसका मतलब है कि अगर मामला बिगड़ता है, तो बात परमाणु हथियारों के इस्तेमाल तक भी जा सकती है, क्योंकि दोनों ही देश यानी भारत और पाकिस्तान परमाणु शक्ति से लैस हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान अगर भारत पर परमाणु हमला करे, तो क्या हमारे पास उसे हवा में ही नष्ट करने की क्षमता (India Missile Defense System) है? यह सवाल सिर्फ सैन्य रणनीति का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और करोड़ों नागरिकों के जीवन से जुड़ा है। भारत पिछले दो दशकों से जिस मेहनत से बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम विकसित कर रहा है, उसका मुख्य उद्देश्य ही यही है- परमाणु मिसाइल को लॉन्च के कुछ ही मिनटों में डिटेक्ट कर इंटरसेप्ट यानी नष्ट करना।

क्या परमाणु मिसाइल को रोका जा सकता है?

इस सवाल का जवाब है, हां। परमाणु मिसाइल को रोका (intercept) या डिटेक्ट (detect) किया जा सकता है। लेकिन, ये बहुत मुश्किल और तकनीकी रूप से जटिल काम है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं:

1. डिटेक्शन (Detect) कैसे होता है?

परमाणु मिसाइल के लॉन्च को डिटेक्ट करने के लिए बड़े देशों के पास ये सिस्टम होते हैं:

  • अर्ली वॉर्निंग रडार्स (जैसे अमेरिका का “PAVE PAWS“)
  • सैटेलाइट सेंसर (जो इंफ्रारेड से रॉकेट का हीट सिग्नल पकड़ते हैं)
  • सर्विलांस एयरक्राफ्ट और ग्राउंड स्टेशन

जैसे ही मिसाइल छोड़ी जाती है, ये सिस्टम उसे सेकंड्स के अंदर पकड़ लेते हैं।

2. इंटरसेप्शन (Intercept) कैसे होता है?

मिसाइल को रोकने के लिए “मिसाइल डिफेंस सिस्टम” का इस्तेमाल होता है। जैसे:

  • THAAD (Terminal High Altitude Area Defense)
  • S-400 (रशियन डिफेंस सिस्टम)
  • Iron Dome (इजराइल)
  • भारत का PAD और AAD सिस्टम (Ballistic Missile Defence – BMD)

ये सिस्टम दुश्मन की मिसाइल को बीच में ही हवा में मार गिराने की कोशिश करते हैं। लेकिन, ये काफी मुश्किल होता है कि दुश्मन देश के सभी हमले को रोका जा सके।

परमाणु हमले को रोकना मुश्किल क्यों है?

  1. बहुत तेज स्पीड: ICBM (Intercontinental Ballistic Missile) 24,000 km/h से ज्यादा की रफ्तार से आती है।
  2. बहुत कम समय: आपके पास सिर्फ 5-10 मिनट होते हैं रिएक्ट करने के लिए।
  3. डमी और असली का फर्क: दुश्मन अक्सर एक साथ कई नकली और एक असली मिसाइल भेजता है। असली को पहचानना मुश्किल होता है।
  4. Multiple Warheads (MIRVs): एक ही मिसाइल में कई परमाणु हथियार हो सकते हैं जो अलग-अलग जगह गिर सकते हैं।

भारत के पास क्या विकल्प हैं?

भारत ने दो-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित किया है:

  • PAD (Prithvi Air Defence): हाई-एल्टीट्यूड पर मार करता है।
  • AAD (Advanced Air Defence): निचली ऊंचाई पर इंटरसेप्ट करता है।
  • साथ ही भारत ने S-400 सिस्टम भी रूस से लिया है, जो हवा से आने वाली कई तरह की मिसाइलों को रोक सकता है।

कितनी कारगर है भारत की तैयारी?

परमाणु हमले की स्थिति में सबसे अहम होता है पहले डिटेक्ट करना और फिर इंटरसेप्ट करना। भारत की तैयारियों में कई बातें गौर करने लायक हैं:

  • DRDO ने अब तक कई सफल परीक्षण किए हैं, जिनमें नकली बैलिस्टिक मिसाइलों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया गया।
  • भारत ने रूस से S-400 ट्रायंफ एयर डिफेंस सिस्टम भी हासिल किया है, जो 400 किमी की रेंज तक हवा में किसी भी खतरे को खत्म कर सकता है- चाहे वह लड़ाकू विमान हो, क्रूज मिसाइल हो या बैलिस्टिक मिसाइल।

हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि परमाणु हथियारों से लैस ICBM (Intercontinental Ballistic Missiles) को रोकना कहीं अधिक जटिल है, खासकर अगर वे MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) तकनीक के साथ आएं। इसमें एक ही मिसाइल से कई वारहेड्स निकलते हैं, जो अलग-अलग शहरों को निशाना बना सकते हैं।

अगर कम शब्दों में कहें, तो परमाणु मिसाइल को डिटेक्ट और रोका जा सकता है, लेकिन यह 100% गारंटी वाला सिस्टम नहीं होता। एक भी मिस से भारी तबाही हो सकती है, इसलिए दुनिया में परमाणु हथियारों को रोकने की कोशिश सिर्फ डिफेंस से नहीं, डिप्लोमैसी और डर (Mutual Assured Destruction) से होती है।

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Shubham Singh
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