5 दिन में 5 फीसदी गिरा शेयर बाजार, 18 लाख करोड़ की संपत्ति खाक; अब आगे क्या होगा?
Why Share Market is Falling: पिछला कारोबारी हफ्ता (16 दिसंबर से 20 दिसंबर तक) शेयर बाजार के निवेशकों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। इन पांच कारोबारी सत्रों में BSE Sensex कुल 4,091.53 अंक यानी 4.98 फीसदी गिर गया। वहीं, NSE Nify में 1,180.8 अंक यानी 4.76 फीसदी की भारी गिरावट (Stock Market Crash) देखने को मिली। इस गिरावट के चलते निवेशकों की संपत्ति 18.43 लाख करोड़ रुपये तक कम हो गई। आखिर में सेंसेक्स शुक्रवार को 1,176.46 अंक फिसलकर 78,041.59 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 364.20 अंक गिरकर 23,587.50 पर आ गया। आइए समझते हैं कि शेयर बाजार में इस भारी गिरावट की क्या वजह है और अब आगे क्या होगा?
सेंसेक्स-निफ्टी में तारीखवार गिरावट
तारीख | सेंसेक्स में गिरावट | निफ्टी में गिरावट |
16 दिसंबर | 384.55 अंक | 100.05 अंक |
17 दिसंबर | 1,064.12 अंक | 332.25 अंक |
18 दिसंबर | 502.25 अंक | 137.15 अंक |
19 दिसंबर | 964.15 अंक | 247.15 अंक |
20 दिसंबर | 1,176.46 अंक | 364.20 अंक |
शेयर मार्केट में गिरावट की क्या वजह है?
पिछले हफ्ते भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली। इनमें अमेरिका का मार्केट भी शामिल है, जो तकरीबन दुनिया के सभी शेयर बाजारों की दिशा तय करता है। आइए जानते हैं कि शेयर मार्केट में गिरावट की प्रमुख वजहें क्या हैं?
फेडरल रिजर्व का ब्याज दर में कम कटौती का फैसला
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर का मानना है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों (US Fed Rate Cut) में कम कटौती है। फेड रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणी से पता चलता है कि अमेरिकी इकोनॉमी मंदी की तरफ जा सकती है। क्योंकि उन्होंने अगले साल यानी 2025 में सिर्फ दो बार ब्याज दरों में कटौती का अनुमान लगाया है।
इसका मतलब है कि ब्याज दरें ऊंची बनी रहेंगी। इससे डिमांड घटेगी, लोग बचत नहीं कर पाएंगे। इससे वैश्विक मंदी (global recession) आने का भी खतरा है। यही वजह है कि दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट का रुख दिख रहा है।
विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FII) ने अक्टूबर और नवंबर में बिकवाली के सारे रिकॉर्ड तोड़ डालें। उन्होंने दिसंबर की शुरुआत में कुछ खरीदारी की, लेकिन अब वे एक बार फिर ताबड़तोड़ निकासी कर रहे हैं, जैसे कि भारतीय शेयर बाजार का कोई भविष्य ही न हो।
यहां तक कि 16 से 20 दिसंबर के हफ्ते में भी FII ने पहले दो कारोबारी सत्रों में 3,126 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। लेकिन, फेड रिजर्व का ब्याज दरों पर फैसला आने के बाद उन्होंने अगले तीन सेशन में 4,103 करोड़ रुपये के शेयर बेच (FII Selling) दिए।
डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार कमजोर होना
भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर (Dollar vs Rupee) के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है। बेशक इसमें शुक्रवार को 10 पैसे की मजबूती आई, लेकिन अभी भी यह 85.03 रुपये के स्तर पर है। अगर अगले हफ्ते भी फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FII) की बिकवाली बरकरार रहती है, तो रुपया फिर से नया ऑल टाइम लो-लेवल बना सकता है।
रुपये में गिरावट से आरबीआई की मुश्किलें भी लगातार बढ़ रही हैं, क्योंकि अब विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) घटकर 652.96 अरब डॉलर रह गया है।
इंडियन इकोनॉमी में जल्द सुधार न होने की आशंका
वित्त वर्ष 2023-24 की सभी तिमाहियों में भारत की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) शानदार रही। लेकिन, मौजूदा वित्त वर्ष में यह लड़खड़ाने लगी है। खासकर, शहरी खपत में भारी गिरावट आई है, क्योंकि लोगों के हाथ में पैसे नहीं बच रहे हैं। इसका असर कंपनियों के वित्तीय नतीजों पर भी पड़ा है।
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों की तो जैसे शामत आ गई है। एचयूएल, नेस्ले, ब्रिटानिया से लेकर एशियन पेंट्स तक सभी के नतीजे खराब रहे। एक्सपर्ट का मानना है कि तीसरी तिमाही में भी कंपनियों के रिजल्ट खराब रह सकते हैं। अगर कोई सुधार होगा भी, तो उसके लिए चौथी तिमाही तक इंतजार करना होगा।
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क्या शेयर मार्केट में गिरावट आगे भी जारी रहेगी?
