Stock Market Crash: क्या अमेरिका की वजह से क्रैश हुआ शेयर बाजार, तीन प्वाइंट में समझिए पूरी बात
Why share market is falling: भारत के स्टॉक मार्केट में गुरुवार (19 दिसंबर) को लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट आई। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी शुरुआती कारोबार में ही 1 फीसदी से ज्यादा गिर गए। एशियन पेंट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, HDFC बैंक और बजाज फाइनेंस जैसे ब्लू शेयरों में भी 1 से लेकर 2 फीसदी तक गिरावट देखने को मिल रही है। आइए समझते हैं कि भारतीय शेयर बाजार क्रैश क्यों (Stock Market Crash Explained) हुआ?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रेट कट ने निराश किया
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार (18 दिसंबर) की देर रात ब्याज दरों (US Fed Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की। इस बात की उम्मीद दुनियाभर के शेयर बाजार पहले से ही कर रहे थे। लेकिन, बाजार को निराशा फेड रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) की टिप्पणियों से हुई।
पॉवेल ने कहा, ‘अमेरिका की इकोनॉमी में लगातार सुधार हो रहा है। साथ ही, मुद्रास्फीति (Inflation) भी बढ़ रही है। इसके चलते हम साल 2025 में ब्याज दरों में दो ही बार कटौती करने का पूर्वानुमान दे रहे हैं।’ पहले फेड रिजर्व ने 2025 में चार बार ब्याज दर घटाने का पूर्वानुमान दिया था।
यही वजह है कि भारत समेत दुनियाभर के बाजारों में भारी गिरावट देखी जा रही है। पॉवेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अमेरिकी शेयर के तीनों प्रमुख सूचकांक- Dow Jones Industrial Average, S&P 500 और Nasdaq Composite भी भारी गिरावट के साथ बंद हुए थे।
रुपये का नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंचना
भारतीय रुपया गुरुवार को डॉलर के मुकाबले (dollar vs rupee) 85.3 रुपये के नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंच गया। इस वजह से भी शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है। दरअसल, जब रुपया कमजोर होता है, तो देश में विदेशी निवेश कम हो जाता है। क्योंकि विदेशी निवेशकों (FII) को अपनी घरेलू मुद्रा में निवेश करने पर मिलने वाला लाभ कम हो जाता है। इस वजह से विदेशी निवेशक बिकवाली करते हैं, जिससे शेयर बाजार पर दबाव और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
अगर रुपया लगातार कमजोर होता है, तो इसका सीधा मतलब है कि मुद्रास्फीति बढ़ेगी, क्योंकि आयात किया हुआ सामान और कच्चा माल महंगा हो गया। मुद्रास्फीति बढ़ने से फिर मुसीबत बढ़ेगी, क्योंकि आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो जाएगा। यह भी शेयर बाजार के लिए नकारात्मक पहलू है।
विदेशी निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली
फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफआईआई) भारतीय इक्विटी मार्केट में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। उन्होंने अक्टूबर और नवंबर रिकॉर्ड निकासी की थी। विदेशी निवेशकों ने दिसंबर के दौरान भारतीय बाजार में कुछ खरीदारी जरूर की, लेकिन अब उनका फिर से बिकवाली पर जोर बढ़ गया है। इसकी वजह डॉलर का लगातार मजबूत होना और बॉन्ड पर बेहतर यील्ड मिलना है।
अमेरिकी फेड रिजर्व ने अगले साल ब्याज दरों में कम कटौती का अनुमान दिया है। इससे विदेशी निवेशकों को डॉलर और बॉन्ड यील्ड पर मिलने वाला लाभ जारी रहेगा। यही वजह है कि FII ने पिछले तीन कारोबारी सत्रों में 8,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। हालांकि, डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) ने अपनी खरीदारी से घरेलू बाजार में गिरावट को कुछ हद तक कम करने की कोशिश की है। लेकिन, यह अभी तक नाकाफी साबित हुई है।
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