Zomato Success Story: खाने के लिए लाइन में लगना पड़ता था, बना ली अपनी कंपनी

Zomato Success Story

Zomato Success Story: जोमैटो ने दिसंबर 2024 में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के सेंसेक्स टॉप 30 में शामिल होने वाली पहली स्टार्टअप बन गई है। जोमैटो ने इस खास ग्रुप में जिंदल ग्रुप की JSW स्टील की जगह ली है। जोमैटो के शेयरों ने पिछले एक साल में शानदार प्रदर्शन किया है, जिसकी वजह से उसे सेंसेक्स टॉप 30 में जगह मिली है। आइए जानते हैं कि एक स्टार्टअप कैसे देश के सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों के पूल सेंसेक्स टॉप 30 का हिस्सा बनी। इसकी शुरुआत कैसे हुई थी और यह किन मुश्किलों से गुजरते हुए इस खास मुकाम तक पहुंची है।

जोमैटो का बिजनेस मॉडल क्या है?

आपने कभी ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया हो या नहीं, लेकिन जोमैटो का नाम जरूर सुन रखा होगा। लाल टी-शर्ट में जोमैटो के लोगो के साथ इसके फूड डिलीवरी बॉय भी अक्सर सड़कों पर नजर आते होंगे। इसका एक ग्रोसरी डिलीवरी प्लेटफॉर्म भी है ब्लिंकिट, जो अब काफी तेजी से बढ़ रहा है।

जोमैटो रेस्टोरेंट को अपनी वेबसाइट पर लिस्ट करती है। लोग वहां से खाने का ऑनलाइन ऑर्डर देते हैं। फिर डिलीवरी वाले जाकर खाना पहुंचा देते हैं। वेबसाइट पर आप उपभोक्ताओं के लिखे रिव्यू पढ़ सकते हैं, फोटो अपलोड कर सकते हैं। यहां तक कि किसी रेस्टोरेंट में सीट बुक और पेमेंट भी कर सकते हैं।

कंपनी का नाम जोमैटो
फाउंडर दीपिंदर गोयल
स्थापना का साल जुलाई 2008
शुरुआती नाम FoodieBay
हेडक्वॉर्टर गुरुग्राम, हरियाणा
सब्सिडियरी ब्लिंकिट
मार्केट कैप 2.40 लाख करोड़
कर्मचारियों की संख्या 4,440

Zomato Success Story

ऑनलाइन फूड डिलीवरी सेक्टर की बेताज बादशाह जोमैटो के शुरू होने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। जोमैटो के फाउंडर को यह कंपनी बनाने का आइडिया कैफेटेरिया में बैठे-बैठे आया था। आइए जानते हैं जोमैटो के बनने की पूरी कहानी।

zomato food delivery boy

फाउंडर दीपिंदर गोयल का बचपन

जोमैटो के लिए सफल कंपनी बनने की शुरुआत इतनी आसान नहीं थी। फाउंडर दीपिंदर गोयल (Deepinder Goyal) ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन वह इतनी बड़ी कंपनी खड़ी कर देंगे। गोयल पंजाब (Punjab) के मुक्तसर जिले में रहते थे, अपने परिवार के साथ।

माता-पिता टीचर थे, मगर बेटे का कभी पढ़ने में मन नहीं लगा। औसत से भी कम नंबर आते थे उनके। पांचवीं कक्षा तक वह किसी तरह पास होते गए। छठवीं में फेल हो गए। आठवीं में एक टीचर ने उन्हें हर पेपर में आंसर बताए, तब जाकर वह पास हो पाए। इसी के दम पर वह क्लास में तीसरे स्थान पर भी रहे।

जब दीपिंदर गोयल को थप्पड़ पड़ा

कुछ समय बाद टीचर का ट्रांसफर हो गया। दीपिंदर अगले एग्जाम में भी पास होना चाहते थे। वह उस प्रिंटिंग प्रेस गए, जहां स्कूल के पेपर छपते थे, लेकिन उन्हें थप्पड़ मारकर भगा दिया गया। उनके पास अब कोई चारा नहीं था। एग्जाम के दो दिन पहले उन्होंने पढ़ना शुरू किया। सौभाग्य से क्लास में पांचवें स्थान पर रहे। इसके बाद किसी तरह दसवीं निकाली।

फिर JEE की कोचिंग के लिए चंडीगढ़ आ गए। चंडीगढ़ में पढ़ाई वाला माहौल देखकर दीपिंदर परेशान हो गए। वहां बच्चे हमेशा पढ़ते रहते थे। हर वक्त बस एग्जाम के बारे में सोचते। दीपिंदर को पता था कि प्रेशर उनसे झेला नहीं जाएगा, इसलिए उन्होंने दो साल खूब मस्ती की। उनके बारहवीं के बोर्ड्स और जेईई एग्जाम में दो महीने का गैप था।

