
Personal Loan Growth: पर्सनल लोन की क्यों घटी डिमांड, क्या मंदी की ओर जा रही अर्थव्यवस्था?
मनीसनी डेस्क, नई दिल्ली। भारत में पर्सनल लोन की ग्रोथ घट रही है, जिसे मंदी आने की आशंका के तौर पर देखा जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक, जनवरी 2025 में पर्सनल लोन की ग्रोथ घटकर 14.2% रह गई है। पिछले साल इसी अवधि में यह 18.2% थी। खास बात यह है कि व्हीकल लोन (Car Loan), क्रेडिट कार्ड बकाया (Credit Card Outstanding) और अन्य पर्सनल लोन (Other Personal Loans) में गिरावट देखी गई है। इसके चलते कुल पर्सनल लोन ग्रोथ में कमी आई है।
पर्सनल लोन की ग्रोथ में गिरावट क्यों आई?
RBI के डेटा के अनुसार, 24 जनवरी 2025 को खत्म पखवाड़े तक बैंकों से मिलने वाले पर्सनल लोन की ग्रोथ घटकर 14.2% पर आ गई। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:
वाहन लोन की मांग घटी
ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी चल रही है। इसलिए गाड़ियों की डिमांड घटी है। पिछले कुछ महीनों में कार और टू-व्हीलर की बिक्री में कमी आई है। इससे वाहन लोन की ग्रोथ पर असर पड़ा है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में कुछ तेजी जरूर देखने को मिली है। लेकिन, कुल मिलाकर परंपरागत गाड़ियों की बिक्री सुस्त बनी हुई है।
क्रेडिट कार्ड खर्च में सुस्ती
डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड वॉर से वैश्विक अनिश्चितता बढ़ी है। इससे आर्थिक मंदी का खतरा भी बढ़ रहा है। इसलिए लोग अपने गैर-जरूरी खर्च कम कर रहे हैं। इसका असर क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाली ऑनलाइन शॉपिंग पर भी दिख रहा है। यह पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है। इसके चलते क्रेडिट कार्ड के बकाया में कमी आई है।
महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता
पिछले कुछ समय से आर्थिक अनिश्चिता के साथ महंगाई भी बढ़ी है। आरबीआई ने फरवरी 2025 की MPC मीटिंग में रेपो रेट यानी नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती जरूर की। लेकिन, अभी भी ब्याज दरें काफी ज्यादा है। लगातार बढ़ती महंगाई और उच्च ब्याज दरों की वजह से लोग कर्ज लेने से बच रहे हैं।
बैंकिंग सेक्टर में सख्त नियम
आरबीआई लगातार पर्सनल लोन में बढ़ते डिफॉल्ट पर चिंता जता रहा है। यही वजह है कि बैंकों ने अपनी क्रेडिट लेंडिंग पॉलिसी को सख्त किया। वे पर्सनल लोन में अतिरिक्त सावधानी बरतने लगे। इसके चलते भी पर्सनल लोन की ग्रोथ धीमी हो गई है।
बैंक लोन के अन्य सेक्टर्स में क्या हुआ बदलाव?
RBI के आंकड़ों के अनुसार, बैंकिंग सेक्टर के अलग-अलग क्षेत्रों में लोन डिस्ट्रीब्यूशन में मिले-जुले बदलाव देखने को मिले हैं।
सेक्टर | 24 जनवरी 2025 तक ग्रोथ (%) |
पिछले साल ग्रोथ (%)
|
पर्सनल लोन | 14.20% | 18.20% |
कृषि और संबद्ध क्षेत्र | 12.20% | 20% |
औद्योगिक क्षेत्र | 8.20% | 7.50% |
कृषि लोन (Agriculture Loans) में भी गिरावट
कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए बैंक लोन की ग्रोथ 12.2% रही, जबकि पिछले साल 20% थी। इसका कारण मौसम में अनिश्चितता, उर्वरकों की बढ़ती कीमतें और किसानों की कर्ज अदायगी की क्षमता में गिरावट हो सकता है। हालांकि, औद्योगिक क्षेत्र को दिए गए लोन की ग्रोथ 8.2% तक पहुंच गई, जो पिछले साल 7.5% थी। खासतौर पर पेट्रोलियम, कोयला, धातु और इंजीनियरिंग से जुड़े उद्योगों को दिए गए कर्ज में इजाफा हुआ है।
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बैंक लोन ग्रोथ घटने से आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?
पर्सनल लोन और एग्रीकल्चर लोन की ग्रोथ घटने से RBI पर ब्याज दरों को कम करने का दबाव बढ़ सकता है। इससे भविष्य में सस्ते लोन मिलने की संभावना बढ़ेगी। बैंक भी लोन अप्रूवल की प्रक्रिया को थोड़ा सरल कर सकते हैं, जिससे लोन ग्रोथ बढ़ाई जा सके। फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने और महंगाई में गिरावट के बाद लोन ग्रोथ वापस से तेज हो सकती है।
आगे की राह: निवेशकों और उपभोक्ताओं के लिए क्या संकेत?
- ब्याज दरों में संभावित कटौती: अगर महंगाई दर नियंत्रण में रहती है, तो RBI आगे भी रेपो रेट में में कटौती कर सकता है। इससे कर्ज सस्ता होगा और लोन की मांग बढ़ेगी।
- डिजिटल लेंडिंग का बढ़ता प्रभाव: बैंक और फिनटेक कंपनियां आसान और इंस्टैंट लोन देने के नए मॉडल विकसित कर रही हैं।
- व्हीकल और होम लोन सेक्टर में सुधार की उम्मीद: आगामी तिमाहियों में वाहन और हाउसिंग सेक्टर में मांग बढ़ने की संभावना है।
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