Natural Farming: प्राकृतिक खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर? श्रीलंका और जापान से क्या सीख सकता है भारत

मनीसनी डेस्क, नई दिल्ली। भारत में पिछले कुछ साल से नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) यानी प्राकृतिक खेती पर काफी जोर दिया जा रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि देशभर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही राष्ट्रीय स्तर की समिति गठित की जाएगी। यह किसानों को नेचुरल फार्मिंग के फायदे बताएगी और उनके लिए जरूरी ट्रेनिंग का बंदोबस्त भी करेगी। सरकार कुदरती खेती को लगातार बढ़ावा दे रही है ताकि कृषि को अधिक टिकाऊ (Sustainable) बनाया जा सके। इससे किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है। हालांकि, नेचुरल फार्मिंग के फायदे के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि नेचुरल फार्मिंग क्या है, सरकार इसे क्यों बढ़ावा दे रही है, और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं।

नेचुरल फार्मिंग क्या है? What is Natural Farming?

जैसा कि नाम से ही जाहिर है, नेचुरल फार्मिंग का मतलब है खेती का कुदरती तरीका। किसानों ने खेती के लिए बड़े पैमाने पर रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल हरित क्रांति के बाद शुरू किया। उससे पहले ज्यादातर किसान प्राकृतिक संसाधनों के जरिए ही खेती करते थे। इस पद्धति में जैविक खाद, गाय के गोबर, गोमूत्र, फसल अवशेष और अन्य कुदरती चीजों का इस्तेमाल होता है। यह शून्य बजट प्राकृतिक खेती (Zero Budget Natural Farming – ZBNF) का भी हिस्सा है। इसमें मिट्टी, पानी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना खेती की जाती है।

सरकार नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा क्यों दे रही है?

भारत सरकार लंबे समय से नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से छुटकारा: किसान उपज बढ़ाने के लिए हद से ज्यादा रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। नेचुरल फार्मिंग इसे रोकने में मदद करेगी।
  • किसानों की लागत में कमी: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की खरीद पर काफी ज्यादा पैसे खर्च करते हैं। नेचुरल फार्मिंग इसे भी बचा सकती है।
  • मृदा और जल संरक्षण: नेचुरल फार्मिंग पद्धति से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। इसमें पानी की खपत कम होती है।
  • जैव विविधता को बढ़ावा: प्राकृतिक खेती से कीट-प्रतिरोधक फसलों का उत्पादन बढ़ता है। इससे पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होता है।
  • रसायन मुक्त खाद्य पदार्थ: नेचुरल फार्मिंग से पैदा होने वाले खाद्य उत्पाद जैविक होते हैं। यह इंसानी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं और इनसे कई बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।

नेचुरल फार्मिंग के प्रमुख फायदे

फायदे डिटेल
मृदा उर्वरता में सुधार
जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है।
पानी की बचत
यह पारंपरिक खेती की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
लागत में कमी
किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर खर्च नहीं करना पड़ता।
बढ़ी हुई जैव विविधता
यह खेती पर्यावरण के अनुकूल होती है और जैव विविधता को बनाए रखती है।
रसायन-मुक्त खाद्य पदार्थ
उपभोक्ताओं को शुद्ध और स्वस्थ भोजन मिलता है।
दीर्घकालिक लाभ
लंबे समय में यह टिकाऊ खेती का एक मजबूत विकल्प बन सकता है।

नेचुरल फार्मिंग के नुकसान

नुकसान डिटेल
कम उपज (Initial Yield Loss)
शुरुआत में पारंपरिक खेती की तुलना में उपज कम हो सकती है।
तकनीकी ज्ञान की कमी
किसानों को इस पद्धति के बारे में उचित प्रशिक्षण की जरूरत होती है।
बाजार में सीमित स्वीकृति
नेचुरल फार्मिंग उत्पादों की उचित मार्केटिंग की समस्या हो सकती है।
कीट और रोग नियंत्रण की चुनौती
रासायनिक कीटनाशकों के बिना फसलों को कीटों से बचाना मुश्किल हो सकता है।

श्रीलंका में नेचुरल फार्मिंग: सफलता या नाकामी?

