
Underwater City: समुद्र के नीचे शहर बसा सकता है इंसान? क्या है जापान और UAE के प्रोजेक्ट का हाल
Underwater City: आपकी खिड़की से बाहर नीला पानी लहरा रहा हो, मछलियां तैर रही हों और सूरज की किरणें समुद्र की सतह से छनकर आपके घर की दीवारों को छू रही हों। सुनने में यह साइंस फिक्शन जैसा लगता है न? लेकिन, जापान और UAE जैसे कुछ देश इस सपने को हकीकत बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। उनका मकसद समुद्र के नीचे शहर बसाने का है।
Underwater City की आखिर जरूरत क्यों है?
इंसानों के लिए Underwater City यानी पानी के नीचे बसा शहर इसलिए जरूरी माना जा रहा है क्योंकि धरती पर आबादी तेजी से बढ़ रही है, जमीन कम पड़ती जा रही है और समुद्र का जलस्तर लगातार ऊपर उठ रहा है। ऐसे में अगर भविष्य में जमीन पर रहना मुश्किल हो जाए, तो पानी के नीचे रहने के विकल्प पर काम करना जरूरी हो जाता है। यह शहर हमें रहने की नई जगह देगा और पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने में भी मदद करेगा।
Underwater City के लिए टेक्नोलॉजी तैयार है?
समुद्र के नीचे रहने का आइडिया दशकों पुराना है। लेकिन हाल के सालों में जलवायु परिवर्तन (climate change) और अत्याधिक आबादी (overpopulation) और जैसे मुद्दों ने इसे गंभीर विकल्प बना दिया है। तकनीक ने भी अब इतनी तरक्की कर ली है कि ऐसे प्रोजेक्ट्स सिर्फ कल्पना नहीं रहे, वो डिजाइन और प्लानिंग की स्टेज तक पहुंच चुके हैं।
माइथोलॉजी में समुद्र के नीचे कौन-से शहर बसे हैं?
भारतीय माइथोलॉजी में समुद्र के नीचे बसे शहरों में सबसे प्रसिद्ध नाम है शिव की नगरी “शंकरपुरी” और कृष्ण की द्वारका, जो समुद्र में विलीन हो गई थी। महाभारत और स्कंद पुराण के अनुसार, द्वारका एक भव्य और उन्नत नगरी थी जिसे समुद्र के किनारे बनाया गया था। युद्ध के बाद श्रीकृष्ण के स्वर्ग सिधारने पर यह नगरी समुद्र में समा गई। आधुनिक शोधों में गुजरात के तट पर समुद्र के नीचे इसके अवशेष मिलने के दावे भी हुए हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार, पाताल लोक में कई भव्य और गुप्त नगर हैं, जिन्हें असुरों और नागों ने बसाया था। इसमें सबसे प्रसिद्ध है नागलोक, जहां शेषनाग और अन्य नाग वंशीय देव रहते हैं। इसे समुद्र के गहरे तल में माना गया है और इसे रहस्यमय, समृद्ध और तकनीकी रूप से अत्यंत उन्नत बताया गया है। यह क्षेत्र आम मानवों के लिए अदृश्य और अलौकिक शक्तियों से सुरक्षित माना गया है।
अन्य धर्मों और सभ्यताओं में भी समुद्र के नीचे बसे शहरों की अवधारणाएं मिलती हैं। ग्रीक माइथोलॉजी में सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है “एटलांटिस”। एक उन्नत सभ्यता वाला द्वीप, जिक्र महान दार्शनिक प्लैटो ने किया था और जो समुद्र में डूब गया था। वहीं, स्कैंडेनेवियाई मिथकों में समुद्री दैत्यों और अंडरवॉटर किंगडम का उल्लेख आता है, जहां जल देवता निवास करते हैं। इसी तरह अफ्रीकी और पोलिनेशियन मिथकों में भी समुद्र के नीचे छिपे हुए दिव्य लोकों का ज़िक्र है, जहां आत्माएं या देवता रहते हैं और जो आम मानवों से छिपे होते हैं।
जापान का Ocean Spiral: अंडरवॉटर दुनिया
जापान की शिमिज़ु कॉर्पोरेशन (Shimizu Corporation) ने “Ocean Spiral” नाम का एक मेगाप्रोजेक्ट प्रस्तावित किया है, जो एक पूरा अंडरवॉटर सिटी कॉम्प्लेक्स होगा। इसकी कुछ खास बातें हैं।
- यह एक विशाल ग्लोब जैसी संरचना होगी, जो समुद्र की सतह पर तैरती होगी और एक स्पाइरल ट्यूब के जरिए समुद्र की गहराई तक फैली होगी।
- इसमें हजारों लोग रह सकते हैं और काम कर सकते हैं, ऑफिस, रेसिडेंस, रिसर्च लैब- सब कुछ शामिल होगा।
- पानी से ऊर्जा बनाने और CO2 को रीसायकल करने की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा।
- खास “Oxygen dome” टेक्नोलॉजी से सिटी में सांस लेने योग्य वातावरण तैयार किया जाएगा।
शिमिज़ु का दावा है कि ये शहर खुद को टिकाऊ (self-sustainable) तरीके से चला सकता है और भविष्य में आबादी वाले क्षेत्रों का बोझ कम कर सकता है।
UAE: The Floating Venice और Underwater Resorts
दुबई और UAE अपने एक्सपेरिमेंटल आर्किटेक्चर के लिए मशहूर हैं, और अब वे समुद्र के नीचे की जिंदगी की ओर बढ़ रहे हैं। दुबई के पास एक “The Floating Venice” प्रोजेक्ट चल रहा है। इसमें कुछ हिस्से पानी के नीचे डिजाइन किए गए हैं- होटल रूम्स, रेस्टोरेंट और बार तक।
इसके अलावा, “The Floating Seahorse Villas” में भी कुछ ऐसे लग्जरी विला तैयार किए जा रहे हैं, जिनका बेडरूम पूरी तरह से समुद्र के नीचे होगा। इन प्रोजेक्ट्स में oxygen supply, air pressure control और salt-water protection जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
हालांकि ये प्रोजेक्ट्स अभी मुख्य रूप से टूरिज्म और लग्जरी कैटेगरी के हैं। लेकिन यह तकनीक आगे चलकर स्थायी अंडरवॉटर कम्युनिटी के लिए रास्ता खोल सकती है।
Underwater Cities की चुनौतियां क्या हैं?
भले ही तकनीक तैयार हो रही हो, लेकिन समुद्र के नीचे शहर बसाना आसान नहीं है। इसमें कई बड़ी चुनौतियां सामने वाली हैं। खासकर, सुरक्षा के लिहाज से।
- दबाव और संरचना की मजबूती: समुद्र की गहराई में जलदाब अत्यधिक होता है, जिससे संरचना को टिकाऊ बनाने के लिए हाई-टेक मटीरियल की जरूरत पड़ती है।
- ऑक्सीजन और वेंटिलेशन सिस्टम: अंडरवॉटर सिटी में सांस लेने योग्य हवा बनाए रखना जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए खास एयर सर्कुलेशन और फिल्ट्रेशन सिस्टम बनाए जा रहे हैं।
- मानसिक प्रभाव: प्राकृतिक रोशनी की कमी और सीमित बाहरी संपर्क के कारण अंडरवॉटर जीवन मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- आपात स्थितियों से निपटना: लीकेज, सुनामी, भूकंप या पावर फेल्योर जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए अत्यंत मजबूत और सुरक्षित प्लानिंग आवश्यक है।
आम लोग भी अंडरवॉटर सिटी में रह पाएंगे?
अभी के लिए अंडवॉटर सिटी या तो रिसर्च के लिए प्रस्तावित हैं या फिर सुपर-रिच लोगों के लिए लग्जरी विला के रूप में डिजाइन हो रहे हैं। लेकिन अगर आबादी इसी तरह बढ़ती रही और धरती के संसाधन सीमित होते गए, तो 2050 तक अंडरवॉटर सिटी एक विकल्प नहीं बल्कि जरूरत बन सकती है।
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि Arctic या Indian Ocean जैसे क्षेत्रों में छोटे-छोटे ऑक्सीजन डोम से शुरू कर के बड़ी अंडरवॉटर सिटीज बनाई जा सकती हैं। जो खुद अपनी ऊर्जा पैदा करें, खाना उगाएं और CO2 को कंट्रोल करें।
कुल मिलाकर, Underwater Cities अब सिर्फ कल्पना नहीं रह गईं। जापान और UAE जैसे देश इसे लेकर गंभीर हैं। तकनीक मौजूद है, लेकिन असली चुनौती इसे सुरक्षित, सस्ती और मानसिक रूप से अनुकूल बनाना है। हो सकता है, आने वाले कुछ दशकों में हम में से कुछ लोग समुद्र के नीचे अपना घर बना रहे हों, जैसे आज आसमान में उड़ना आम हो गया है।
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