Loan Moratorium क्या है, जिसमें कुछ समय के लिए EMI चुकाने से मिल जाती है राहत
What is loan moratorium: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोरोना महामारी के दौरान जनता को वित्तीय संकट से बचाने के लिए कुछ खास तरह की रियायतें दी थीं। इनमें से एक पर्सनल लोन पर मोरेटोरियम (Moratorium) की शुरुआत। अगर आप गंभीर आर्थिक मुश्किल में हैं, तो यह आपके लिए काफी उपयोगी हो सकती है। क्योंकि लोन मोरेटोरियम में कुछ समय के लिए ब्याज चुकाने से राहत मिल जाती है। हालांकि, इसके कई नुकसान भी हैं, खासकर लंबी अवधि में। आइए जानते हैं कि लोन मोरेटोरियम क्या होता है, इसका इस्तेमाल कब करना चाहिए और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं।
Loan Moratorium क्या होता है?
Moratorium का शाब्दिक अर्थ होता है, किसी चीज को स्थगित करना यानी अस्थायी रोक। इसे अमूमन सरकारी आदेश से जोड़कर देखा जाता है। अगर पर्सनल लोन पर मोरेटोरियम की बात करें, तो इसका मतलब होता है कि आप लोन की EMI चुकाना अस्थायी तौर पर रोक सकते हैं। इससे आपका लोन खत्म नहीं होता है, बल्कि कुछ समय के लिए स्थगित हो जाता है। यह बस एक अस्थायी तरीका है, जिसका मकसद नौकरी छूटने, कारोबार में नुकसान या किसी अन्य वित्तीय संकट के वक्त लोगों को राहत पहुंचाना है।
आरबीआई ने मार्च 2020 में लोन मोरेटियम की शुरुआत की थी, क्योंकि उस वक्त लॉकडाउन के चलते कारोबार बिल्कुल ठप हो गया था। बहुत-से लोगों के पास आमदनी का जरिया नहीं थी। इसलिए आरबीआई ने लोगों को कुछ महीने तक ईएमआई न चुकाने का विकल्प दिया था।
लोन मोरेटोरियम के फायदे क्या हैं?
- लोन मोरेटोरियम से कर्ज लेने वालों को आर्थिक संकट के समय राहत मिलती है। जैसे कि कुदरती आपदा, नौकरी छूटना, कारोबार में नुकसान होना, मेडिकल इमरजेंसी या कोई अन्य आर्थिक संकट।
- कर्ज लेने वाले को लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) के दौरान मासिक किस्त (EMI) देने की जरूरत नहीं होती है। इससे उन्हें अपने वित्तीय संकट से निपटने में मदद मिलती है।
- कुछ मामलों में लोन मोरेटोरियम के दौरान बैंक ब्याज दर कम करके भी रियायत दे सकते है। इससे उधारकर्ता (Borrower) के लोन की रकम में ज्यादा वृद्धि नहीं होती है।
- लोन मोरेटेरियम की वजह से कर्ज लेने वाला शख्स डिफॉल्ट करने से बच जाता है। इसका मतलब है कि EMI न चुकाने से उसके क्रेडिट स्कोर पर कोई भी नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
Loan Moratorium के नुकसान क्या हैं?
- लोन मोरेटोरियम के दौरान कर्ज लेने वाले को ईएमआई चुकाने से छूट भले ही मिल जाती है, लेकिन ब्याज दर लागू रहती है। इसका मतलब है कि आपके लोन की रकम बढ़ती रहेगी।
- कर्ज लेने वाले शख्स को लोन मोरेटोरियम के दौरान अतिरिक्त ब्याज देना पड़ सकता है। इससे लोन की रकम बढ़ेगी और आपका आर्थिक संकट और भी बुरा हो सकता है।
- लोन मोरेटोरियम का इस्तेमाल करने से लोन चुकाने की अवधि बढ़ सकती है। इसका मतलब है कि कर्ज लेने वाले को अधिक समय तक लोन का भुगतान करना पड़ेगा।
- यह सुविधा भले ही आपको लोन पर डिफॉल्ट होने से बचा लेती है, लेकिन लोन मोरेटोरियम को आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज किया जाता है। इससे आगे चलकर लोन मिलने में दिक्कत हो सकती है।
लोन मोरेटोरियम से कैसे नुकसान होता है?
मोरेटोरियम का विकल्प चुनने का सीधा मतलब है कि आपको अतिरिक्त ब्याज चुकाना होगा। आइए जानते हैं कि 1, 2 और 3 महीने के लिए लोन मोरेटोरियम का विकल्प चुनने से कैसे अतिरिक्त ब्याज चुकाना पड़ता है।
लोन की रकम | ब्याज दर (सालाना) |
3 महीना मोरेटोरियम चुनने पर अतिरिक्त ब्याज
|
10 लाख रुपये | 12% | 30301 रुपये |
5 लाख रुपये | 18% | 22839 रुपये |
4 लाख रुपये | 20% | 18271 रुपये |
22 लाख रुपये | 8% | 44294 रुपये |
नोट: यह टेबल सिर्फ उदाहरण के लिए है। आपके लोन की रकम ,ब्याज दर और मोरेटोरियम की अवधि के हिसाब से आपको कम या अधिक अतिरिक्त ब्याज चुकाना पड़ सकता है।
Moratorium के बजाय इन विकल्पों का करें इस्तेमाल
आपको आखिरी विकल्प के रूप में लोन मोरेटोरियम का इस्तेमाल करने से चाहिए। क्योंकि इससे आपको बस मामूली राहत मिलती है और आखिर में आपका वित्तीय बोझ बढ़ जाता है। आप मोरेटोरियम के बजाय आप बैंक अपनी परेशानियों के बता सकते हैं। उससे EMI की रकम करने या लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए बात कर सकते हैं। लोन रिस्ट्रक्चरिंग में बैंक या वित्तीय संस्थान लोन की शर्तों को बदलने के लिए सहमत होता है, ताकि उधारकर्ता को लोन चुकाने में आसानी हो।
अगर आपका बैंक EMI कम करने या लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए राजी नहीं होता, तो आप किसी अन्य बैंक में लोन ट्रांसफर करने के विकल्प पर भी विचार कर सकते हैं। इससे आपको नई शर्त और कम ब्याज दर जैसी राहत मिल सकती है।
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