DeepSeek AI: चीन के ‘चैटजीपीटी’ ने कैसे उड़ाई अमेरिका और NVIDIA की नींद

China’s DeepSeek AI: अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनी एनवीडिया के शेयर (Nivida Share Price) सोमवार को करीब 17 फीसदी तक गिर गए। यह एनवीडिया के शेयरों में एक दिन में आने वाली सबसे बड़ी गिरावट है। इसकी वजह है, चीन का एआई स्टार्टअप डीपसीक (DeepSeek)।

डीपसीक (DeepSeek) क्या है?

DeepSeek चीन का एआई स्टार्टअप है। इसका हेडक्वॉर्टर चीन के हांगझोऊ में है और इसके सीईओ लियान वेनफेंग (Lian Wenfeng) हैं। डीपसीक का एआई मॉडल ये ताकतवर रीजनिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करता है। इसके डीपसीक-आर1 को गणित, कोडिंग और सामान्य ज्ञान के सवाल हल करने में चैटजीपीटी से बेहतर बताया जा रहा है। यह चैटजीपीटी के मुकाबले 90 से 95 फीसदी कम कीमत पर मिलता है।

DeepSeek ने कितने पैसे खर्च किए?

ओपनएआई, गूगल और मेटा ने अपने एआई मॉडल बनाने के लिए अरबों रुपये खर्च किए और पानी की तरह पैसा बहाया। वहीं, चीनी एआई कंपनी ने कथित तौर पर डीपसीक-वी3 मॉडल को विकसित करने के लिए सिर्फ 5.6 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं। सैम ऑल्टमैन के नेतृत्व वाली ओपनएआई ने कथित तौर पर अपने GPT-4 मॉडल को ट्रेन करने के लिए 100 मिलियन डॉलर खर्च किए थे।

डीपसीक-आर1 कैसे काम करता है?

चीन का एआई टूल डीपसीक-आर1 सिर्फ सवालों के जवाब ही नहीं देता, बल्कि इंसानों के जैसे उसे हल करने के तरीके भी बताता है। इसे चीन के एआई स्टार्टअप डीपसीक ने बनाया है। इसी स्टार्टअप ने जनवरी की शुरुआत में मुफ्त एआई मॉडल DeepSeek-V3 को लॉन्च किया था। इस ताकतवर मॉडल ने मेटा और ओपन एआई जैसी दिग्गज कंपनियों के मॉडल्स को भी मात दे दी थी।

डीपसीक-आर1 एआई टूल के दो वर्जन लॉन्च किए गए हैं।
इसकी मदद से रिसर्च पेपर की एनालिसिस की जा सकती है।
जीरो टूल बिना सुपरविजन वाले फाइन ट्यूनिंग के लॉन्च हुआ है।
कोल्ड स्टार्ट फेज पर आधारित डेटा के कारण ये काफी उन्नत है।

अमेरिका के लिए खतरा है डीपसीक?

अब तक तकनीक की दुनिया में अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों का एकाधिकार समझा जाता था। लेकिन, चीन ने अपने डीपसीक एआई मॉडल के साथ उनके दबदबे को कड़ी चुनौती दी है। यही वजह है कि एनवीडिया जैसी दिग्गज कंपनी के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है, क्योंकि डीपसीक सस्ते चिप पर भी काम कर सकता है। वहीं, एनवीडिया महंगे चिप बनाने के लिए जानी जाती है।

डीपसीक की वजह से सैम अल्टमैन की चैटजीपीटी बनाने वाली ओपनएआई की नींद भी उड़ गई है। चैटजीपीटी के मुकाबले डीपसीक काफी सस्ता और तेज है।

अमेरिका के लिए डीपसीक बड़ी चेतावनी?

अमेरिका की निर्यात से जुड़ी पाबंदियों के चलते चीन के पास एनवीडिया का एक्सेस नहीं था। यही वजह है कि उसने ऐसा एआई मॉडल बना लिया है, जिसे ऑपरेट करने के लिए एनवीडिया जैसे पावरफुल चिप की दरकार ही नहीं। इससे जाहिर होता है कि अमेरिकी पाबंदियां अब उतनी प्रभावी नहीं हैं, जितना पहले होती थीं। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद अच्छे से चल रही रूस की इकोनॉमी इस बात का एक और सबूत है।

अब डोनाल्ड ट्रंप क्या करेंगे?

डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान चीन के खिलाफ काफी आक्रामक रुख अपना रखा था। वह लगातार चीन पर आयात शुल्क बढ़ाने की बात कह रहे थे। लेकिन, राष्ट्रपति बनने के बाद अब उनका रुख चीन के प्रति नरम पड़ गया है। उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद कनाडा और मेक्सिको जैसे अमेरिका के पड़ोसियों पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही, लेकिन चीन का नाम नहीं लिया। उन्होंने चीन के टिकटॉक को बैन होने से बचने के लिए अतिरिक्त मोहलत दी है।

Piyush Kumar
Piyush Kumar

पीयूष कुमार एक अनुभवी बिजनेस जर्नलिस्ट हैं, जिन्होंने Banaras Hindu University (BHU)
से शिक्षा ली है। वे कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। वित्त, शेयर बाजार और निवेश रणनीतियों पर उनकी गहरी पकड़ है। उनकी रिसर्च-बेस्ड लेखनी जटिल फाइनेंशियल विषयों को सरल और प्रभावी रूप में प्रस्तुत करती है। पीयूष को फिल्में देखने और क्रिकेट खेलने का शौक है।

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