Bajaj Housing Finance के शेयरों में क्यों आ रही गिरावट, अब क्या करें निवेशक?
Why bajaj housing finance is falling: बजाज हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (BHFL) का आईपीओ सितंबर 2024 में आया था। इसने 114 फीसदी से अधिक का लिस्टंग गेन देकर तहलका मचा दिया था। फिर बजाज हाउसिंग फाइनेंस ने 188 रुपये का अपना नया ऑल टाइम हाई भी बनाया। उसके बाद से बजाज हाउसिंग के शेयरों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। यह अपने ऑल टाइम हाई लेवल से करीब 33 फीसदी टूट चुका है। आइए जानते हैं कि बजाज हाउसिंग के शेयरों में गिरावट क्यों आ रही है और निवेशकों को क्या करना चाहिए।
बजाज हाउसिंग के शेयरों में गिरावट की वजह क्या है?
दरअसल, स्टॉक मार्केट एनालिस्ट का मानना है कि बजाज हाउसिंग फाइनेंस का वैल्यूएशन काफी अधिक है। इसके मुकाबले LIC Housing Finance, PNB Housing Finance, Aavas Financiers और Repco Home Finance जैसे स्टॉक काफी कम वैल्यूएशन पर उपलब्ध हैं। यह अपनी बुक वैल्यू से 5 गुना अधिक पर ट्रेड कर रहा है। इसका पीई रेशियो भी 60 के करीब है। वहीं, एलआईसी हाउसिंग और रेप्को होम फाइनेंस का पीई रेशियो 6 के आसपास है।
बजाज हाउसिंग फाइनेंस की पूरी डिटेल
मार्केट कैप: 1.05 लाख करोड़ रुपये
पीई रेशियो: 60.7
बुक वैल्यू: 22.6 रुपये
52 वीक हाई: 188 रुपये
52 वीक लो: 125 रुपये
Bajaj Housing Finance पर ब्रोकरेज की राय
ब्रोकरेज फर्मों का रुख भी बजाज हाउसिंग फाइनेंस को लेकर काफी सुस्त है। IndMoney पर मौजूद डिटेल्स के मुताबिक, बजाज हाउसिंग फाइनेंस को कवर करने वाले 5 एनालिस्टों में सिर्फ एक ने इसे Buy रेटिंग की सलाह दी है। तीन ने बजाज हाउसिंग को बेचने और एक ने होल्ड करने की सलाह दी है। ब्रोकरेज फर्म HSBC ने बजाज फाइनेंस लिमिटेड को ‘रेड्यूस’ रेटिंग दी है। उसने बजाज हाउसिंग का टारगेट प्राइस (Bajaj Housing Finance Target Price) 110 रुपये दिया है। यह बजाज हाउसिंग के मौजूदा शेयर प्राइस 125.91 रुपये से भी 12 फीसदी कम है।
क्या करती है बजाज हाउसिंग फाइनेंस?
Bajaj Housing Finance देश के प्रतिष्ठित Bajaj Group का हिस्सा है। इस ग्रुप के पास Bajaj Finance और Bajaj Auto जैसी नामचीन कंपनियां हैं। Bajaj Housing Finance की बात करें, तो इसकी शुरुआत 2008 में हुई थी। यह कंपनी घर और कमर्शियल प्रॉपर्टी बनाने के लिए लोन उपलब्ध कराती है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में बजाज हाउसिंग फाइनेंस की एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई। सितंबर तिमाही में कंपनी के नतीजे भी काफी अच्छे आए थे।
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