Gold Price Crash: शेयर बाजार क्रैश, क्या अब गोल्ड की है बारी; 55000 रुपये तक गिरेगा सोने का भाव?

एक्सपर्ट का मानना है कि सोने की कीमतों में जो तेज़ी हमने हाल के महीनों में देखी है, वो अब टिक नहीं पाएगी। उनके मुताबिक, बाज़ार में ऐसे कई मजबूत संकेत दिख रहे हैं जो ये बताते हैं कि सोना अब अपने पीक पर है

Gold Price Crash: 7 अप्रैल का दिन भारत समेत दुनिया भर के शेयर बाजारों के लिए ‘Black Monday 2.0’ बन गया। भारत के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे शेयर बाजार एकदम से धड़ाम हो गए। अब निवेशकों की नजर सोने पर है, लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि सोने की कीमतों में भी भारी गिरावट आ सकती है। फिलहाल, दिल्ली में 24 कैरेट सोने की कीमत लगभग ₹91,250 प्रति 10 ग्राम के स्तर पर है। सोने के दाम में करीब 40% गिरावट आने का अनुमान है। इस हिसाब से भारत में सोना ₹54,750 प्रति 10 ग्राम के स्तर पर भी आ सकता है।

गोल्ड पर क्या है एक्सपर्ट की राय?

मॉर्निंगस्टार का अनुमान: The Economic Times की रिपोर्ट के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार में इक्विटी एनालिस्ट जॉन मिल्स (morningstar jon mills) का मानना है कि सोने की कीमतों में लगभग 40% की गिरावट हो सकती है। इससे यह करीब ₹55,000 प्रति 10 ग्राम तक आ सकता है। ​

स्टैंडर्ड चार्टर्ड का नजरिया: स्टैंडर्ड चार्टर्ड की एनालिस्ट सुकी कूपर के अनुसार, मौजूदा जोखिम भरे माहौल को देखते हुए सोने की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है, और दूसरी तिमाही में यह नए उच्च स्तर पर पहुंच सकती है। ​

सोने के भाव क्यों गिर सकते हैं?

जॉन मिल्स का मानना है कि सोने की कीमतों में जो तेज़ी हमने हाल के महीनों में देखी है, वो अब टिक नहीं पाएगी। उनके मुताबिक, बाज़ार में ऐसे कई मजबूत संकेत दिख रहे हैं जो ये बताते हैं कि सोना अब अपने पीक पर है और यहां से इसकी कीमतें नीचे जा सकती हैं। आइए एक-एक करके समझते हैं कि वे ऐसा क्यों कह रहे हैं:

जब सप्लाई बढ़ती है, तो कीमतें गिरती हैं

जब भी सोने के दाम बढ़ते हैं, माइनिंग कंपनियां ज्यादा माइनिंग करने लगती हैं, क्योंकि इसमें फायदा दिखता है। 2024 की दूसरी तिमाही में माइनिंग कंपनियों को हर औंस पर औसतन $950 का मुनाफा हुआ। ये 2012 के बाद का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। ऐसे में स्वाभाविक है कि उत्पादन तेजी से बढ़ेगा, और हुआ भी यही। इस साल दुनिया में कुल सोने का भंडार 9% बढ़कर 216,265 टन हो गया है।

ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इस रेस में सबसे आगे हैं। वहीं, पुराना सोना भी बड़ी मात्रा में रीसाइकल होकर बाजार में लौट रहा है। जब बाजार में माल ज्यादा हो जाता है, तो उसकी कीमत दबाव में आ जाती है। यही सोने के साथ भी हो सकता है।

डिमांड की गर्मी अब ठंडी पड़ सकती है

बीते कुछ सालों में सेंट्रल बैंकों और निवेशकों ने जमकर सोना खरीदा है। 2024 में ही बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा, जो लगातार तीसरा साल है जब ये आंकड़ा 1,000 टन से ऊपर रहा। लेकिन अब जो संकेत मिल रहे हैं, वो बताते हैं कि ये सिलसिला आगे शायद ना चले।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सर्वे में 71% सेंट्रल बैंकों ने कहा है कि वे अगले साल या तो अपनी होल्डिंग घटाएंगे या फिर उसमें कोई बदलाव नहीं करेंगे। यानी डिमांड का जो उबाल था, वो अब कम हो सकता है।

याद कीजिए 2020 को। जब कोरोना आया था, तब डर और अनिश्चितता के बीच सोने की कीमतें तेज़ी से चढ़ीं, लेकिन जैसे ही हालात सुधरे, दाम भी नीचे आने लगे। यही चक्र दोबारा दोहराया जा सकता है।

क्या सोना अब अपने पीक पर है?

इतिहास बताता है कि जब किसी इंडस्ट्री में अचानक बहुत सारी डील्स होने लगती हैं, तो वो अक्सर उस सेक्टर के पीक का संकेत होता है। 2024 में गोल्ड सेक्टर में M&A डील्स 32% बढ़ गईं। यानी बड़ी कंपनियां अब आखिरी मौके पर हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं।

इसके साथ ही, गोल्ड आधारित ETF (निवेश फंड) भी तेजी से बढ़े हैं। ऐसा पहले भी देखा गया है कि जब ये ट्रेंड उभरता है, तो कीमतों में गिरावट ज्यादा दूर नहीं होती।

जॉन मिल्स के मुताबिक, ये तमाम संकेत बता रहे हैं कि सोना इस वक्त ऊंचे पायदान पर खड़ा है, लेकिन टिके रहना मुश्किल है। सप्लाई बढ़ रही है, डिमांड ठंडी पड़ रही है और निवेशक संकेत दे रहे हैं कि बाज़ार अब पलट सकता है। ऐसे में सोने की कीमतों में गिरावट की संभावना को नज़रअंदाज़ करना शायद समझदारी नहीं होगी।

गोल्ड निवेशकों को क्या करना चाहिए?

सोने की कीमतों में संभावित गिरावट को ध्यान में रखते हुए, निवेशकों को कुछ खास सलाह पर अमल करना चाहिए।

  • लॉन्ग टर्म अप्रोच: सोने में निवेश करते समय लॉन्ग टर्म का नजरिया रखें, क्योंकि निकट अवधि में तेज उतार-चढ़ाव दिख सकता है। ​
  • विविधता बनाए रखें: अपने निवेश पोर्टफोलियो में विविधता रखें ताकि किसी किसी एक असेट क्लास, जैसे कि शेयर बाजार या गोल्ड पर अत्यधिक निर्भरता न हो।​
  • एक्सपर्ट से सलाह लें: निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से सलाह मशविरा करें ताकि वित्तीय लक्ष्य और जोखिम के अनुसार फैसला लिया जा सके।

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Shikha Singh
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