आईआईटी दिल्ली में दीपिंदर गोयल का दाखिला

इस बीच दीपिंदर ने सोचा, किताबों पर ही नजर डाल लेते हैं। उन्होंने फिजिक्स की किताब उठा ली और पढ़ने बैठ गए। फिजिक्स के कॉन्सेप्ट उन्हें काफी दिलचस्प लग रहे थे। गाइड या आंसर-की की मदद लिए बिना उन्होंने पूरी किताब हल कर डाली।

दीपिंदर वैसे तो पढ़ते नहीं थे लेकिन जब पढ़ते तो पूरे मन से। उन्होंने सोचा कि JEE का एग्जाम दे देते हैं अनुभव के लिए। सबसे ज्यादा नंबर उन्हें फिजिक्स में मिले। आईआईटी दिल्ली में एडमिशन हो गया। साल 2005 में दीपिंदर ने मैथ्स एंड कंप्यूटिंग में इंटीग्रेटेड एमटेक की डिग्री हासिल की।

जोमैटो का आइडिया का कहां से आया?

दीपिंदर गोयल की पढ़ाई के बाद मल्टीनेशनल कंपनी बेन एंड कंपनी (Bain & Company) में उनकी नौकरी लग गई। अपने काम से वह उस वक्त संतुष्ट थे। बस एक ही दिक्कत थी उन्हें। दरअसल, उनके ऑफिस कैफेटेरिया में लंच टाइम में भीड़ लग जाती थी। पूरा स्टाफ मेन्यू देखने के लिए लंबी कतार में लगा रहता। इससे समय बर्बाद होता और कई बार ढंग का खाना भी नहीं मिलता था। दिक्कत सबको थी, मगर समाधान क्या हो, कोई नहीं जाता।

तब दीपिंददर ने एक आइडिया लगाया। उन्होंने ऑफिस कैफेटेरिया का मेन्यू स्कैन किया और एक वेबसाइट बनाकर उस पर डाल दिया। मेन्यू के ऑनलाइन होने से उस पर हिट बढ़ने लगे। दीपिंदर का भी हौसला बढ़ा। उन्होंने इसी से प्रेरित होकर कुछ अच्छा करने की सोची।

वह ऐसी वेबसाइट बनाना चाहते थे जिससे दिल्ली के सारे होटल और रेस्टोरेंट की जानकारी लोगों को घर बैठे मिल जाए। उन्होंने अपने दोस्त प्रसून जैन (Prasoon Jain) के साथ मिलकर फूडलेट (Foodlet.in) नाम से एक वेंचर शुरू किया। फिर कुछ समय बाद प्रसून मुंबई चले गए और फूडलेट को चलाने में दिक्कतें आने लगीं।

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2008 में दीपिंदर ने Foodiebay की नींव रखी

दीपिंदर गोयल को फूड आउटलेट चलाने के लिए पंकज चड्ढा (Pankaj Chaddah) मिले। पंकज, दीपिंदर के साथ ही बेन एंड कंपनी में काम करते थे और आईआईटी दिल्ली से पास आउट थे। दोनों ने मिलकर साल 2008 में एक कंपनी बनाई फूडीबे (Foodiebay)। यह एक ऑनलाइन फूड पोर्टल था जो उपभोक्ताओं को लोकेशन, पॉपुलैरिटी और खाने के आधार पर बेस्ट रेस्टोरेंट उपलब्ध कराता था। शुरुआत में दिल्ली-एनसीआर के 1200 रेस्टोरेंट इससे जुड़े थे।

जब फूडीबे शुरू हुई थी, तब दीपिंदर ने इससे पैसा कमाने का नहीं सोचा था, मगर काम चल निकला। साल के आखिर तक फूडीबे से जुड़े रेस्टोरेंट की संख्या 2000 तक पहुंच गई थी। एक तरह से यह उस वक्त दिल्ली की सबसे बड़ी रेस्टोरेंट डायरेक्टरी बन गई थी। 2009 आते- आते मुंबई और कोलकाता, फिर 2010 में पुणे, बेंगलुरु तक फूडीबे का कारोबार फैल गया। दीपिंदर और पंकज अब इसे बड़े स्तर पर ले जाने के बारे में सोचने लगे।

फूडीबे कैसे बन गई जोमैटो?

बिजनेस बड़ा बनाने के लिए जरूरी है, उस पर लगातार ध्यान देना। दीपिंदर जॉब भी कर रहे थे, इसलिए बिजनेस पर फोकस नहीं कर पा रहे थे। पत्नी से सहयोग मिला तो उन्होंने जॉब छोड़ दी। पूरी ध्यान बिजनेस पर लगा दिया। फिर साल 2010 में ही फूडीबे का नाम बदलकर उन्होंने जोमैटो रख दिया। नाम बदलने की दो वजहें थीं। फूडीबे का नाम अमेरिकी कंपनी ईबे (Ebay) से मिलता था। दूसरा, वे और आसान नाम रखना चाहते थे। जोमैटो नाम दीपिंदर को एक ही नजर में भा गया था। अब बारी थी लोगो (zomato logo) की। जोमैटो के लोगो में उन्होंने लाल रंग का इस्तेमाल किया क्योंकि यह दूर से ही दिख जाता है।

