
Health Insurance: बीमा कंपनी की मनमानी से परेशान? जानिए हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े अपने 12 अधिकार
Health Insurance Consumer Rights in India: स्वास्थ्य बीमा खरीदते समय अधिकतर लोग सिर्फ प्रीमियम, कवरेज और नेटवर्क अस्पतालों पर ध्यान देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीमा ग्राहक के तौर पर आपके कई कानूनी अधिकार भी होते हैं? अक्सर देखा गया है कि 70% से अधिक बीमा ग्राहक अपने अधिकारों से अनजान रहते हैं। ऐसे में जब क्लेम का वक्त आता है, तो उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
IRDAI (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) ने बीमा धारकों को सुरक्षित रखने के लिए कई नियम बनाए हैं। लेकिन इनका फायदा तभी मिलेगा जब आपको इनके बारे में पूरी जानकारी होगी। तो आइए जानते हैं स्वास्थ्य बीमा ग्राहकों के 12 सबसे अहम अधिकार, जिनके बारे में हर बीमाधारक को पता होना चाहिए।
पॉलिसी रिन्यू का अधिकार
आपका हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ इसलिए रिन्यू (Right to Lifelong Renewability) करने से मना नहीं किया जा सकता, क्योंकि आपकी उम्र अधिक हो गई है या आपने पहले कोई क्लेम लिया था। बीमाकर्ता सिर्फ दो कारणों से पॉलिसी का नवीनीकरण रोक सकता है। पहली, अगर आपने बीमा खरीदते समय कोई गलत जानकारी दी हो। दूसरी, अगर आपने बीमा लेते वक्त फ्रॉड करने की मंशा से क्लेम किया हो। इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय हमेशा सही जानकारी दें। इससे आपको इंश्योरेंस पॉलिसी रिन्यू कराने में दिक्कत नहीं होगी।
पॉलिसी पोर्ट करने का अधिकार
अगर आप अपने बीमा प्रदाता (Insurance Provider) से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप अपनी पॉलिसी को किसी अन्य बीमा कंपनी में ट्रांसफर (Right to Portability) कर सकते हैं। आपकी वेटिंग पीरियड क्रेडिट भी ट्रांसफर हो जाएगी। हालांकि, नया बीमा प्रदाता आपकी प्रोफाइल और मेडिकल हिस्ट्री देखकर पॉलिसी देने से इनकार भी कर सकता है। इससे बचने के लिए हमेशा मेडिकल हिस्ट्री सही दर्ज करवाएं, ताकि पोर्टिंग में कोई दिक्कत न आए।
क्लेम के कारण प्रीमियम न बढ़ाने का अधिकार
पहले बीमा कंपनियां पॉलिसीधारकों का प्रीमियम पिछले साल के क्लेम के आधार पर बढ़ा देती थीं। इसे 2013 से बंद कर दिया गया और अब बीमा कंपनी आपके क्लेम इतिहास के आधार पर प्रीमियम (Right to No Claim-Based Loading) नहीं बढ़ा सकती। अगर कोई बीमा कंपनी ऐसा करती हैं, तो आप उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।
मोरेटोरियम पीरियड का अधिकार
अगर आपकी पॉलिसी 60 महीने (5 साल) तक लगातार चलती रही है, तो बीमाकर्ता किसी अनजाने में हुई जानकारी छिपाने (Non-disclosure) की वजह से क्लेम रिजेक्ट (Right to Moratorium Period) नहीं कर सकता। 2024 में यह नियम बदला गया, पहले यह 96 महीनों (8 साल) का था, जिसे घटाकर 60 महीने कर दिया गया। अगर आपकी पॉलिसी 5 साल पुरानी है, तो क्लेम रिजेक्शन की संभावना बेहद कम है, जब तक कि बीमाकर्ता धोखाधड़ी साबित न कर दे।
फ्री-लुक पीरियड का अधिकार
अगर आपने हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के बाद महसूस किया कि यह आपकी जरूरतों के मुताबिक नहीं है, तो 30 दिनों के भीतर पॉलिसी कैंसल कर सकते हैं और पैसा वापस पा सकते हैं। इसे फ्री लुक पीरियड (Right to Free-Look Period) कहते हैं। इस दौरान बीमा कंपनी सिर्फ स्टांप ड्यूटी, मेडिकल टेस्ट के खर्च के साथ उन दिनों के प्रीमियम काट सकती है, जब आप कवर थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फ्री-लुक पीरियड 1 साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव दे रही हैं, लेकिन अभी यह 30 दिन ही है।
