क्या है पीएम मोदी का PRAGATI मॉडल, जिसकी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने की है तारीफ

What Is Pragati Platform: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का कहना है कि दुनियाभर की सरकारें अपनी शासन व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्रगति प्लेटफॉर्म से सीख ले सकती हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2015 में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू किया था, PRAGATI (Pro-Active Governance and Timely Implementation)। इसका मकसद बड़े पैमाने की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और सामाजिक योजनाओं को तेजी से लागू करना है। साथ ही, उनका पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से क्रियान्वयन करना है। मोदी सरकार ने इस महत्वपूर्ण पहल को ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए शुरू किया है।

ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने प्रगति प्लेटफॉर्म के बारे में एक रिपोर्ट पेश की है। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के प्रगति मंच ने डिजिटल गवर्नेंस के लिहाज से काफी अहम तरक्की की है। इसने बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने में अहम भूमिका निभाई। प्रगति प्लेटफॉर्म ने सरकारी स्तरों पर सहयोग को सुगम बनाया। इससे आर्थिक विकास, सामाजिक तरक्की और स्थिरता को बढ़ावा मिला। इस प्लेटफॉर्म से गवर्नेंस इनोवेशन और रणनीतिक निवेश की अहमियत का भी पता चलता है।

PRAGATI प्लेटफॉर्म काम कैसे करता है?

PRAGATI प्लेटफॉर्म का लक्ष्य बुनियादी ढांचे के विकास, सामाजिक समावेशन, और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना है। यह डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल बनाता है। इसमें प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग और डिसीजन-मेकिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ड्रोन फीड्स और डेटा प्रबंधन सॉफ्टवेयर जैसे टूल यूज किए जाते हैं।

PRAGATI प्लेटफॉर्म की उपलब्धि क्या है?

PRAGATI के तहत 340 प्रोजेक्ट की समीक्षा की गई। इनका कुल मूल्य 17.05 लाख करोड़ रुपये (205 बिलियन डॉलर) है। इनमें कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं जैसे दाहिसर-सूरत राजमार्ग और जम्मू-बारामुला रेल लिंक को समय पर पूरा किया गया। सरकार ने 2014-15 से 2023-24 के बीच बुनियादी ढांचे पर खर्च पांच गुना बढ़ाया।

  • जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन और सौभाग्य योजना जैसी योजनाओं को तेजी से लागू किया गया।
  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत 10 करोड़ से अधिक शौचालय बने, जिससे स्वास्थ्य-स्वच्छता में सुधार हुआ।
  • PARIVESH जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रियाओं को डिजिटाइज किया गया।
  • पर्यावरणीय से जुड़ी मंजूरियं के समय को 600 दिनों से घटाकर 75 दिनों में लाया गया, दूसरे सुधार भी हुए।
  • प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) मासिक समीक्षा बैठकों के जरिए प्रोजेक्ट की प्रगति पर सीधा नजर रखा गया।

दुनियाभर की सरकारें ले सकती हैं सबक

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का कहना है कि दुनियाभर की सरकारें अपनी शासन व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्रगति प्लेटफॉर्म से सीख ले सकती हैं। उसका कहना है कि PRAGATI मॉडल दिखाता है कि डिजिटल टूल्स और मिली-जुली कोशिश से जटिल विकासात्मक चुनौतियों को हल किया जा सकता है। इस मॉडल को दुनियाभर की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएं भी अपना सकती हैं।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री की पहलों की सराहना की गई है। इसमें कहा गया है, “प्रगति प्लेटफॉर्म नौकरशाही की जड़ता पर काबू पाने का तरीका बताता है। यह एकजुटता की मानसिकता, जवाबदेही एवं दक्षता की संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”

Shikha Singh
Shikha Singh
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