RBI Rate Cut का फायदा आपको मिलेगा या नहीं, खुश होने से पहले समझ लीजिए ये बात

Fixed vs Floating Interest Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार (7 फरवरी) को रेपो रेट में कटौती की है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि इस होम लोन, कार लोन और दूसरे तरह के लोन की मासिक किस्त (EMI) कम हो जाएगी। हालांकि, इसमें एक पेच है। आरबीआई के रेट कट का लाभ आपको तभी मिलेगा, जब आपने फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट चुना होगा।

होम लोन या अन्य किसी लोन को लेते समय बैंक दो तरह के इंटरेस्ट रेट ऑफर करते हैं – फिक्स्ड (Fixed) और फ्लोटिंग (Floating)। सही इंटरेस्ट रेट चुनना आपके लोन की EMI और कुल भुगतान पर बड़ा असर डाल सकता है। इस आर्टिकल में हम फिक्स्ड और फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट के बीच का अंतर, फायदे-नुकसान और कौन सा बेहतर रहेगा, यह विस्तार से समझेंगे।

फिक्स्ड और फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में अंतर

पैरामीटर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट
परिभाषा इस रेट में पूरी लोन अवधि के दौरान ब्याज दर एक जैसी बनी रहती है।
यह रेट बाजार की स्थिति के अनुसार समय-समय पर बदलता रहता है।
EMI EMI स्थिर रहती है, इसमें कोई बदलाव नहीं होता।
EMI में बदलाव हो सकता है, जब ब्याज दर घटेगी या बढ़ेगी।
ब्याज दर आमतौर पर फ्लोटिंग रेट से थोड़ा ज्यादा होता है।
फिक्स्ड रेट से कम होता है, लेकिन बदल सकता है।
जोखिम कोई जोखिम नहीं, क्योंकि ब्याज दर स्थिर रहती है।
बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण दर बढ़ या घट सकती है।
लोन की कुल लागत हो सकता है कि कुल लागत ज्यादा हो, क्योंकि रेट अधिक होता है।
कुल लागत कम हो सकती है, अगर दरें गिरती हैं।
प्री-पेमेंट चार्ज अक्सर ज्यादा चार्ज लगता है।
आमतौर पर कम चार्ज या कोई चार्ज नहीं होता।

फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट के फायदे और नुकसान

फायदे:

  • बजट प्लानिंग: EMI स्थिर रहती है, जिससे बजट प्लानिंग आसान होती है।
  • बदलाव का असर नहीं: अगर भविष्य में ब्याज दर बढ़ती है, तो आपकी EMI प्रभावित नहीं होगी।
  • जोखिम नहीं: अगर बाजार में कोई बड़ा बदलाव होता है, तो उससे बचाव मिलता है।

नुकसान:

  • फ्लोटिंग रेट से महंगा: फिक्स्ड रेट वाले लोन की ब्याज दर अमूमन थोड़ी अधिक होती है।
  • दरें घटने का फायदा नहीं: अगर ब्याज दरें कम होती हैं, तो भी आपको उच्च दर पर ही लोन चुकाना होगा।
  • अधिक प्री-पेमेंट चार्ज: अगर आप फिक्स्ड रेट वाले लोन को जल्दी चुकाते हैं, तो पेनल्टी लग सकती है।

फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट के फायदे और नुकसान

फायदे:

  • कम ब्याज दर: फ्लोटिंग रेट वाले लोन की ब्याज फिक्स्ड रेट से आमतौर पर कम होती है।
  • दर घटने का लाभ: अगर बाजार में इंटरेस्ट रेट कम होते हैं, तो आपको फायदा होगा।
  • प्री-पेमेंट चार्ज : अगर आप जल्दी लोन चुकाते हैं, तो ज्यादा चार्ज नहीं लगेगा।

नुकसान:

  • ब्याज दर बढ़ने का जोखिम: अगर RBI रेपो रेट बढ़ाता है, तो EMI बढ़ सकती है।
  • EMI का अनुमान मुश्किल: अगर आप स्थिर EMI चाहते हैं, तो यह सही विकल्प नहीं है।
  • लॉन्ग-टर्म प्लानिंग : इसमें लॉन्ग टर्म मुश्किल होती है, क्योंकि EMI बदलती रहती है।

फिक्स्ड vs फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट: कौन सा बेहतर है?

फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लें, अगर:

  • आपको बजट फिक्स रखना है और EMI में बदलाव नहीं चाहते।
  • आप जोखिम नहीं लेना चाहते और निश्चितता चाहते हैं।
  • ब्याज दरें कम से कम 5 साल के लिए स्थिर रहने की उम्मीद है।

फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट लें, अगर:

  • आप ब्याज दरों में गिरावट का लाभ उठाना चाहते हैं।
  • लोन को जल्दी चुकाने की योजना है।
  • आप थोड़ा जोखिम लेने के लिए तैयार हैं।

कौन सा रेट चुनें?

अगर आप शांति और स्थिरता चाहते हैं, तो फिक्स्ड रेट सही रहेगा। वहीं, अगर आप ब्याज दरों में संभावित गिरावट से फायदा उठाना चाहते हैं, तो फ्लोटिंग रेट चुन सकते हैं। लंबी अवधि के लोन (15-20 साल) के लिए फ्लोटिंग रेट अधिक फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आपको कोई भी लोन लेने से पहले फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह जरूर लेनी है।

Source: विभिन्न बैंकों की आधिकारिक साइट

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Shikha Singh
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