Cryptocurrency Market: कैसा होने वाला है क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य, क्या इसमें निवेश करना सुरक्षित रहेगा?
Cryptocurrency News: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत के बाद क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का बाजार फिर से गर्म हो चुका है। दुनिया की सबसे चर्चित क्रिप्टो बिटकॉइन (Bitcoin) 1 लाख डॉलर के करीब पहुंच गई है। दुनिया के कई बड़े निवेशक बिटकॉइन में पैसे लगा रहे हैं। गोल्ड (Gold) अभी भी 17 ट्रिलियन डॉलर के वैल्यूएशन के साथ मार्केट कैप (Market Cap) के हिसाब से दुनिया की सबसे कीमती असेट है, लेकिन इस वक्त निवेशकों की क्रिप्टो मार्केट में दिलचस्पी गोल्ड से भी अधिक है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या है? क्या यह डिजिटल करेंसी आगे चलकर गोल्ड की तरह मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में जगह बना पाएगी? साथ ही, क्या क्रिप्टोकरेंसी में पैसे लगाना सुरक्षित है?
क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत कैसे हुई?
क्रिप्टोकरेंसी की अवधारणा 1990 के दशक के आखिर में ही आ गई थी। लेकिन, इसकी आधिकारिक शुरुआत साल 2009 में हुई। इसका मकसद एक विकेंद्रीकृत मुद्रा प्रणाली तैयार करना था, जो केंद्रीय बैंक या अन्य सरकार एजेंसियों के नियंत्रण से मुक्त हो। इस आइडिया ने निवेशकों और तकनीकी निवेशकों को काफी उत्साहित किया। बिटकॉइन के बाद मार्केट में कई क्रिप्टोकरेंसी आ चुकी हैं। इनमें एथेरियम, लाइटकॉइन और रिपल शामिल हैं। यह एक वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) होती है, जिसका इस्तेमाल चीजों को खरीदने बेचने के लिए किया जा सकता है।
क्रिप्टो मार्केट में इतनी अस्थिरता क्यों है?
क्रिप्टोकरेंसी में अभी हद से अधिक अस्थिरता है। इसकी कीमत (cryptocurrency prices) कभी तेजी से ऊपर पहुंच जाती है, तो कभी उससे दोगुनी तेजी से नीचे। ट्रंप की जीत बिटकॉइन करीब 50 फीसदी बढ़कर 1 लाख डॉलर के करीब पहुंच गई थी। लेकिन, फिर एक झटके में यह 5 फीसदी से अधिक गिर भी गई। यही वजह है कि इसे जोखिम भरा निवेश समझा जाता है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव की सबसे बड़ी वजह है कि इसका रेगुलेटेड न होना है। भारत जैसे बड़े बाजार की ही बात करें, तो यहां क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई नियम नहीं है। साथ ही, सरकार क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का भारी टैक्स भी वसूलती है।
क्या क्रिप्टो भविष्य की करेंसी बन पाएगी?
क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य (future of cryptocurrency) काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि इस पर सरकारों और केंद्रीय बैंकों का क्या रुख रहेगा। भारत की बात करें, तो हमारी सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर काफी उदासीन है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण स्पष्ट कह चुकी हैं कि निजी संस्थाओं की डिजिटल करेंसी हमारे देश की मुद्रा नहीं हो सकती। आरबीआई ने तो क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करके प्रस्ताव रखा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था। हालांकि, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसीज (CBDCs) एक संभावित विकल्प हो सकती हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए एक सरकारी समर्थित डिजिटल मुद्रा पेश कर सकती है।
बड़े देशों का क्रिप्टोकरेंसी पर क्या रुख है?