कैशलेस क्लेम को जल्दी मंजूरी
31 जुलाई 2024 से नया नियम लागू हो चुका है, जिसमें बीमा कंपनी को कैशलेस इलाज के लिए 1 घंटे के भीतर मंजूरी (Right to Timely Cashless Claims) देनी होगी। अगर कंपनी देर करती है, तो आप उसकी शिकायत कर सकते हैं।
डिस्चार्ज में देरी पर भुगतान का अधिकार
अगर बीमा कंपनी 3 घंटे से ज्यादा समय तक अस्पताल में डिस्चार्ज अप्रूवल रोकती है, तो उसे अस्पताल का अतिरिक्त चार्ज (Right to Payment in Case of Delayed Discharge) खुद देना होगा। अगर आपका डिस्चार्ज लेट हो रहा है, तो बीमा कंपनी से इसका भुगतान करवाने की मांग करें।
प्रीमियम सिर्फ पॉलिसी अप्रूवल के बाद
पहले आपको पॉलिसी अप्रूवल से पहले ही प्रीमियम देना पड़ता था और अगर पॉलिसी रिजेक्ट हो जाती, तो रिफंड का लंबा इंतजार करना पड़ता। अब Bima-ASBA सिस्टम लागू किया गया है, जिसमें आपका पैसा पहले ब्लॉक होगा, लेकिन कटेगा तभी जब पॉलिसी अप्रूव (Right to Pay Premium Only After Policy Acceptance) होगी। यह फैसला मार्च 2025 से लागू है।
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पॉलिसी में बदलाव की पूर्व सूचना का अधिकार
बीमा कंपनियां IRDAI की अनुमति के बिना भी पॉलिसी की शर्तें बदल सकती हैं, लेकिन उन्हें आपको 3 महीने पहले सूचित करना अनिवार्य (Right to Advance Notice on Policy Changes) है। अगर कोई बीमा कंपनी बिना पूर्व सूचना के नियम बदलती है, तो आप शिकायत कर सकते हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम
पहले वरिष्ठ नागरिकों (Older Citizens) का हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम अचानक 70-100% तक बढ़ा दिया जाता था। जनवरी 2025 से IRDAI ने इसे 10% प्रति वर्ष तक सीमित (Right to Fair Premium Hikes for Older Citizens) कर दिया है। इससे ज्यादा बढ़ोतरी होने पर आप बीमा कंपनी की शिकायत कर सकते हैं।
शिकायत दर्ज करने का अधिकार
आपके पास शिकायत करने का भी अधिकार (Right to File a Grievance) है। अगर कोई बीमा कंपनी इंश्योरेंस में किसी तरह की गड़बड़ी करती है, तो उसकी Grievance Redressal Officer (GRO) से संपर्क करें, जो 15 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए बाध्य है। अगर समस्या बनी रहती है, तो IRDAI या बीमा लोकपाल (Insurance Ombudsman) से शिकायत करें।
बीमा लोकपाल के फैसले से जुड़ा अधिकार
अगर बीमा लोकपाल आपके पक्ष में फैसला करता है, तो बीमा कंपनी को 30 दिनों के भीतर भुगतान (Right to Receive Claim Awarded by Ombudsman in 30 Days) करना होगा। अगर देर हुई, तो बीमा कंपनी को ₹5000 प्रति दिन पेनल्टी देनी होगी।
बोनस टिप: बीमा कंपनियों की कहां और कैसे करें शिकायत?
अगर बीमा कंपनी कोई गड़बड़ी करती है, तो सबसे पहले उसकी ग्रेवेंस रेड्रेसल ऑफिसर (GRO) से शिकायत करें, जो 15 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए बाध्य है। अगर समाधान न मिले, तो IRDAI (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) के ग्रीवेंस सेल (www.irdai.gov.in) में शिकायत दर्ज करें। इसके बाद भी समाधान न मिलने पर, आप बीमा लोकपाल (Insurance Ombudsman) (www.cioins.co.in) के पास मुफ्त शिकायत कर सकते हैं। अंतिम विकल्प के रूप में, आप उपभोक्ता अदालत (Consumer Court) में मामला दर्ज कर सकते हैं, जहां बीमा कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है।
Sources:
- IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) – www.irdai.gov.in
- Ministry of Finance, Government of India – www.finmin.nic.in
- Insurance Ombudsman, Government of India – www.cioins.co.in
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