
क्या किसान और छोटे कारोबारी सोना-चांदी गिरवी रखकर ले सकते हैं लोन? RBI ने दिया जवाब
Collateral Loan: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 को एक अहम बात साफ की है। अब बैंक कृषि और MSME सेक्टर को लोन देते वक्त सोना और चांदी को गिरवी (कोलेटरल) के रूप में स्वीकार कर सकते हैं। भले ही वो लोन ‘बिना गिरवी’ (कोलेटरल-फ्री) लिमिट के अंदर ही क्यों न आता हो।
शर्त बस इतनी है कि उधार लेने वाला खुद आगे बढ़कर सोना या चांदी गिरवी रखे। यानी बैंक खुद गिरवी लगाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, लेकिन अगर कोई किसान या कारोबारी अपनी मर्जी से सोना-चांदी गिरवी के तौर पर देना चाहता है, तो बैंक उसे मना नहीं करेंगे।
नियमों का उल्लंघन नहीं
RBI ने यह भी स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था मौजूदा नियमों का उल्लंघन नहीं मानी जाएगी। बैंक पहले से तय कोलेटरल-फ्री लिमिट के अंदर ही यह लोन मंजूर करेंगे। लेकिन, अब उन्हें यह छूट मिलेगी कि वे उस लोन के बदले सोना या चांदी स्वीकार कर सकें। बशर्ते किसान और छोटे कारोबारी ने स्वैच्छिक रूप से दिया गया हो।
यह स्पष्टीकरण RBI द्वारा दिसंबर 2024 में जारी किए गए दिशा-निर्देशों से जुड़ा है, जिनमें कृषि और MSME सेक्टर में लोन की पहुंच बढ़ाने पर जोर दिया गया था।
किन बैंकों पर लागू होंगे ये नियम?
यह नियम सभी बड़े कर्मशियल बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक पर लागू होगा। हालांकि, RBI ने साफ किया है कि ‘बिना गिरवी लोन’ वाली गाइडलाइंस क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों पर पहले से ही लागू नहीं हैं। इसलिए उन पर इस छूट का असर नहीं होगा।
लोन सिस्टम में पारदर्शिता
RBI ने एक और अहम बात पर ध्यान दिलाया। देश में क्रेडिट स्कोर और उधारी डेटा में बार-बार गड़बड़ी इसलिए आती है क्योंकि किसी एक उधारकर्ता की पहचान हर बैंक या संस्था में अलग तरीके से दर्ज की जाती है।
TransUnion CIBIL की एक कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा, “अब वक्त है कि देश के हर उधारकर्ता को एक यूनिक पहचान दी जाए, जो सुरक्षित हो, जांची-परखी जा सके और पूरे सिस्टम में एक जैसी रहे।”
RBI का मानना है कि अगर ऐसा सिस्टम अपनाया गया, तो डुप्लिकेट डेटा, गलत क्रेडिट रिपोर्ट और लोन अप्रूवल में होने वाली दिक्कतें काफी हद तक खत्म हो सकती हैं।
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