नए जमाने की करेंसी माने जाने वाली क्रिप्टो पर अलग-अलग देशों का रुख भी अलग-अलग है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्रिप्टोकरेंसी को लेकर काफी उत्साही हैं। वह अमेरिका को क्रिप्टो कैपिटल बनाने की बात करते हैं। वहीं, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी चीन ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध (Complete ban on cryptocurrencies) लगा रखा है। यूरोपीय देशों की बात करें, तो वहां के कुछ देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार कर लिया है और इसके लिए नियम भी बनाए हैं। लेकिन, ज्यादातर देशों का रुख अभी रूढ़िवादी ही है।
क्रिप्टोकरेंसी के सामने क्या चुनौतियां हैं?
इस वर्चुअल करेंसी के भविष्य के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसे दुनियाभर में कानूनी दर्जा मिलेगा या नहीं। अगर अमेरिका, चीन और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं क्रिप्टो को स्वीकारती हैं, तो जाहिर तौर पर इसका चलन बढ़ेगा। लेकिन, इससे दिक्कत यह होगी कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर तमाम नियम-कानून बन जाएंगे। इससे क्रिप्टोकरेंसी की स्वतंत्रता और विकेंद्रीकरण (Decentralization of Cryptocurrencies) का मूल विचार ही कमजोर ही पड़ जाएगा, जो क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत का आधार है। बैंक और सरकारें भी इसे मान्यता देने में संकोच कर सकती हैं, क्योंकि इससे उनका नियंत्रण कमजोर पड़ जाएगा।
क्या आम जनता क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार करेगी?
सोना हमेशा से यूनिवर्सल करेंसी (Universal Currency) रही, क्योंकि इसे आम जनता ने स्वीकार किया। आज भी दुनियाभर में सोने के प्रति गहरा लगाव देखा जा सकता है। महिलाएं और पुरुष सोने के आभूषण पहनते हैं। जो लोग आभूषण नहीं पहनते, वे निवेश के लिए सोना खरीदते हैं। इसे बुरे दिनों के सहारे के रूप में देखा जाता है। लेकिन, क्या क्रिप्टो को आम जनता स्वीकार कर पाएगी, खासकर इसकी तकनीकी जटिलता और वर्चुअल रूप को देखते हुए। अगर भारत जैसे देश की रूढ़िवादी जनता क्रिप्टो को स्वीकारेगी भी, तो उसमें दशकों लग जाएंगे।
क्रिप्टोकरेंसी के फायदे (Advantages of cryptocurrencies) क्या हैं?
- क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल किया जाता है।
- यह विकेंद्रीकृत होती है यानी इस पर किसी एक संस्था या सरकार के नियंत्रण नहीं होता है।
- इसमें लेन-देन गोपनीय होते हैं। इसका मतलब कि आपकी जानकारी को सुरक्षित रहती है।
- क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम के मुकाबले काफी ज्यादा तेज होता है।
- इसमें ट्रांजैक्शन फीस काफी कम होती है, जो क्रिप्टोकरेंसी को बेहतर विकल्प बनाती हैं।
- अगर क्रिप्टो को मान्यता मिलती है, तो इसका इस्तेमाल दुनिया के किसी कोने में हो सकता है।
- क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के कई अवसर हैं, जो आपको अमीर बनने में मदद कर सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान (Disadvantages of cryptocurrencies) क्या हैं?
- क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में काफी उतार-चढ़ाव होता है। इससे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
- क्रिप्टो एक्सचेंज और वॉलेट हैकिंग और साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- वजीरएक्स पर पिछले दिनों हुए साइबर अटैक में 230 मिलियन डॉलर की रकम लुट गई।
- क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है, जिसकी अपनी सीमाएं होती हैं।
- इसमें स्केलेबिलिटी एक बड़ी समस्या है, क्योंकि यह बड़े ट्रांजैक्शन नहीं संभाल पाती है।
- क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के बारे में अनिश्चितता है, जो इसके भविष्य को प्रभावित कर सकती है।
- इसका पर्यावरणीय पर प्रभाव हो सकता है, जैसे कि ऊर्जा की खपत और इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा करना।
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