कितने देशों में फैला है जोमैटो का कारोबार

जोमैटो में बाकी तमाम कंपनियों के साथ अलीबाबा ग्रुप (Alibaba Group) ने भी निवेश किया है करीब डेढ़ सौ मिलियन डॉलर का। धीरे-धीरे जोमैटो पूरे देश में फैल गई। कंपनी ने अपना मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया।

कंपनी ब्रिटेन, यूएई, कतर, श्रीलंका, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्राजील और न्यूजीलैंड तक पहुंच गई। जोमैटो ने पुर्तगाली कंपनी गैस्ट्रोनॉमी (Gastronomy), इतालवी कंपनी लिबांडो (Libando) और अमेरिकन सर्विस कंपनी nextable का अधिग्रहण भी किया। साल 2022 में जोमैटो ने 4,447 करोड़ रुपए में ब्लिंकिट (Blinkit) को भी खरीद लिया।

मुनाफे में आ चुका है जोमैटो का बिजनेस

जहां तक फाइनेंशियल परफॉर्मेंस की बात है तो जोमैटो प्रॉफिट (why zomato is successful) में आ चुकी है। इसे पहली बार मुनाफा हुआ, वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में है। उस तिमाही में जोमैटो ने 2 करोड़ रुपये का प्रॉफिट दर्ज किया था, जबकि सालभर पहले की इसी तिमाही में 186 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। वहीं, मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी यानी सितंबर तिमाही की बात करें, तो कंपनी के नेट प्रॉफिट में 388 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी हुई है। कंपनी ने इस अवधि में 176 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है।

जोमैटो पैसे कैसे कमाती है?

लेकिन, जोमैटो कमाती कैसे (how zomato makes money) है? दरअसल इसके रेवेन्यू के कई तरीके हैं। सबसे पहला, रेस्टोरेंट एडवर्टाइजमेंट (Restro Advertisement)। अपने ऐप पर किसी रेस्टोरेंट की विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए कंपनी पैसे लेती है। यह ऐड भी ऐप पर चलाती है जिससे इसे करीब 75 फीसदी तक आय होती है। दूसरा है डिलीवरी फीस। उपभोक्ताओं से कंपनी डिलीवरी फीस चार्ज करती है जिसे डिलीवरी पर्सन और कंपनी में बांट लिया जाता है। कंपनी अब प्रति ऑर्डर के हिसाब से प्लेटफॉर्म फीस भी लेती है।

कंपनी Event Advertisement के जरिए भी पैसे बनाती है। यह खुद से जुड़े रेस्टोरेंट्स के लिए कई इवेंट करती है और इसके लिए उनसे कुछ अमाउंट चार्ज करती है। जोमैटो की एक्सक्लूसिव सुविधाएं पाने के लिए इसने जोमैटो गोल्ड जैसे Loyalty program भी चला रखे हैं। कंपनी की कमाई का एक तरीका Consulting Service भी है। जब किसी रेस्टोरेंट को नए आउटलेट या ब्रांच खोलने के लिए एरिया के संबंध में सलाह की जरूरत होती है तो वह उन्हें सलाह देती है। इसके बदले फीस चार्ज करती है।

जोमैटो के शेयर पर बुलिश हैं ब्रोकरेज

प्रतिष्ठित ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने जोमैटो को शेयरों (Zomato target price) को बाय रेटिंग दी है। उसका कहना है कि अगले चार से पांच साल में जोमैटो का बिजनेस काफी तेजी से बढ़ेगा। ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, जोमैटो का क्विक कॉमर्स बिजनेस ब्लिंकिट काफी अच्छा कर सकता है। मॉर्गन स्टेनली ने जोमैटो को जोमैटो के शेयरों को ओवरवेट रेटिंग दी है। उसने जोमैटो के लिए टारगेट प्राइस 278 रुपये से बढ़ाकर 355 रुपये सेट किया है।

जोमैटो को कुल 24 एनालिस्ट कवर करते हैं। इनमें से 13 ने इसे Strong Buy, 9 ने Buy और 2 ने Sell रेटिंग दी है। एनालिस्टों के मुताबिक, इसका सबसे अधिक टारगेट प्राइस अभी 375 रुपये है। वहीं, बेचने की सलाह देने वाले एनालिस्टों ने इसके 130 रुपये तक आने का अनुमान दिया है। जोमैटो के शेयर (zomato share price) फिलहाल 274 रुपये हैं। इसने पिछले 6 महीने में 29.23 फीसदी और एक साल में 102.26 फीसदी का बंपर रिटर्न दिया। इसका आईपीओ जुलाई 2021 में आया था। कंपनी तब से 113.25 फीसदी का रिटर्न दे चुकी है।

All Image Source: Zomato Site

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Shubham Singh
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