
8th Pay Commission: ज्यादा नहीं बढ़ेगी सैलरी, सुस्त इकोनॉमी दे सकती है बड़ा झटका
8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग का गठन अगले साल यानी 2026 में होगा, जब 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होगा। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उम्मीद है कि 8वें आयोग से उनकी सैलरी और पेंशन में तगड़ी बढ़ोतरी होगी। लेकिन, सुस्त इकोनॉमी से फिटमेंट फैक्टर प्रभावित हो सकता है, जिससे उनकी सैलरी और पेंशन में होने वाली वृद्धि कम रह सकती है।
फिटमेंट फैक्टर क्या होता है?
फिटमेंट फैक्टर एक गुणक है। इसका इस्तेमाल केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी का कैलकुलेशन करने के लिए किया जाता है। इसे मुद्रास्फीति, कर्मचारियों की जरूरत और देश की इकोनॉमी की स्थिति देखकर तय किया जाता है।
कैसे तय होता है फिटमेंट फैक्टर?
वेतन आयोग फिटमेंट फैक्टर तय करते समय कुछ अहम पहलुओं पर विचार करता है। आइए इनके बारे में जानते हैं:
- महंगाई: वेतन आयोग का फोकस महंगाई पर अधिक रहता है। इसी हिसाब से वह सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी की सिफारिश करता है, ताकि केंद्रीय कर्मचारी घर, गाड़ी और जमीन जैसी चीजें खरीद सकें।
- इकोनॉमी: वेतन आयोग यह भी देखता है कि देश की वित्तीय सेहत कैसी है। अगर अर्थव्यवस्था खूब फल-फूल रही है, तो वह सैलरी और पेंशन में इजाफे की सिफारिश भी उसी हिसाब से करता है।
- प्राइवेट सैलरी: वेतन आयोग यह भी देखता है कि प्राइवेट कंपनियां अपने एंप्लॉयीज का वेतन कितना बढ़ा रही हैं। इससे उसे केंद्रीय कर्मचारियों के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन की सिफारिश करने में आसानी होती है।
कितनी बढ़ेगी सैलरी-पेंशन?
6वें वेतन आयोग में न्यूनतम सैलरी 7,000 रुपये प्रति महीना थी। यह 7वें वेतन आयोग 18,000 रुपये प्रति महीना हो गई यानी 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। इससे केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में 14.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी। 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.6 से 2.85 के बीच होने की उम्मीद है। इस हिसाब से केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन 25 से 30 फीसदी तक बढ़ सकता है। इस स्थिति में न्यूनतम सैलरी 40,000 रुपये से अधिक हो सकती है। पेंशनर्स को भी उसी हिसाब से फायदा मिलेगा।
क्या ज्यादा नहीं बढ़ेगी सैलरी-पेंशन?
वेतन आयोग फिटमेंट फैक्टर तय करते समय देश की आर्थिक सेहत पर अधिक ध्यान देती है। इस वक्त देश की इकोनॉमी काफी बुरे दौर से गुजर रही है। सरकार के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 6.4 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है। यह चार साल का निचला स्तर है, क्योंकि वित्त वर्ष 24 में 8.2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की थी।
शेयर बाजार में भी लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। कंपनियों के तिमाही नतीजे भी काफी खराब आ रहे हैं। इन सब फैक्टर से पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में है। ऐसे में हो सकता है कि 8वें वेतन आयोग कर्मचारियों का वेतन और पेंशन में काफी कम बढ़ोतरी की सिफारिश करे। क्योंकि ज्यादा बढ़ोतरी की सिफारिश करने से उसका इकोनॉमी पर और भी बुरा असर पड़ सकता है।
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