शेयर मार्केट के एक्सपर्ट भारतीय बाजार में आगे भी गिरावट जारी रहने की आशंका जता रहे हैं। Invasset PMS में पार्टनर और रिसर्च हेड अनिरुद्ध गर्ग ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि उन्हें नियर टर्म में शेयर मार्केट में मंदी बने रहने की आशंका है। गर्ग ने निफ्टी में 8 से 10 फीसदी का और करेक्शन होने की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि निफ्टी में 22,000 का लेवल दिखा सकता है। वहीं मिड और स्मॉलकैप में 15 से 16 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट प्रशांत तापसे का भी मानना है कि अभी भारतीय बाजार अस्थिरता देखने को मिल सकती है, क्योंकि निवेशकों में घबराहट है। उनका कहना है कि विदेशी निवेशक भी रुपये में लगातार गिरावट से परेशान हैं और वे डॉलर में निवेश कर रहे हैं। इसमें ज्यादा फायदा है, क्योंकि ब्याज दरों में कटौती के मामले में फेड रिजर्व का रुख काफी सुस्त हो गया है। साथ ही, निवेशक डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों को लेकर भी आशंकित हैं, जो जनवरी 2025 से नए अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने वाले हैं।
भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक संकेत क्या हैं?
नवंबर में खुदरा महंगाई का कम होना और संजय मल्होत्रा का नया आरबीआई गवर्नर (RBI Governor Sanjay Maltotra) बनना भारतीय शेयर बाजार के लिए कुछ सकारात्मक संकेत हैं। संजय मल्होत्रा सस्ती ब्याज दरों के हिमायती माने जाते हैं। खुदरा महंगाई कम होने से उनका और भी आसान हो गया है। अगर दिसंबर और जनवरी में खुदरा महंगाई काबू में रहती है, तो आरबीआई की फरवरी एमपीसी में ब्याज दरों में कटौती होना तकरीबन तय हो जाएगा। इससे इंडियन इकोनॉमी को जबरदस्त बूस्ट मिल सकता है। खपत में बड़ा इजाफा हो सकत है, जिसका जीडीपी ग्रोथ और शेयर मार्केट दोनों को फायदा होगा।
अगर सोमवार से शुरू होने वाले नए हफ्ते (23 से 27 दिसंबर) की बात करें, तो भारतीय बाजार में कुछ रिकवरी देखने को मिल सकती है। क्योंकि शुक्रवार को अमेरिकी स्टॉक मार्केट के तीनों प्रमुख सूचकांक- Dow Jones, Nasdaq Composite और S&P 500 जबरदस्त तेजी के साथ बंद हुए हैं। इन तीनों में 1-1 फीसदी से अधिक तेजी देखने को मिलेगी। इस हफ्ते सिर्फ चार ही दिन कारोबार होगा, क्योंकि 25 दिसंबर (बुधवार) को क्रिसमस (Christmas Day) की छुट्टी के चलते शेयर बाजार बंद रहेगा।
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