
Stock Market Crash: क्यों क्रैश हुआ भारतीय शेयर बाजार, कौन है इसका जिम्मेदार? 5 कारण में समझिए पूरा मामला
मनीसनी डेस्क, नई दिल्ली। Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजार में सोमवार (17 फरवरी 2025) को लगातार 9वें कारोबारी सत्र में गिरावट दिखी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ से जुड़ी चिंताओं और वैश्विक बाजारों से कमजोर संकेतों के चलते सेंसेक्स और निफ्टी दोनों क्रैश (Stock Market Crash) कर गए। इसके चलते शुरुआती कारोबार में ऑटो, आईटी और पीएसयू बैंक सेक्टर में ज्यादा बिकवाली देखी गई। सुबह करीब 10:15 बजे तक सेंसेक्स 535.41 अंक यानी 0.71 फीसदी गिरावट के साथ 75,403.80 पर कारोबार कर रहा था। वहीं, निफ्टी 175.80 अंक या 0.77 फीसदी की गिरावट के साथ 22,753.45 पर था। निफ्टी बैंक 177.75 अंक यानी 0.36 फीसदी की गिरावट के साथ 48,921.70 पर था। आइए विस्तार से जानते हैं कि भारतीय शेयर बाजार के क्रैश होने के मुख्य कारण क्या हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति (Donald Trump’s Tariff Policy)
आर्थिक जानकारों का माना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की संरक्षणवादी नीति (Protectionist Policy) के कारण पूरी तरह से आर्थिक अनिश्चितता (Economic Uncertainty) बनी हुई है। मोदी-ट्रंप बैठक के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ने पारस्परिक टैरिफ नीति (Reciprocal Tariff Policy) को जारी रखा। इससे वैश्विक बाजारों (Global Markets) में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस नीति के चलते वैश्विक व्यापार असंतुलन (Global Trade Imbalance) बढ़ा है, जिससे भारतीय बाजार पर भी असर पड़ा है।
भारतीय रुपये की कमजोरी (Weakness in Indian Rupee)
भारतीय रुपये (Indian Rupee) में लगातार गिरावट देखी जा रही है, इससे विदेशी निवेशकों (DIIs) को भी अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय रुपये की अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले लगातार कमजोरी भी शेयर मार्केट में लगातार गिरावट का बड़ा कारण है। घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) बाजार में स्थिरता का इंतजार कर रहे हैं। RBI ने ब्याज दरों में कटौती (Repo Rate Cut) के बाद वे कोई नया जोखिम उठाने से बच रहे हैं।
शेयर बाजार एक्सपर्ट का मानना है कि कमजोर रुपया (Weak Rupee) विदेशी निवेशकों (FIIs) को भारतीय इक्विटी बाजार से हटाकर मुद्रा और बॉन्ड मार्केट (Currency & Bond Market) की ओर ले जा सकता है, जिससे और बिकवाली देखने को मिल सकती है। (सोर्स: RBI – Exchange Rate Trends)
वित्त वर्ष का अंत करीब आना (Financial Year Ending Factor)
DIIs (Domestic Institutional Investors) आमतौर पर वित्त वर्ष के अंत (Financial Year-End) से पहले भारी खरीदारी नहीं करते। वे अपनी बैलेंस सीट को मैनेज करने की कोशिश करते हैं। इसका असर बाजार में नए निवेश की कमी (Lack of Fresh Investments) के रूप में देखा जा सकता है, जिससे बाजार में गिरावट और बढ़ सकती है।
DIIs के खरीदारी न करने से रिटेल इन्वेस्टर्स का हौसला भी पस्त हो रहा है। वे पैनिक सेलिंग कर रहे हैं और भारी लॉस बुक करने से भी नहीं झिझक रहे हैं। यह भी शेयर बाजार में गिरावट की एक बड़ी वजह है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती (Sluggishness in the Indian Economy)
पिछली कई तिमाहियों से भारत की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) सुस्त पड़ रही है (सोर्स: World Bank – India GDP Growth)। भारतीय कंपनियों के वित्तीय नतीजे भी काफी निराशाजनक आ रहे हैं। इस फैक्टर से भी निवेशकों की चिंता बढ़ी है। हालिया भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions) के कारण कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है। इससे भारतीय कंपनियों के मुनाफे (Profit Margins) पर भी बुरा असर पड़ा है।
एक्सपर्ट का मानना है कि कच्चे तेल की अस्थिर कीमतों (Crude Oil Price Volatility) ने कंपनियों के लिए अपने मार्जिन (Profit Margins) को बनाए रखना मुश्किल बना दिया है। इसका असर तिमाही नतीजों (Q3 Results 2025) में भी दिखा और यही वजह है कि भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट जारी है।
विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली (FIIs’ Heavy Selling)
विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भारतीय बाजार में भारी बिकवाली कर रहे हैं। उन्होंने फरवरी 2025 के पहले दो हफ्तों में ही उन्होंने 21,272 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है। इससे पहले जनवरी 2025 में विदेशी निवेशकों ने कुल 78,027 करोड़ की बिकवाली की थी। कुल मिलाकर, 2025 में अब तक FPIs की निकासी 1 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई है।
Lakshmishree Investment and Securities के रिसर्च हेड अंशुल जैन (Anshul Jain) ने बिजनेस अखबार Mint को बताया, “FIIs भारतीय बाजार से लगातार पैसे निकाल रहे हैं, जबकि DIIs अभी भी बॉटम फिशिंग (Bottom Fishing) के मूड में नहीं हैं। कोविड के बाद आमतौर पर DIIs भारी खरीदारी करते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है, जिससे बाजार दबाव में है।”
FIIs की यह बिकवाली बॉन्ड मार्केट (Bond Market), डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) और अमेरिकी शेयर बाजार (US Stock Market) में निवेश शिफ्ट करने के कारण हो रही है। (सोर्स: NSDL – FII Investment Data)
प्रमुख स्रोत (References):
World Gold Council – Global Economic Trends
Reserve Bank of India – Currency Data
World Bank – India GDP Growth
Forbes – Stock Market Trends
NSDL – FII Investment Data
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