श्रीलंका सरकार ने 2021 में 100 फीसदी ऑर्गेनिक फार्मिंग अपनाने का फैसला किया। उसने रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। लेकिन इस फैसले से उत्पादन में भारी गिरावट आई और जनता के खाद्य संकट पैदा हो गया। इसके बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। श्रीलंका का यह कड़वा तजुर्बा बताता है कि अगर अचानक से कोई देश नेचुरल फार्मिंग को अपना लेता है, तो उसे भारी फूड सप्लाई ध्वस्त हो सकती है। ऐसे में नेचुरल फार्मिंग अपनाने से पहले संतुलित नीति बनाने की कोशिश होनी चाहिए, जैसा कि भारत करने की कोशिश कर रहा है।

अन्य देशों में नेचुरल फार्मिंग के उदाहरण

जापान: जापान के किसान और दार्शनिक फुकुओका मासानोबू (Masanobu Fukuoka) प्राकृतिक खेती पद्धति से जैविक खेती करने के लिए मशहूर हैं। वह उन किसानों और सरकारों के लिए सबसे शानदार मिसाल हैं, जो कुदरती खेती को अपनाना चाहती हैं। उन्होंने खेती का खास तरीका बनाया था, बीज बॉल रोपण विधि। इसमें किसान काफी मशीन, केमिकल और ज्यादा निराई-गुड़ाई के बिना भी अच्छी फसल पैदा कर सकते हैं।

ब्राजील: ब्राजील में जैविक खेती तेजी से बढ़ रही है। ब्राजील का जैविक कृषि बाजार दुनिया में सबसे बड़ा है। यह घरेलू खपत के साथ वैश्विक निर्यात के लिए भी काफी अहम है। किसानों को सरकारी योजनाओं, प्रमाणन प्रक्रियाओं और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उच्च मांग का फायदा मिल रहा है। ब्राजील में प्राकृतिक खेती टिकाऊ विकास और ग्रामीण समुदायों के लिए एक सकारात्मक बदलाव का स्रोत बन चुकी है।

जर्मनी: यूरोपीय यूनियन के कई अन्य देशों की तरह जर्मनी में जैविक खेती का चलन काफी बढ़ चुका है। यह देश यूरोप में जैविक कृषि का सबसे बड़ा बाजार है। जर्मनी सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई नीति-निर्माण और सब्सिडी योजनाएं लागू की हैं। इससे किसान रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल कम करने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर सकते हैं। जर्मनी में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर सुपरमार्केट्स में। इससे यह काफी लोकप्रिय और लाभकारी कृषि पद्धति बन रही है।

भारत में नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने वाली योजनाए

  • परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की प्रमुख योजना।
  • राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (NMSOF): किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए सब्सिडी और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • नीम कोटेड यूरिया: सरकार ने यूरिया पर नीम कोटिंग अनिवार्य कर दी है जिससे इसका अत्यधिक उपयोग रोका जा सके।
  • Zero Budget Natural Farming (ZBNF): यह एक मॉडल है जिसे आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. सवाल: क्या नेचुरल फार्मिंग पूरी तरह से रासायनिक उर्वरकों को हटा देती है?
    जवाब:
    हां, नेचुरल फार्मिंग में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता।
  2. सवाल: क्या नेचुरल फार्मिंग से फसल की पैदावार कम होती है?
    जवाब: शुरुआत में उपज कम हो सकती है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से मिट्टी की उर्वरता बढ़ने से उत्पादन स्थिर हो जाता है।
  3. सवाल: किसानों को नेचुरल फार्मिंग अपनाने के लिए क्या मदद मिलती है?
    जवाब: सरकार कई योजनाओं के तहत सब्सिडी, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
  4. सवाल: क्या नेचुरल फार्मिंग पर्यावरण के लिए फायदेमंद है?
    जवाब: हां, यह मिट्टी, जल स्रोतों और जैव विविधता के संरक्षण में मदद करता है।
  5. सवाल: क्या नेचुरल फार्मिंग लाभकारी व्यवसाय बन सकता है?
    जवाब: हां, जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण यह किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकता है।

सोर्स:

  • भारत सरकार – कृषि मंत्रालय
  • FAO – Food and Agriculture Organization
  • ICAR – Indian Council of Agricultural Research

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Piyush Kumar
Piyush Kumar

पीयूष कुमार एक अनुभवी बिजनेस जर्नलिस्ट हैं, जिन्होंने Banaras Hindu University (BHU)
से शिक्षा ली है। वे कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। वित्त, शेयर बाजार और निवेश रणनीतियों पर उनकी गहरी पकड़ है। उनकी रिसर्च-बेस्ड लेखनी जटिल फाइनेंशियल विषयों को सरल और प्रभावी रूप में प्रस्तुत करती है। पीयूष को फिल्में देखने और क्रिकेट खेलने का शौक है।

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