
EPF Transfer: नौकरी बदलने पर PF ट्रांसफर करना जरूरी, EPFO ने बताया पूरा प्रोसेस
EPF Transfer: नौकरी बदलने के बाद अगर आपने अपने पुराने प्रोविडेंट फंड (EPF) अकाउंट का बैलेंस ट्रांसफर नहीं किया है, तो आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग पर असर पड़ सकता है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने साफ किया है कि PF बैलेंस को नई कंपनी के खाते में ट्रांसफर करना न केवल फंड को एक जगह बनाए रखता है, बल्कि कंपाउंडिंग का लाभ भी सुनिश्चित करता है।
EPFO के मुताबिक, PF ट्रांसफर से कर्मचारी की सेवा अवधि जुड़ती रहती है, जिससे पेंशन योग्यता और कर लाभ (Tax Exemption) से जुड़े फायदे बने रहते हैं।
ऐसे करें ऑनलाइन PF ट्रांसफर
EPFO ने यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी है। इसके लिए EPFO सदस्य पोर्टल पर UAN (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) एक्टिव होना जरूरी है, साथ ही आधार, मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट इससे लिंक होना चाहिए।
- कर्मचारी को सबसे पहले EPFO पोर्टल पर लॉगिन करना होगा।
- फिर ‘One Member-One EPF Account (Transfer Request)’ सेक्शन में जाएं।
- इसके बाद पूर्व और मौजूदा नियोक्ता की जानकारी जांचें। ।
- किसी एक नियोक्तो को क्लेम अटेस्ट करने के लिए चुनें।
- प्रक्रिया को पूरा करने के लिए OTP आधारित ऑथेंटिकेशन किया जाता है।
ट्रांसफर रिक्वेस्ट सबमिट करने के बाद, इसकी स्थिति पोर्टल के ‘Track Claim Status’ सेक्शन में देखी जा सकती है। अगर ट्रांसफर ऑनलाइन किया गया है, तो किसी भी तरह के फिजिकल फॉर्म-13 की जरूरत नहीं होती।
कब जरूरी है ऑफलाइन प्रोसेस
अगर कर्मचारी के पास दो UAN हैं या उसने किसी एक्सेम्प्टेड एस्टेब्लिशमेंट (Exempted Establishment) में काम किया है, तो ऑफलाइन फॉर्म-13 भरना अनिवार्य होगा। यह फॉर्म नियोक्ता के हस्ताक्षर के साथ क्षेत्रीय EPF कार्यालय में जमा करना होता है।
EPFO ने दोहराया है कि निकासी की बजाय ट्रांसफर करने से PF पर कंपाउंडिंग का असर बढ़ता है, जिससे रिटायरमेंट कॉर्पस मजबूत बनता है। आप ज्यादा जानकारी और पात्रता की जांच के लिए www.epfindia.gov.in पर जा सकते हैं।
यह भी पढ़ें : Car Buying Tips: नई कार चाहिए या नया पछतावा? गाड़ी खरीदते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां